HPMC Purchased 32454 Metric Tons Of Apples Despite Disaster
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में एचपीएमसी (HPMC) ने बाजार मध्यस्थता योजना-MIS के तहत अब तक 32 हजार 454 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है. हिमाचल में भारी बारिश के बाद आई आपदा के बावजूद एचपीएमसी योजना के तहत खरीदे गए सेब को पूरी मात्रा उठाने में कामयाब रही है. एचपीएमसी ने इस सेब सीजन के दौरान अपने तीन फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट पराला, परवाणू और जड़ोल में रिकॉर्ड 1 हजार 288 मीट्रिक टन सेब जूस कंसन्ट्रेट का उत्पादन किया है. हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने हिमाचल बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम की 213वीं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक के बाद यह जानकारी दी है.
2022-23 में 120 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि हाल ही में स्थापित एचपीएमसी फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट पराला का परीक्षण और कमीशनिंग सेब सीजन के दौरान सफलतापूर्वक हो चुकी है. एचपीएमसी में एप्पल जूस कन्सन्ट्रेट, पेक्टिन, रेडी टू सर्व जूस, फ्रूट वाइन और एप्पल साइडर विनेगर का उत्पादन करेगा. एचपीएमसी ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 120 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार दर्ज किया है. बैठक के दौरान वर्तमान सेब सीजन के दौरान उत्पादित एप्पल जूस कन्सन्ट्रेट की दरें भी तय कर दी गई हैं. इस बैठक में सभी एचपीएमसी उत्पादों की पैकेजिंग डिजाइन को चरणबद्ध तरीके से बदलने का निर्णय लिया गया.
अगले सेब सीजन में सिर्फ यूनिवर्सल कार्टून का होगा इस्तेमाल
शिमला में हुई इस बैठक के दौरान उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेचने का फैसला लिया गया है. इस बारे में एक नीति को मंजूरी दी गई है. एचपीएमसी ने विभिन्न माध्यमों से अपने उत्पादों की बिक्री को गति देने के लिए अपनी वितरण नीति शुरू की है. एचपीएमसी ने अगले सेब सीजन के दौरान सेब उत्पादकों को केवल यूनिवर्सल कार्टन उपलब्ध करवाने और टेलीस्कोपिक कार्टन की बिक्री पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया है.
सेब मंडी तक पहुंची 1.75 करोड़ पेटियां
इससे पहले शिमला में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि प्रदेश में आपदा के बावजूद मंडियों तक एक 1.75 करोड़ सेब की पेटियां पहुंची. उन्होंने कहा कि इस बार बागवानों को सेब के बेहतरीन दाम मिले हैं. हालांकि खराब मौसम की वजह से सब की पैदावार कम रही, लेकिन सरकार के सेब को प्रति किलो के हिसाब से बेचने के फैसले से सेब बागवानों को खासा फायदा हुआ.