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Shimla News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सेब की ढुलाई के दौरान होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 44 प्रतिशत की कमी देखी गई है. अधिकारी, वाहन चालकों को पहाड़ों पर गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इस कौशल में दुर्घटना संभावित स्थानों पर वाहनों को रोकने और ढलानों पर अधिक ब्रेक न लगाने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.

शिमला में जुलाई से अक्टूबर के मध्य तक सेब की सबसे ज्यादा ढुलाई होती है. यही वह समय होता है जब सड़क दुर्घटनाओं के मामले बढ़ जाते हैं क्योंकि कई चालक पहाड़ों पर वाहन चलाने में कुशल नहीं होते.

अचानक ब्रेक लगाने से होती है दुर्घटना

शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि सेब की ढुलाई के सीजन के दौरान दुर्घटनाओं के कारण होने वाले जान-माल के नुकसान के कारणों का विश्लेषण किया गया और यह पाया गया कि ओवरलोडिंग, तेज गति और पहाड़ों पर वाहन चलाने में क्षमता की कमी के कारण लगातार दुर्घटनाएं हुईं. ढलानों पर ड्राइवरों द्वारा अधिक ब्रेक लगाने से दबाव कम हो जाता है और पहिया गर्म हो जाता है, जिससे ब्रेक सिस्टम प्रभावित होता है और दुर्घटनाएं होती हैं.

उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर ड्राइविंग से संबंधित ज्ञान और कौशल प्रदान करना, विशेष रूप से बार-बार ब्रेक न लगाना, भारी गियर का उपयोग करना और यातायात व गति के समन्वय के लिए दुर्घटना संभावित स्थानों पर वाहनों को पकड़ना और रोकना, दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने में मदद करता है.

इस साल हुई है कम सड़क दुर्घटना

पुलिस आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 जुलाई से 13 अक्टूबर तक सेब ढुलाई के सीजन के दौरान 79 सड़क दुर्घटनाओं में 32 लोग मारे गए और 130 घायल हुए, जबकि 2022 में इसी अवधि में 142 दुर्घटनाओं में 65 लोगों की मौत हुई और 255 लोग घायल हुए, जिसका तात्पर्य यह है कि दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों की संख्या में क्रमशः 44 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 49 प्रतिशत की कमी आई है.

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