News

Dussehra Chhattisgarh Bastar Celebratelongest Dussehra In India Continues From Last 600 Years Dedicated To Mahishasur Mardini


Chhattisgarh Bastar Longest Dussehra In World: छत्तीसगढ़ के बस्तर के विश्व प्रसिद्ध सबसे लंबे दशहरा की शुरुआत रविवार (14 अक्टूबर ) को देवी काछनगुड़ी के आशीर्वाद के साथ हो गई है. पूरे देश में जहां दशहरे के समापन पर रावण का पुतला जलाया जाता है वहीं यहां बस्तर में दैत्य राज महिषासुर का वध करने वाली देवी दुर्गा यानी महिषासुर मर्दिनी को समर्पित दशहरा पर्व मनाया जाता है. यह देश का इकलौता ऐसा त्योहार है जहां दशहरे पर रथ परिचालन होता है.

इसकी शुरुआत चालुक्य वंश के चौथे राजा पुरुषोत्तम देव ने की थी. तब से लेकर आज तक पिछले 600 सालों से यह परंपरा कायम है. 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा पर्व का इतिहास देवी दुर्गा के एक वरदान से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि चालुक्य वंश के राज परिवार को देवी ने कांटो के झूले वाले सिंहासन पर बैठकर झूलते हुए दशहरा मनाने का आदेश दिया था.

बस्तर दशहरा विश्व में सबसे लंबे समय तक मनाया जाने वाला पर्व 
रविवार को काछनगादी रस्म के साथ काछनगुड़ी देवी से आशीर्वाद लेकर बस्तर दशहरे का शुभारंभ हुआ है. बस्तर की देवी मावली माता की विदाई के साथ बस्तर दशहरा पर्व का समापन होगा.

मुख्य कार्यक्रम जगदलपुर में होता है, जहां पूरा शहर शानदार सजावट और जुलूसों से जीवंत हो उठता है. बस्तर में यह 75-दिवसीय उत्सव विशिष्ट है क्योंकि यहां प्रतिदिन विशिष्ट अनुष्ठान मनाए जाते हैं. जिले का आदिवासी समुदाय यहां के दशहरा उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

राज परिवार के सदस्यों की भूमिका अहम
चालुक्य राज वंश परिवार के मौजूदा सदस्य कमल चंद्र भंजदेव कहते हैं, “यह अनुष्ठान 600 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है. देवी द्वारा हमें त्योहार मनाने की अनुमति देने के बाद, उत्सव शुरू होता है. ‘कलश स्थापना’ और ‘रथ यात्रा’ की रस्म आज (रविवार) से शुरू होगी.”

इसके इतिहास की बात करते हुए कहते हैं, “ऐसा माना जाता है कि हमारे राजा की दो बेटियों, अर्थात् काछिन देवी और रैला देवी, ने ‘जौहर’ (दुश्मनों के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाय खुद को आग लगाने की रीति) किया था. तब से बेटियों की पवित्र आत्माएं यहां घूमती रहती हैं और हमें आशीर्वाद देती हैं. उनकी अनुमति लेकर हम कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है’

ये भी पढ़ें:Navratri 2023: कैसे हुआ देवी दुर्गा का जन्म, नवरात्रि से पहले जान लीजिए नवदुर्गा से जुड़े ये अहम सवालों के जवाब



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *