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160 Kg Woman Falls From Bed Fire Brigade Team Comes To Lift Her In Thane Maharashtra


Maharashtra News: ठाणे क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र और फायर ब्रिगेड को गुरुवार (7 सितंबर) को जन्माष्टमी के दिन वाघबिल क्षेत्र में विजय एनेक्सी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स से एक असामान्य ‘आपातकालीन कॉल’ पर जाना पड़ा. सुबह लगभग 7 बजे घबराए हुए आईटी पेशेवर प्रसाद वर्तक ने सूचित किया कि उनकी मां छाया वर्तक “अपने बिस्तर से गिर गई हैं” और उन्हें वापस उठाने में मदद के लिए उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है.

अजीब अनुरोध पर टीमें सोसायटी की छठी मंजिल पर वर्तक के घर पहुंचीं, जहां महिला एक नर्स के साथ अकेली रहती है. वहां, 62 वर्षीय विधवा छाया वर्तक को फर्श पर लेटे हुए देखा गया, वह असहाय थी, खुद को हिलाने में असमर्थ थी, क्योंकि उसका वजन 160 किलोग्राम से अधिक था, हालांकि उसे कोई दर्द नहीं था. बचावकर्मियों ने अपास में सलाह के बाद एक सरल लेकिन तेज़ ऑपरेशन करने का निर्णय लिया – कुछ मोटी चादरें बिछाईं और महिला को लोटाकर उस पर ले लिया. इसके बाद उसे वापस बेड पर लिटा दिया.

‘वर्षों से मेरी मां कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं’
बाद में, एक पारिवारिक डॉक्टर ने उनकी जांच की और कहा कि उन्हें कोई आंतरिक या बाहरी चोट नहीं लगी है और वह ठीक हैं. राहत महसूस कर रहे प्रसाद वर्तक ने आईएएनएस को बताया कि वर्षों से मेरी मां कई स्वास्थ्य समस्याओं, मोटापा, मधुमेह, हड्डियों की समस्याओं, गंभीर अनिद्रा, सांस लेने में कठिनाई, पीठ की समस्याओं, गतिशीलता आदि से पीड़ित हैं. हम पड़ोस की इमारत में रहते हैं, लेकिन उनकी देखभाल के लिए एक पूर्णकालिक नर्स है. लेकिन वह भी उसे अकेले नहीं संभाल सकती.

’12 वर्षों में, वह कम से कम 35-40 बार गिरी हैं’
चूंकि नींद की दवा खाने के बाद भी छाया वर्तक को नींद नहीं आती, इसलिए वह उठकर बिस्तर पर बैठ जाती है और कुछ देर बाद झपकी लेने लगती हैं. इसी क्रम में वह अपना संतुलन खो देती हैं और फर्श पर गिर जाती हैं. वर्तक ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब उनकी मां गिरी हैं. पिछले 12 वर्षों में, वह कम से कम 35-40 बार गिरी हैं. कभी-कभी उन्हें कुछ मामूली चोटें आईं हैं और कुछ दांत भी टूटे हैं. वर्तक ने कहा कि वह पिछले सोमवार को भी गिर गई थी, लेकिन मैंने कुछ सुरक्षाकर्मियों को बुलाया और हम सभी उसे वापस बिस्तर पर लिटाने में कामयाब रहे. आज त्योहार के कारण आसपास कोई नहीं होने से पहली बार हमें मजबूर होकर अधिकारियों की मदद लेनी पड़ी.

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