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Hundreds Of Local Terrorists Sheltered In PoK To Lose Their Jammu Kashmir Assets – बख्शे नहीं जाएंगे पाकिस्तान में शरण लेने वाले जम्मू-कश्मीर के आतंकी, सबकी संपत्ति होगी कुर्क


बख्शे नहीं जाएंगे पाकिस्तान में शरण लेने वाले जम्मू-कश्मीर के आतंकी, सबकी संपत्ति होगी कुर्क

जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन दशकों में मुठभेड़ों के दौरान सुरक्षा बलों ने 23,000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है.

राजौरी:

पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir) में शरण लेने वाले सभी स्थानीय आतंकियों पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने  ने कहा कि उन सभी स्थानीय आतंकवादियों की संपत्ति जब्त की जाएगी, जो केंद्रीय शासित जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के मूल निवासी हैं और पनाह लेने के लिए पाकिस्तान भाग गए हैं. राजौरी में एक मीडिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि पुलिस के पास उन आतंकवादियों की एक सूची है, जो जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय थे और फिर शरण लेने के लिए पाकिस्तान भाग गए.

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डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, “उनकी संपत्तियां कुर्क की जा रही हैं और ये प्रक्रिया जारी रहेगी. इन आतंकियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है, क्योंकि ये नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार बैठकर आतंकवाद को बढ़ावा देते रहते हैं. डीजीपी ने कहा उन आतंकियों के लिए कोई दया नहीं होगी. अगर उन्होंने वापस आने की कोशिश की तो उन्हें मार दिया जाएगा. ये लोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिशों के पीछे हैं. 9 से 12 आतंकवादी, जिनमें से अधिकांश विदेशी हैं, राजौरी-पुंछ रेंज में सक्रिय हैं.”

डीजीपी ने कहा “हमारे पास इनपुट है कि वे घाटी के कुलगाम-शोपियां जिलों से जम्मू संभाग के राजौरी-पुंछ जिलों की ओर बढ़ रहे थे. उनमें से तीन मारे गए हैं और अन्य की तलाश जारी है. पहाड़ों से फिसलकर आया एक आतंकवादी रियासी में मृत पाया गया. पुलिस प्रमुख ने कहा, “एक और व्यक्ति राजौरी मुठभेड़ में मारा गया और तीसरा रियासी मुठभेड़ में मारा गया, जहां ऑपरेशन अभी भी जारी है.”

डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, “एलओसी पार से आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिशों को सफल नहीं होने दिया जाएगा.  ग्राम रक्षा समितियां (वीडीसी) आतंकवाद विरोधी अभियानों में बड़ी भूमिका निभा रही हैं. घुसपैठ की सभी बड़ी कोशिशों को नाकाम कर दिया गया है.” उन्होंने आगे कहा, “सीमा ग्रिड को और मजबूत करने के लिए एलओसी पर सेना के साथ कुछ बिंदुओं पर पुलिस तैनात करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि जब तक सीमा पार से नशीले पदार्थों की खेप भेजी जाती रहेगी, नशीले पदार्थों की तस्करी पर लगाम लगाने की चुनौती बनी रहेगी.”

डीजीपी ने कहा कि नशीले पदार्थों का कारोबार करने वाले गिरोह के सदस्यों के रूप में काम करने वाले कुछ सीमावर्ती निवासियों की कड़ी कार्रवाई के लिए पहचान की जा रही है.

ज्यादातर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फिर से तैयार हो गए हैं. पिछले तीन दशकों में इस क्षेत्र में मुठभेड़ों के दौरान सुरक्षा बलों ने 23,000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है. 2010 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने पीओके से लौटने के इच्छुक लोगों के लिए “आत्मसमर्पण और पुनर्वास” नीति की घोषणा की थी. लगभग 300 लोग अपने परिवारों के साथ वापस आ गए लेकिन माना जाता है कि 4000 से अधिक लोग अभी भी शिविरों में हैं.

मुठभेड़ों के अलावा राष्ट्रीय जांच एजेंसी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां आंतकी संगठनों की फंडिंग को रोकने के लिए उनके ठिकानों को निशाना बना रही हैं. आतंकवादी बनने के लिए पीओके में आए जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों की संपत्ति कुर्क करना नए कदम के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.

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