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India And Bharat Name Controversy SP Chief Akhilesh Yadav Targeted BJP And Said Change Its Name First


India Name Change Row: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जी20 के आयोजन की तैयारी जोरो-शोरों पर चल रही है. इसी दौरान सामने आए राष्ट्रपति के डिनर निमंत्रण पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा होने पर देश का नाम बदले जाने पर राजनीति तेज हो गई है. पूरा विपक्ष इसे लेकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहा है. फिलहाल अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने देश का नाम बदले जाने की चर्चाओं के बीच बीजेपी को अपना नाम बदलने की सलाह दे दी है.

दरअसल ज्यादातर बीजेपी नेताओं का कहना है कि इंडिया नाम अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान देश को दिया था. उनका कहना है कि अंग्रेजों का दिया गया नाम गुलामी की मानसिकता को दर्शाता है. ऐसे में वह नाम बदलने की कवायद का समर्थन कर रहे हैं. इसी बीच अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बीजेपी को उसके नाम से अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘पार्टी’ को निकालकर ‘दल’ किए जाने की सलाह दे डाली है.

अखिलेश ने बीजेपी को दी पार्टी का नाम बदलने की सलाह

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ऑफिशियल एक्स (ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है, फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अपने नाम में से अंग्रेज़ी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर अपना नाम भाजपा से भाजद कर देना चाहिए.’

देश का नाम बदलने को लेकर मचा घमासान

इस पोस्ट के साथ ही अखिलेश यादव ने हैशटैग करते हुए ‘नहीं चाहिए भाजद’ लिखा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता हैं और अक्सर बीजेपी का विरोध करते नजर आते हैं. फिलहाल इन दिनों देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर ‘भारत’ किए जाने की संभावना के बीच राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां बीजेपी का विरोध करती नजर आ रही हैं. देश का नाम India से बदलकर भारत किए जाने की संभावना के बीच सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि देश का नाम बदलने की सोच संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का विरोध करने के बराबर है.

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