News

Aditya-L1 Solar Mission Inserted In Leo Orbit Route Of Aditya L1


Aditya-L1 Mission Launch: आदित्य एल 1 को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है. अंतरिक्ष यान फिलहाल पृ्थ्वी की अंडाकार कक्षा में स्थापित है और पृथ्वी का चक्कर काट रहा है. इसरो के मुताबिक, आदित्य फिलहाल पृथ्वी की चक्कर काटते हुए कुछ दिन तक अपनी कक्षा को बढ़ाएगी. फिलहाल आदित्य एल-1 पृथ्वी 235×19500 किलोमीटर की ऑर्बिट में है. 235 किलोमीटर पेरिजी है, यानी ऑर्बिट के दौरान सबसे नजदीक बिंदु और अपेजी 19,500 किलोमीटर है, ये बिंदु सबसे दूर है. 

‘आदित्य एल-1 के सफर का रोडमैप’

लांचिंग के बाद आदित्य एल-1 16 दिनों तक धरती का चक्कर लगाएगा और एल-1 तक पहुंचने के लिए लगातारअपनी गति बढ़ाएगा. इस दौरान सैटेलाइट की ऑर्बिट को 5 बार बदला जाएगा. इसके बाद आदित्य स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला जाएगा, इस प्वाइंट को धरती का एग्जिट प्वाइंट कहा जाता है, क्योंकि यहां के बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव काफी कम हो जाएगा. 

स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से निकलने के बाद क्रूज फेज की शुरुआत होगी, यहां से आदित्य एल-1 लैंग्रेज प्वाइंट की तरफ अपना रूख करेगा. फिर हैलो ऑर्बिट की ओर आदित्य एल-1 जाएगा, यहां कुछ मैन्यूवर के बाद अंतरिक्ष यान एल-1 की कक्षा में दाखिल होगा. 

पूरे सफर में यूरोपियन स्पेस एजेंसी अहम मदद देगा

आदित्य-एल1 की ग्राउंड सपोर्ट में यूरोपियन स्पेस एजेंसी सबसे प्रमुख एजेंसी है. ईएसए ने कहा कि वे इस मिशन की लॉचिंग से लेकर मिशन के एल-1 प्वाइंट पर पहुंचने तक सपोर्ट देंगे. साथ ही अगले दो साल तक वे आदित्य एल 1 को कमांड भेजने में भी मदद करेंगे. 

इसके अलावा ‘कक्षा निर्धारण’ सॉफ़्टवेयर में भी यूरोपियन स्पेस एजेंसी की मदद ली जा रही हैं. इस सॉप्टवेयर के जरिए आदित्य एल-1 की रियल टाइम जानकारी मिलती रहेगी. 

ये भी पढ़ें:
सूर्य का ‘दिन’ कितने घंटे का? क्या सूरज के बिना जीवन संभव? ये 10 तथ्य जानना आपके लिए बेहद जरूरी



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *