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4 जून को पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी पर पीएम मोदी ने क्या कहा?


Narendra Modi Exclusive Interview : 4 जून 400 पार का लक्ष्य लेकर आम चुनाव में उतरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एनडीटीवी (NDTV) को एक और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में पीएम मोदी बहुमत से सरकार में वापसी को लेकर आश्वस्त नजर आए. देश के इतिहास में अब तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ही लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने हैं. 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी इस रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. देश के पहले प्रधानमंत्री के साथ अपनी तुलना और रिकॉर्ड की बराबरी को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि तुलना ही करनी है तो ये कीजिए कि देश मोदी के कालखंड में कहां पहुंचा? बाकी तो एक यात्रा है मोदी की.   

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पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “गुजरात में मेरे लिए ‘लांगेस्ट सर्विंग चीफ मिनिस्टर आफ द स्टेट’ लिखा जाता था. ये एनालिसिस करने वाले लोगों का काम है. मेरा काम मोदी ने क्या पाया? कहां पहुंचा? वो है ही नहीं. मेरी कंपैरिजन करनी है तो ये करिए कि मोदी के कालखंड में देश कहां पहुंचा? चर्चा देश की करिए. मोदी तो तीन बार भी जीतेगा, पांच बार भी जीतेगा, सात बार भी जीतेगा.. 140 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है तो ये तो चलता रहेगा.. ये तो एक यात्रा है मोदी की.”



पीएम मोदी को कहां से मिलती है ऊर्जा?
लगातार कई-कई घंटे काम करने और प्रचंड गर्मी में भी कई-कई चुनावी जनसभाओं को संबोधित करने वाले पीएम मोदी से जब ये पूछा गया कि आखिर इतनी ऊर्जा उन्हें मिलती कहां से है तो प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा 15 साल की उम्र के बाद का समय ऐसे ही परिश्रम से गुजरा है. कठिनाइयों में जीने की आदत से गुजरा है. सुख-सुविधा से मेरा कोई लेना-देना नहीं रहा है, क्योंकि मैंने जब भी जो काम मुझे मिला तो उसको एक कर्तव्य के भाव से और कुछ सीखने के इरादे से मैं करता रहा हूं. जब आप जीवन भर एक विद्यार्थी अवस्था में होते हैं तो मन से आप हमेशा फ्रेश रहते हैं. आपको हर बार नई चीज सीखने की इच्छा रहती है. शरीर की रचना में मन की अवस्था का बहुत महत्व होता है. मेरे केस में मेरे भीतर का विद्यार्थी जीता रहता है. बिल्कुल ही जीवंत है तो हर बार कुछ नया सीखने-समझने की मेरी इच्छा रहती है.” 

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“काम में मन लगे तो थकान नहीं”
काम में मन लगने की बात को समझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, दो उदाहरण मैं देता हूं. एक कंप्यूटर ऑपरेटर है. वह दिन भर उंगली का खेल खेलता है, लेकिन शाम को जब नौकरी से घर जाता है तो पहुंचते ही अपना बैग फेंक देता है. उसकी उम्र भले ही 50 साल से कम हो, लेकिन उसे खूब थकान होती है. वहीं एक सितार वादक होता है. वह भी उंगली का ही खेल करता है. 80 साल के बाद भी वह एकदम फ्रेश लगता है. इन दोनों में फर्क क्या है? फर्क मन की रचना का है और इसलिए अगर आप जीने का विज्ञान जानते हैं और दुनिया जैसे जीती है वैसे जीने की आदतों से बचते हैं तो मैं नहीं मानता हूं कि कोई संकटों से गुजरना पड़ता है. जब काम पूरा होता है तब थकान उतर जाती है, काम पड़ा रहता है तब थकान लगती है. 





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