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1996 का वो वक्त: देश के तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव के नाम रतन टाटा की चिट्ठी, पढ़िए क्या लिखा था



मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा नहीं रहे. हाल ही में उनका निधन हो गया. रतन टाटा वो शख्स थे जो हर किसी के दिल में रहते थे. यही वजह है कि अब तक उनका जाना बहुत खल रहा है. अलग-अलग तरह से लोग उन्हें याद कर रहे हैं. अब आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन और बिजनेसमैन हर्ष गोयनका ने रतन टाटा को याद करते हुए उनके उस लेटर (Ratan Tata Letter To PM Narsimha Rao) की तस्वीर शेयर की है, जो उन्होंने साल 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहा राव को लिखा था. यह पत्र 27 अगस्त 1996 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री के नाम लिखा गया था. हर्ष गोयनका ने इस पत्र को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है- शानदार इंसान की खूबसूरत लिखावट.

रतन टाटा ने अपने पर्सनल लेटर में भारत के लिए बहुत ही अहम आर्थिक सुधारों को लागू करने में पीएम राव की “उत्कृष्ट उपलब्धि” के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया था. दरअसल 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदलने और इसे सुधार और परिवर्तन के रास्ते पर ले जाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को ‘भारतीय आर्थिक सुधारों का जनक’ कहा जाता है.

भारत को वैश्विक समुदाय का हिस्सा बनाने के लिए नरसिम्हा राव की तारीफ करते हुए रतन टाटा ने लिखा, “भारत के साहसी और दूरदर्शी “खुलेपन” के लिए हर भारतीय को आपका आभार व्यक्त करना चाहिए.” इस चिट्ठी ने देश की तरक्की के प्रति रतन टाटा की अटूट प्रतिबद्धता की याद दिला दी है.  इस चिट्ठी को शेयर करते हुए हर्ष गोयनका ने बहुत ही खूबसूरत का कैप्शन लिखा है. रतन टाटा ने चिट्ठी में क्या लिखा था, पढ़िए.

“डियर मिस्टर नरसिम्हा राव,

जैसा कि मैंने हाल ही में आपके प्रति कठोर संदर्भों की श्रृंखला पढ़ी, मुझे आपको यह बताने के लिए लिखने को मजबूर होना पड़ा कि हालांकि दूसरों की यादें कम हो सकती हैं, मैं भारत में बहुत जरूरी आर्थिक सुधारों की शुरुआत में आपकी उत्कृष्ट उपलब्धि को हमेशा याद रखूंगा और उसका सम्मान करूंगा. आपने और आपकी सरकार ने भारत को आर्थिक दृष्टि से वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया और हमें वैश्विक समुदाय का हिस्सा बनाया. भारत के साहसी और दूरदर्शी “खुलेपन” के लिए हर भारतीय को आपका आभारी होना चाहिए. व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना ​​है कि आपकी उपलब्धियां अहमऔर उत्कृष्ट हैं – और उन्हें कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए.

इस चिट्ठी का मकसद सिर्फ आपको यह बताना है कि इस समय मेरे विचार और शुभकामनाएं आपके साथ हैं. आपके पास कम से कम एक व्यक्ति ऐसा होगा जो भारत के लिए आपने जो किया है उसे न तो कभी भूला है और न कभी भूलेगा.

हार्दिक व्यक्तिगत शुभकामनाओं के साथ,सादर रतन टाटा"

रतन टाटा ने चिट्ठी में साफ लिखा था कि ये विचार उनके निजी विचार हैं. यह चिट्ठी 27 अगस्त 1996 को टाटा ग्रुप के हेड ऑफिस बॉम्बे हाउस के एक कागज़ पर लिखी गई थी.
 







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