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1760 Crore Banned Material Seized In Election States Misuse Of Money Power Increased Seven Times: ADR – चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ की प्रतिबंधित सामग्री जब्त, सात गुना बढ़ा मनी पॉवर का दुरुपयोग : ADR


चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ की प्रतिबंधित सामग्री जब्त, सात गुना बढ़ा 'मनी पॉवर' का दुरुपयोग : ADR

नई दिल्ली:

चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स/इलेक्शन वॉच ने आगाह किया है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान मनी पॉवर और मसल (Muscle) पॉवर का दुरुपयोग काफी बढ़ गया है. सोमवार को चुनाव आयोग ने एक रिलीज़ जारी कर कहा था कि इन पांचों राज्यों में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब तक 1760 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित सामान पकड़े गए हैं.

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स/इलेक्शन वॉच की प्रोग्राम और रिसर्च ऑफिसर शैली महाजन ने एनडीटीवी से कहा, “2018 में इन पांचों राज्यों में हुए चुनावों के दौरान करीब 239.15 करोड़ की प्रतिबंधित सामग्री ज़ब्त की गई थी. यानी पिछले पांच साल में ये सात गुना तक बढ़ गए हैं, जो चिंता की बात है. यह साफ दर्शाता है कि चुनाव में मनी पावर और मसल पावर का इस्तेमाल बढ़ रहा है.”

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स/इलेक्शन वॉच के मुताबिक पिछले साल भी गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक समेत छह राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पकड़े गए प्रोहिबिटेड सामानों की वैल्यू करीब 1400 करोड़ थी, जो 2017 में इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के मुकाबले ग्यारह गुना ज़्यादा थी. ज़ाहिर है, पिछले कुछ सालों के दौरान इलेक्शन कमीशन का रिपोर्टिंग मैकेनिज्म भी ज़्यादा कारगर हुआ है.

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही चुनावों में प्रतिबंधित सामानों की ज़ब्ती बढ़ती जा रही है. पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान प्रतिबंधित सामानों की कुल ज़ब्ती 3400 करोड़ के आसपास थी, जबकि इस साल सिर्फ 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के दौरान ज़ब्ती 1760 करोड़ तक हो चुकी है. ये दिखाता है कि मनी पॉवर का इस्तेमाल चुनावों में लगातार बढ़ता जा रहा है.

शैली महाजन के मुताबिक इन चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या काफी ज़्यादा है, ये समस्या की एक बड़ी वजह है.

कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए

इलेक्शन वॉच के मुताबिक ज़ब्त किये गए सामानों और पैसे से जुड़े आपराधिक मामलों में आगे क्या कार्रवाई की गयी, इसकी जानकारी भी पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक केस चल रहा है. अगर किसी उम्मीदवार का दोष साबित होता है, तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है, इसकी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए. इलेक्शन वॉच ने इस बारे में एक RTI फाइल किया था, लेकिन इसका कोई जवाब अभी तक नहीं आया है कि इस तरह के आपराधिक मामलों से जुड़ा डाटा कौन मेन्टेन करता है.



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