हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को ‘आप’ ने नहीं अपनों ने हराया
नई दिल्ली:
Haryana Election results 2024: हरियाणा में कांग्रेस (Congress) की हार की वजहों पर खूब चर्चा हो रही है. कुछ का मानना है कि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन कर लेना चाहिए था, लेकिन यदि आप आंकड़ों को ठीक से देखेंगे तो पता चलता है कि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी (आप) ने नहीं अपने आदमियों ने हराया है. पूरे हरियाणा की 90 सीटों में से केवल 4 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी को कांग्रेस से अधिक वोट मिले हैं. यह सीटें हैं डबवाली, उंचाकलां, आसंध और रनियां.
आंकड़े यह भी बताते हैं कि हरियाणा की 90 में से 14 ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस की हार-जीत के अंतर से अधिक वोट निर्दलीय उम्मीदवार को मिले हैं. इनमें से 9 कांग्रेस के बागी हैं. यानी कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह खुद उसके बागी हैं.
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि पार्टी हार के कारणों पर मंथन करेगी, मगर क्या कांग्रेस आलाकमान को मालूम नहीं था कि हरियाणा में कांग्रेस के पास पिछले 12 सालों से जिलों और उससे नीचे ब्लॉक में कोई अध्यक्ष ही नहीं है, बूथ लेवल कमेटी की बात तो छोड़ ही दीजिए. जबकि कांग्रेस में संगठन के प्रमुख केसी वेणुगोपाल हैं जो राहुल गांधी के सबसे करीबी हैं.
हार की बड़ी वजह हरियाणा के नेताओं में सिर फुटौव्वल को भी दिया जा रहा है. अलग-अलग नेताओं की बयानबाजी… किसी का प्रचार में ही नहीं जाना.. राहुल गांधी ने मंच पर इन नेताओं के हाथ तो मिलवा दिए मगर उनका दिल नहीं मिल पाया. यहां बात भूपिंदर सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की हो रही है.
कांग्रेस को इस वक्त अहमद पटेल की कमी खल रही है, जो सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव थे और कांग्रेस में अलग-अलग धड़ों को एक साथ लेकर चलते थे. वे सबको साथ रखते थे. राहुल के पास अहमद पटेल के कद का कोई नेता नहीं है जो सबकी सुने और सबको साथ चलने पर मजबूर करे.
बीजेपी से कांग्रेस को बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है कि कैसे चुनाव के दौरान भी गलतियों को सुधारा जा सकता है. हरियाणा में बीजेपी ने अपने पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को ही गायब कर दिया. बीजेपी ने हरियाणा चुनाव को पूरी तरह से लोकल यानी स्थानीय रखा. कांग्रेस हरियाणा हार भी सकती है यह किसी को विश्वास नहीं हो रहा. यानी अतिआत्मविश्वास कांग्रेस को ले डूबा. हरियाणा की हार के बाद अब कांग्रेस के ऊपर बाकी जगह सहयोगी दल दबाव बनाएंगे, जैसे कि महाराष्ट्र और झारखंड में. अब कांग्रेस के सहयोगी दल बढ़िया सौदेबाजी करने की हालत में हैं.
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