विकास की राह पर देश, आर्थिक सर्वे से निकले संदेश… एक्सपर्ट्स से समझिए आम बजट कितना होगा खास?
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार (23 जुलाई) सुबह 11 बजे आम बजट पेश करेंगी. सीतारमण (Nirmala Sithraman) के इस नए बजट की तरफ पूरे देश की नजर है, क्योंकि किसानों अपनी दोगुनी इनकम का इंतजार है. जबकि मैनुफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर लघु, कुटीर उद्योग से जुड़े लोग सरकार से ज्यादा मदद की आस लगाए बैठे हैं. महिलाएं भी सीतारमण के पिटारे से अपने लिए सौगातें चाहती हैं. बजट (Budget 2024) से पहले वित्त मंत्री ने सोमवार को देश की आर्थिक हालत का लेखा-जोखा संसद में पेश किया. आर्थिक सर्वे में मजबूत अर्थव्यवस्था की झलक मिली. सर्वे (Economic Survey) से ये मैसेज दिया गया कि देश विकास की राह पर तेजी से चल पड़ा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बजट में भी इसकी छाप दिखेगी. इस बार का आम बजट बहुत खास होने वाला है.
वित्त मंत्री ने जो आर्थिक सर्वे पेश किया, उसके 5 अहम पहलू हैं:-
पहला- 2024-25 के वित्तीय वर्ष में देश का GDP रेट 6.5 से 7% के बीच रहने का अनुमान है.
दूसरा– महंगाई पर कंट्रोल होगा.
तीसरा- चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) में भी सुधार होगा.
चौथा- बैंकिंग सिस्टम और मजबूत होगा.
पांचवां- LPG और डीजल पेट्रोल की घटी कीमतों से आर्थिक सेहत मजबूत होगी.
महंगाई पर भी लगेगी लगाम
आम लोगों के लिए रोजगार के बाद सबसे बड़ा सवाल महंगाई का है. उस महंगाई पर भी आर्थिक सर्वे में चर्चा की गई है. ये माना गया है कि वैश्विक स्तर पर युद्ध और तनाव का माहौल जहां महंगाई बढ़ाने वाला एक कारक बना. वहीं, मॉनसून की अनिश्चितता से भी स्थिति खराब हुई. फिर भी सरकार ने आर्थिक सर्वे में कहा है कि वित्त वर्ष 23 में औसत 6.7% के बाद रिटेल महंगाई दर वित्त वर्ष 24 में घटकर 5.4% हो गई.
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रसोई गैस और डीजल पेट्रोल की कीमतों में कमी के आसार
सरकार के पास लोगों को राहत देने के लिए पिछले दिनों एक बड़ा मुद्दा रहा, वो था रसोई गैस और डीजल पेट्रोल की कीमतों में कमी होना. आर्थिक सर्वे में माना गया है कि सरकार ने LPG, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की. इसी साल मार्च महीने में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई, जिसके कारण रिटेल ईंधन महंगाई दर वित्त वर्ष 24 में नीचे बनी रही.
आर्थिक सर्वे में क्या है खास?
-जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिशन मोड में भारत
-सर्विसेज़ एक्सपोर्ट 4.9% बढ़कर 341 अरब डॉलर
-वित्त वर्ष 2024 में रिटेल ईंधन महंगाई कम रही
-2026 में महंगाई दर 4.2% रहने का अनुमान
-वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर 4.5% रहने की उम्मीद
-खुदरा महंगाई दर 2023 में 6.7%, 2024 में 5.4%
-शेयर बाज़ार का मार्केट कैपिटलाइजेशन काफ़ी बढ़ा है
-प्राइवेट कैपिटल मार्केट से 10.9 लाख करोड़ की पूंजी जुटाई
-वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में
-कोरोना काल के बाद 20% बढ़ी वास्तविक GDP
-इस साल में GDP ग्रोथ 6.5% से 7% का अनुमान
-वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तविक GDP 8.2%
-2047 तक ऊर्जा की ज़रूरत 2.5 गुनी हो जाएगी
-2022-23 में बेरोज़गारी दर घटकर 3.2%
-5 साल में EPFO के तहत नेट पे-रोल में दोगुनी बढ़ोतरी
-कुल वर्कफोर्स में से क़रीब 57% स्वरोजगार
-हर साल 78.5 लाख रोज़गार देने की ज़रूरत
-नौकरियां पैदा करने में कॉर्पेरेट सेक्टर की भूमिका बढ़े
-2023-24 में स्थिर मूल्यों पर कृषि बढ़ोतरी दर 1.4%
-स्मार्ट एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी अपनाने पर ज़ोर
-डिजिटल कृषि मिशन, ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार जैसी पहल
-2024 में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों का शानदार प्रदर्शन
-चालू खाता घाटा 0.7% प्रतिशत कम हुआ
-प्राइवेट सेक्टर और PPP पर फ़ोकस
-2030 तक भारत को ग्लोबल ड्रोन हब बनाने पर ज़ोर
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आर्थिक सर्वे को लेकर क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश की आर्थिक सेहत अच्छी है, तो क्या इसे संकेत माना जाए कि सरकार नौकरी पेशा लोगों को टैक्स में राहत दे सकती है? इसके जवाब में एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, “आर्थिक सर्वे से बजट का बहुत ज्यादा लिंक होता नहीं है. आर्थिक सर्वेक्षण चीफ इकोनॉमिक ऑफिस की ओर से पब्लिश होते हैं. इसमें देश की माली हालत को पेश किया जाता है. सर्वे में कहा है कि सरकार को अपना कंट्रोल कम करना चाहिए. इसमें काफी भलाई है. लेकिन हकीकत में ये सब चीजें बहुत जल्दी लागू नहीं होती हैं. लिहाजा आर्थिक सर्वे की बातों को बजट से डायरेक्ट लिंक करना मेरे ख्याल से बहुत फायदेमंद नहीं होगा.”
कौन-कौन से सेक्टर हैं, जहां लगता है कि सरकार को अपना कंट्रोल कम करना चाहिए? इसके जवाब में नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, “आर्थिक सर्वे में पावर कम करने की बात से मतलब लाइसेंसिंग पॉलिसी में ढील देना है. खासतौर पर MSME सेक्टर में नियमों में ढील की उम्मीद की जा रही है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग से जुड़े लोगों की क्षमता कम होती है. लिहाजा वो इतने नियमों का पालन नहीं कर पाते. लिटिगेशन में उनका काफी समय बर्बाद होता है. उनकी देयता पर सवाल उठते हैं. इसलिए अगर इन नियमों को कम कर दें, तो MSME को सीधा फायदा पहुंचेगा.”
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बजट में महिलाओं और MSME पर रहेगा फोकस
IMF की पूर्व अधिकारी प्राची मिश्रा कहती हैं, “हमारी इकोनॉमी की परफॉर्मेंस ओवरऑल काफी इंप्रेसिव रही है. वित्तीय वर्ष 2024 की बात करें, तो ग्रोथ रेट 8% से ज्यादा रहा. साफ है कि दूसरे देशों में हलचल के बीच हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है. डोमेस्टिक इकोनॉमी में भी काफी शॉर्ट्स हुए. आने वाले समय में हम कैसे और बेहतर कर सकते हैं. साथ ही ये भी जरूरी है कि हम कैसे इस ग्रोथ रेट को बनाए रखें. इसमें मैन्युफैक्चरिंग का बहुत बड़ा रोल है.”
प्राची मिश्रा कहती हैं, “इस बजट में सरकार ने छोटी-छोटी चीजें बताई हैं. जैसे कितना लैंड इंवेस्टमेंट है. छोटे निवेशकों के लिए क्या है. सरकार महिलाओं को लेबर फोर्स में और ज्यादा लाना चाहती है. MSME मंत्रालय को इसे समय पर लागू करना है. ये एक बड़ी चुनौती है.”