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वसुंधरा पर गहलोत का 'नो एक्शन', पायलट भी निपटे; राजस्थान पॉलिटिक्स के 5 रहस्य, जिससे पर्दा उठना बाकी



<p style="text-align: justify;">राजस्थान के मुख्यमंत्री और जादूगर के नाम से मशहूर अशोक गहलोत ने हाल ही में एक रहस्य का जिक्र किया है. जोधपुर के एक कार्यक्रम में गहलोत ने कहा कि कोर्ट में हमारे ही वकील ने संजीवनी घोटाले में मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट दे दिया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">गहलोत ने आगे कहा- यह अब तक रहस्य बना हुआ है कि आखिर जांच एजेंसी के पास पुख्ता सबूत होने के बाद भी हमारे वकील ने कोर्ट में शेखावत को निर्दोष कैसे बता दिया?&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले राजस्थान सरकार की ओर से पैरवी करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में कहा था कि संजीवनी घोटाले में मोदी सरकार के मंत्री का कोई हाथ नहीं है, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद शेखावत को आरोपी बता चुके हैं.<br />&nbsp;<br />गहलोत शासन का यह पहला मामला नहीं है, जो रहस्य के घेरे में है. सरकार के 5 साल में ऐसे कई केस सामने आए हैं, जिसके सवालों पर से पर्दा नहीं उठा. आइए इस स्टोरी में उन्हीं केसों के बारे में विस्तार से जानते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>1. किसके कहने पर कांग्रेस के 85 विधायकों ने इस्तीफा दिया?</strong><br />तारीख 25 सितंबर 2022. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर राजस्थान में अशोक गहलोत के आवास पर विधायकों की मीटिंग होने वाली थी. इस बैठक में कांग्रेस के सभी विधायक एक लाइन का प्रस्ताव पास करते कि मुख्यमंत्री पर फैसला हाईकमान करेगा.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">कहा जाता है कि यह प्रस्ताव अगर पास हो गया होता, तो अशोक गहलोत की कुर्सी चली जाती.</p>
<p style="text-align: justify;">तय समय पर बैठक में सोनिया गांधी के भेजे ऑब्जर्वर भी पहुंच गए, लेकिन 85 विधायकों ने बगावत कर दी. सभी विधायक गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल के यहां पहुंच गए. यहीं से विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को भेज दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">विधायकों की इस बगावत को कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने अनुशासनहीनता माना. इसकी जांच कांग्रेस के अनुशासन समिति को सौंपी गई और मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी समेत 4 लोगों पर तुरंत कार्रवाई की सिफारिश की गई.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, घटना के 11 महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. राजस्थान के सियासी गलियारों में आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर इन 85 विधायकों ने किसके कहने पर बगावत की?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2. गहलोत और वसुंधरा में क्या है सियासी सांठगांठ?</strong><br />2018 से पहले सचिन पायलट के साथ मिलकर अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे पर&nbsp; भ्रष्टाचार का जमकर आरोप लगाया. सरकार आने पर सभी मामलों की जांच कराने की बात भी कही, लेकिन वसुंधरा पर गहलोत सरकार में कोई कार्रवाई नहीं हुई.</p>
<p style="text-align: justify;">वसुंधरा पर कार्रवाई की मांग का मुद्दा पार्टी नेता सचिन पायलट ने ही उठाया था. पायलट ने जयपुर में इसको लेकर धरना भी दिया था. उनका कहना था कि वसुंधरा पर कार्रवाई न कर पब्लिक को गलत संदेश दे रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद वसुंधरा के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की बात कही गई थी. हालांकि, 3 महीने बाद भी वसुंधरा पर कोई एक्शन नहीं हुआ. उलटे मुख्यमंत्री ने वसुंधरा के करीबी नेताओं को सरकार बचाने के लिए धन्यवाद भी दे दिया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">राजस्थान के सियासी गलियारों में यह अब भी रहस्य बना हुआ है कि अशोक गहलोत वसुंधरा राजे पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>3. गजेंद्र शेखावत पर सिर्फ आरोप, कार्रवाई क्यों नहीं?</strong><br />मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार अशोक गहलोत के निशाने पर रहे हैं. शेखावत जोधपुर से 2019 में गहलोत के बेटे वैभव को चुनाव हराया था. 2020 में जब सचिन पायलट अपने विधायकों के साथ मानेसर गए थे, उस वक्त गहलोत ने शेखावत पर सरकार गिराने का आरोप लगाया था.</p>
<p style="text-align: justify;">शेखावत का एक कथित ऑडियो भी वायरल हुआ था. इसके बाद राजस्थान की आपराधिक शाखा ने एफआईआर दर्ज की थी. हालांकि, अब तक इस मामले में शेखावत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसी तरह संजीवनी घोटाला मामाले में गहलोत ने शेखावत पर आरोप लगाया था, लेकिन जांच एजेंसी इसे साबित करने में असफल रही है. जानकारों का कहना है कि यह भी रहस्य बना हुआ है कि आरोप लगाने वाले गहलोत शेखावत पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>4. हाईकमान के न चाहते हुए भी कैसे निपटे सचिन पायलट?</strong><br />2018 में कांग्रेस की जीत के बाद सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को सीएम की कुर्सी सौंपी. गहलोत के साथ पायलट को डिप्टी सीएम बनाया. 2020 में पायलट ने बगावत कर दी, जिसके बाद पायलट की कुर्सी चली गई.</p>
<p style="text-align: justify;">सुलह समझौते के तहत पायलट को हाईकमान ने आखिरी के 1 साल सीएम बनाने का फैसला किया, लेकिन बगावत की वजह से यह संभव नहीं हो पाया. सचिन पायलट ने जब अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला तो दिल्ली से एक बयान जारी हो गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">कहा गया कि सीनियर नेता गहलोत के साथ है. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने अशोक गहलोत की जमकर दिल्ली में तारीफ कर दी. रमेश ने सचिन के पदयात्रा को अनुशासनहीन बताते हुए कार्रवाई की बात कह दी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, राहुल और प्रियंका की वजह से यह नहीं हो पाया, लेकिन पायलट को इसके बाद दिल्ली की राह पकड़नी पड़ी. हाल में पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है. सियासी गलियारों में यह रहस्य बना हुआ है कि हाईकमान के न चाहते हुए भी पायलट कैसे निपट गए?</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;</p>



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