वक्फ बिल को लेकर मुस्लिमों को गुमराह कर रहा है विपक्ष- कानून मंत्री रिजीजू
नई दिल्ली:
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा है कि वक्फ बिल को लेकर विपक्ष मुस्लिमों को गुमराह कर रहा है. उन्होंने कहा कि सीएए के दौरान भी इस तरह की अफवाह फैलाई गई. सीएए से किसकी नागरिकता गई? रिजीजू ने कहा कि हम पूरी प्रक्रिया के तहत वक्फ बिल ला रहे हैं.
कानून मंत्री ने लोगों से अपील की कि झूठ फैलाने वालों को पहचानें. समाज में तनाव पैदा करने वालों पर नजर रखें.
उन्होंने कहा कि विपक्ष मुसलमानों को गुमराह कर रहा है. मुसलमानों के किसी भी अधिकार पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा. वे सिर्फ झूठ पर झूठ बोल रहे हैं. सरकार को मौजूदा कानून में संशोधन विधेयक लाना पड़ा क्योंकि मूल कानून तुष्टीकरण की राजनीति के कारण बनाया गया था.
लोकसभा में लंबित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दल लगातार विरोध जता रहे हैं.

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में फिर से पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून से किसी को डरना नहीं चाहिए क्योंकि नरेन्द्र मोदी सरकार संविधान के दायरे में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर रही है.
मौजूदा बजट सत्र के चार अप्रैल को समाप्त होने में केवल चार कार्य दिवस शेष रह गये हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें जेपीसी द्वारा अनुशंसित बदलावों को शामिल किया गया है, जिससे इसे चर्चा और पारित करने के लिए संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है.
जगदंबिका पाल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी जेपीसी की रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार और सबूत पेश किए गए.

रिपोर्ट में उन सभी साक्ष्यों का भी रिकॉर्ड शामिल है, जो संयुक्त समिति के समक्ष पेश किए गए थे. यह साक्ष्य विधेयक के प्रावधानों के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए अहम हैं और इनका उद्देश्य विधेयक के प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है.

जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी समिति की रिपोर्ट सौंपी है. 655 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया था. विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट को असंवैधानिक बताते हुए दावा किया था कि यह कदम वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा. वहीं, सत्ता पक्ष के सांसदों के अनुसार, इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी. जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई थी.