‘वक्फ कानून वापस हो’… दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद की बैठक, देशभर में प्रदर्शन की तैयारी

नई दिल्ली:
वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों में नाराजगी है. इसको लेकर सियासी बयानबाजी भी हो रही है. इस बीच, सोमवार (14 अप्रैल) को जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय पर इसके सदस्यों की बड़ी बैठक हुईं, जिसमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर चर्चा की गईं. बैठक में वक्फ से जुड़ी क़ानूनी पहलुओं पर मंथन किया गया और यह रणनीति बनाई गई कि अगर सरकार ने इस कानून को वापस नहीं लिया तो आने वाले समय में इसको लेकर देश भर में प्रदर्शन किया जाएगा.
“वक्फ की संपतियों को छीनना चाहती है सरकार”
एनडीटीवी से बात करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद गुजरात के महासचिव प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी ने कहा कि मौजूद वक्फ कानून मुस्लिमों के खिलाफ है और सरकार इसके जरिये वक्फ की संपतियों को छीनना चाहती है. अंसारी ने कहा, ” हमारा सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि नए वक्फ कानून में मुस्लिमों को जो सहूलियत मिली थी वो खत्म कर दी गईं और इसलिए हम कह रहे हैं कि यह कानून मुसलमानों की हित में बिल्कुल नहीं है. “
वक्फ के कानूनी पहलुओं पर की गईं चर्चा
अंसारी ने वक्फ कानून का विरोध करते हुए कहा कि “आप वक्फ बाय यूजर की बात करते हैं, अब आपको हर एक प्रॉपर्टी के लिए डॉक्यूमेंट दिखाने पड़ेंगे और 6 महीने में दोबारा उनका रजिस्ट्रेशन कराना होगा लेकिन यह सब काम बरसों से सरकार करा रही है पर ये हो नहीं पाया तो 6 महीने में कहां से हो सकेगा”. उन्होंने बताया कि बैठक सभी सदस्यों से राय ली गईं और लीगल तौर पर कानून को लेकर क्या हो सकता है उस पर चर्चा की गई.
वक्फ कानून वापस ले केंद्र सरकार
निसार अहमद अंसारी ने कहा, “फिलहाल हमारी निगाह सुप्रीम कोर्ट पर है कि वह इस मुकदमे में क्या करती है. लेकिन हम आने वाले समय में देशभर में कानून के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और सरकार पर दबाव बनाएंगे कि किसी भी तरीके से वह इस कानून को वापस ले. हालांकि हम अपनी बातों को शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से रखेंगे.”
सरकार दो बातें कर रही है: अंसारी
पसमांदा मुसलमानों को लेकर भी अंसारी ने केंद्र सरकार पर हमला किया और कहा कि अगर सरकार को इनकी इतनी ही फ़िक्र थी तो मौलाना आजाद एजुकेशनल फाऊंडेशन की प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप मुस्लिम बच्चों को मिलती थी उसे क्यों बंद कर दिया? आप दो बातें क्यों कह रहे हैं? “एक तरफ आप कहते हैं कि उनकी (पसमांदाओं) सहायता नहीं की गई इसलिए वह गरीब रह गए और दूसरी तरफ उनका जो सुविधाएं मिल रही थी उसको अपने बंद कर दिया”. उन्होंने कहा कि संविधान में साफ लिखा है कि अल्पसंख्यकों या अन्य समुदायों को अपने-अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए मुल्क में आजादी होगी, उस पर कोई कंट्रोल नहीं कर सकेगा. लेकिन आप (केंद्र सरकार) उसको नहीं मान रहे हो. इसका मतलब है कि आप संविधान को तोड़ने की बात कर रहे हो और संविधान तोड़ने का मतलब देश तोड़ना है.
“हमारी लड़ाई जारी रहेगी, चाहे कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े”
इससे पहले रविवार (13 अप्रैल) को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम देश, समाज या मुसलमानों के लिए सही नहीं है. हमारी लड़ाई जारी रहेगी, खत्म नहीं होगी, चाहे हमें कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े.