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लाओस में 31वें आसियान फोरम में शामिल हुए जयशंकर, अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर दिया जोर




नई दिल्ली:

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर आसियान बैठक में भाग लेने के लिए लाओस की राजधानी वियनतियाने पहुंचे. यहां वह 31वें आसियान क्षेत्रीय फोरम में शामिल हुए. इस संबंध में उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी. उन्होंने इस दौरान आर्थिक, राजनीतिक, टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बल दिया. 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 31वें आसियान क्षेत्रीय फोरम में कहा कि कोविड, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन आज हमारी चुनौतियों को उजागर करते हैं. समाधान केवल सहयोग के माध्यम से ही संभव है, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक, तकनीकी और कनेक्टिविटी सहयोग शामिल है.

उन्होंने कहा कि नए प्रौद्योगिकियों की तैनाती और वैश्वीकरण की अंतर्निर्भरता का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि दुनिया के लोग सुरक्षित हैं और सामान एक जगह से दूसरे जगह भेजे जा रहे हैं.

उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकटीकरणों के खिलाफ संघर्ष में मजबूती से लड़ने, आतंकवादी शरणस्थलों को ध्वस्त करने और संयुक्त राष्ट्र-प्रतिबंधित आतंकवादी वित्तपोषण नेटवर्कों को संबोधित करने और साइबर अपराध से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने आसियान की एकता, केंद्रीयता और आसियान के इंडो-पैसिफिक आउटलुक (एओआईपी) के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया और कहा कि भारत की इंडो-पैसिफिक महासागर पहल और एओआईपी के बीच सिनर्जी होनी चाहिए.

जयशंकर ने क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के महत्व को मान्यता दी और कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होना चाहिए, विशेष रूप से 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन के अनुसार.

उन्होंने कहा कि क्वाड आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के प्रयासों को पूरक बनाता है जो क्षेत्र को स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए लोगों को लाभ प्रदान करता है. भारत आसियान क्षेत्रीय फोरम की गतिविधियों में योगदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता में अटल है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)





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