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यूपी में पकड़ी गई बड़ी टैक्स चोरी, मुरादाबाद में कैसे फल-फूल रहा है जीएसटी के बोगस बिलों का धंधा



<p style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में राज्यकर विभाग की जीएसटी (एसआईबी) टीम ने प्रसिद्ध निर्यातक एंव समाजसेवी नोमान मंसूरी के आवास और फैक्ट्री पर दिन भर एक साथ छापेमारी की. हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट सोसाइटी व रोहान इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड सहित नोमान की कई फैक्ट्रियों पर राज्य कर विभाग की छापेमारी से हड़कंप मच गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">जीएसटी की एसआईबी टीम ने नोमान मंसूरी की मुगलपुरा थाना और संभल रोड पर स्थित कच्चे माल की सप्लाई फर्म में छापेमार कार्रवाई की. टीम को सूचना मिली थी कि इस फर्म में जीएसटी चोरी हो रही है. एसआईबी यूनिट ने भारी पुलिस बल के साथ यहां छापा मारा. बताया जाता है कि नोमान मंसूरी ने एक ही जगह कई फर्में परिवार के सदस्यों के नामों से संचालित कर रखी हैं, जिनमे जीएसटी के बोगस बिलों की बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गयी है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’बोगस बिलों के जरिए बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी'</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एसआईबी की टीम ने मुरादाबाद में संभल रोड पर फरीदपुर वीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित नोमान की फैक्ट्री "रॉ मैटीरियल बैंक" मुरादाबाद मेटल्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापा मारा, इस छापेमारी में टीम ने फर्म के दस्तावेजों को खंगाला और बिक्री और खरीद के रिकॉर्ड की जांच की तो जीएसटी की बड़ी चोरी पकड़ में आई है. बोगस बिलों के जरिये बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. फैक्ट्री के अलावा एसआईबी की टीम इंद्रा चौक स्थित फर्म स्वामी नोमान मंसूरी के निवास पर भी पहुंची.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">एसआईबी जोन के एडिशनल कमिश्नर आर ए सेठ के नेतृत्व में 7 अधिकारियों की टीम ने पुलिस बल के साथ दो स्थानों पर प्रपत्रों की जांच पड़ताल की, जिसमें डीसी एसआईबी बामदेव राम त्रिपाठी और असिस्टेंट कमिश्नर एसआईबी रण विजय त्रिपाठी शामिल रहे. नोमान मंसूरी, मंसूरी समाज के "जमीयत-अल-मंसूर के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी बताये जाते हैं. नोमान मंसूरी समय समय पर जीएसटी अधिकारियों, पुलिस और नेताओं के सम्मान में स्वागत कार्यक्रम अपने यहां कराते रहे हैं. आज नोमान मंसूरी के ठिकानों पर जीएसटी की छापेमार कार्यवाई पीतल कारोबारियों में चर्चा का विषय बनी रही.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>नोमान मंसूरी ने क्या कहा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">नोमान मंसूरी ने बताया कि लगभग डेढ़ करोड़ रूपये की जीएसटी की देनदारी अधिकारियों ने उनकी फर्मों पर बताई है. और कहा कि उनकी पत्नी नुजहत अहसान ने वर्ष 2022-23 में पंजाब के लुधियाना की फर्म से कच्चा माल खरीदा था तब उन्हें फर्म से ई-वे बिल मिले थे, लेकिन अब जीएसटी अधिकारियों का कहना है कि जिस फर्म से आपने माल खरीदा हुआ दर्शाया है वह फर्म तीन साल पहले ही बंद हो चुकी थीं इसलिए डेढ़ करोड़ की जीएसटी आपकी कम्पनी को भरनी पड़ेगी क्यूंकि आपने बोगस बिलों से खरीदारी की है. मंसूरी ने कहा कि हम इसके खिलाफ अपील करेंगे कि अगर कोई कंपनी कैंसिल हो चुकी थी तो उसका जीएसटी कैसे चालू था हमने जब माल खरीदा था तब कम्पनी ने कैसे हमें E-WAY बिल जारी कर दिया ? यह तो विभाग की कमी है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>राज्य कर मुरादाबाद जोन के अपर आयुक्त ने क्या बताया&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">राज्य कर मुरादाबाद जोन के अपर आयुक्त ग्रेड-1 आर ए सेठ ने कहा, ‘अभी तक जांच में 1 करोड़ 73 लाख की गड़बड़ी सामने आई है. फर्म स्वामी से टैक्स चोरी के 30 लाख रूपये जमा भी करा लिए गये हैं आगे की जांच जारी है. दो स्थानों पर 7 अधिकारियों ने पुलिस फोर्स के साथ छापेमार कार्रवाई की है अभी आगे भी इस तरह के बोगस बिलों का धंधा करने वाले टैक्स चोरों पर कार्रवाई जारी रहेगी’.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आखिर क्या है जीएसटी के बोगस बिलों का धंधा ?&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मुरादाबाद से पीतल हैंडी क्राफ्ट के उत्पादों का निर्यात बड़े पैमाने पर विदेशों में होता है जिससे विदेश करेंसी आती है इसलिए निर्यात होने वाले माल पर सरकार निर्यातकों को टैक्स की छूट देती है यही से शुरू होता है फर्जी बिलों के आधार पर टैक्स चोरी का खेल. सूत्रों के मुताबिक इस धंधे को मुरादाबादी भाषा में बिलों का काम कहा जाता है निर्यातक को सरकार से 18 प्रतिशत जीएसटी रिफंड लेने के लिए पक्के बिल चाहिए होते हैं इसलिए फर्जी कागजों के आधार पर बोगस कम्पनियां तैयार कर जीएसटी के बिल बेचने वालों के कई गैंग मुरादाबाद में सक्रिय हैं जो 5 प्रतिशत से लेकर 9 प्रतिशत के रेट पर करोड़ों रूपये का बोगस बिल जनरेट कर आगे बेच देते हैं और सरकार को कोई टैक्स जमा नहीं करते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जब कंपनी पर करोड़ों रूपये का टैक्स बकाया हो जाता है और कर विभाग की नजर पड़ती है तब संचालक इस फर्म को बंद कर गायब हो जाता है और फर्जी प्रपत्रों से किसी अन्य पते पर दूसरी फर्म रजिस्टर्ड कर लेते हैं और फिर से वही बोगस बिलों का धंधा शुरू हो जाता है. सूत्रों के मुताबिक मुरादाबाद में ऐसे 4-5 बड़े सरगना हैं जिनकी टीम में सैंकड़ों बेरोजगार युवक बोगस बिलों की सेल परचेज का धंधा कर रहे हैं, जिसमें कुछ नामचीन निर्यातकों से लेकर कारखानेदार तक भी शामिल हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">यह गैंग बेरोजगार और गरीब युवकों को पैसों का लालच देकर उनके पहचान पत्रों के आधार पर फर्जी पते से फर्म रजिस्टर्ड करा लेता है और फिर उस फर्म के नाम से बोगस बिलों का धंधा करता है. करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी के बाद उक्त युवक को अंडरग्राउंड करा दिया जाता है ताकि कोई जांच एजेंसी उस तक न पहुंच सके और टैक्स चोरी का धंधा यूं ही चलता रहता है.&nbsp;</p>
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