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म्यांमार से लेकर अफगानिस्तान तक… जानें भारत क्यों और किन-किन देशों को करोड़ों रुपये देने वाला है?



Budget 2024 : मोदी सरकार के तीसरे दौर के पहले आम बजट का हर पहलू से विश्लेषण जारी है. सरकार बजट की खूबियां गिनाने में जुटी है और विपक्ष उसमें खामियां निकालने में जुटा है. अर्थव्यवस्था से लेकर कृषि, रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा हर क्षेत्र के लिए बजट में किए गए प्रावधानों पर बात हो रही है. मगर एक क्षेत्र ऐसा भी है जिसका ज़िक्र बहुत ही कम होता है लेकिन ये क्षेत्र दुनिया में देश की प्रतिष्ठा को बनाने और बढ़ाने में बहुत अहम है. ये है विदेश सेवा का क्षेत्र. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार विदेश मंत्रालय के बजट प्रावधान में क़रीब 22 फीसदी का इज़ाफ़ा किया है.

विदेश मंत्रालय का कितना बजट?

बजट में साल 2024-25 के लिए विदेश मंत्रालय 22,155 करोड़ रुपये रखा गया है, जो 2023-24 के बजट 18,050 करोड़ से 4105 करोड़ रुपये ज़्यादा है. विदेश मंत्रालय के बजट को देखकर साफ़ लगता है कि भारत का सबसे ज़्यादा ज़ोर अपने पड़ोस पर रहेगा. बजट के मुताबिक 4,883 करोड़ रुपये भारत के पड़ोसी देशों की मदद पर खर्च किए जाएंगे. तीन पड़ोसी देशों के लिए राशि को बढ़ाया गया है, जिसमें नेपाल के लिए 700 करोड़ रुपये, श्रीलंका को 245 करोड़ रुपये और सेशेल्स के लिए 30 करोड़ रुपये का प्रावधान है. 

भूटान को क्या मिला?

सबसे ज़्यादा प्रावधान पड़ोसी देश भूटान के लिए है, जो क़रीब 2,068 करोड़ रुपये है. हालांकि पिछले साल के मुताबिक इस राशि में कुछ कमी की गई है. भूटान और भारत क़रीबी आर्थिक सहयोगी रहे हैं और विक्रम मिसरी पिछले ही हफ़्ते भूटान की राजधानी थिंपू गए थे, जहां दोनों देशों ने 4,958 करोड़ की 61 परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई. 

म्यांमार को कितना मिला?

इसके अलावा म्यांमार को 250 करोड़ रुपये, बांग्लादेश को 120 करोड़ रुपये, मंगोलिया को 5 करोड़ रुपये और मॉरीशस के लिए 370 करोड़ रुपये रखे गए हैं. मालदीव और अफ़ग़ानिस्तान की मदद के लिए रकम जस की तस है. अफ़ग़ानिस्तान के लिए 200 करोड़ रुपये और मालदीव की मदद के लिए 400 करोड़ रुपये रखे गए हैं. भारत विरोध और चीन से क़रीबी के नाम पर सत्ता में आई सरकार के बावजूद भारत ने मालदीव के विकास में मदद के लिए रकम में कोई कमी नहीं की है.





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