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म्यांमार में भारत का ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’, समझिए नाम के मायने और इसके जरिए मैसेज क्या है?



India’s Operation Brahma Details: म्यांमार में आए भीषण भूकंप से हुई मौत और तबाही के बीच भारत ने शनिवार को 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई तथा आपातकालीन मिशन ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत बचाव दलों के साथ हवाई और समुद्री मार्ग से और आपूर्ति भेजी. भारत ने म्यांमार के लिए अपने बचाव अभियान को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ नाम दिया है.  भारत की ओर से सैन्य परिवहन विमान में 15 टन आवश्यक राहत सामग्री यांगून पहुंचाने के कुछ घंटों बाद, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के दो सी130जे विमान से पहुंचे. इसी कड़ी में शनिवार को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारत का एक और सी-130 विमान म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ में लैंड हुआ. इस विमान के जरिए साथ 38 एनडीआरएफ कर्मी और 10 टन राहत सामग्री भेजी गई है.

पूर्वी नौसेना कमान से भारतीय नौसेना के जहाज सतपुड़ा और सावित्री, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के रूप में 29 मार्च 2025 को यांगून के लिए रवाना हुए हैं. इसके अलावा, अंडमान और निकोबार कमान से भारतीय नौसेना के जहाज करमुक और एलसीयू 52 भी HADR ऑपरेशन में सहायता के लिए 30 मार्च 2025 को यांगून के लिए रवाना होंगे. इन जहाजों पर लगभग 52 टन राहत सामग्री भेजी गई है, जिसमें आवश्यक कपड़े, पीने का पानी, भोजन, दवाइयां और आपातकालीन स्टोर वाले HADR पैलेट शामिल हैं. 

ऑपरेशन ब्रह्मा नाम के मायने

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत ने भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए ‘‘सबसे पहले कदम उठाने वाले” देश के रूप में काम किया है. जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं. ऐसे समय में जब हम म्यांमार सरकार और वहां के लोगों को तबाही के बाद उनके देश के पुनर्निर्माण में मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं, इस अभियान का यह खास नाम विशेष महत्व रखता है.”

म्यांमार में कितना हुआ नुकसान

म्यांमार और उसके पड़ोसी देश थाईलैंड में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का भीषण भूकंप आने से इमारतें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए. म्यांमार की सैन्य नेतृत्व वाली सरकार के अनुसार, शनिवार को भूकंप में मरने वालों की संख्या 1,644 हो गई है. घायलों की संख्या 3,408 है, जबकि भूकंप के बाद 139 लोग लापता हैं. भारत म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.

ऑपरेशन ब्रह्मा का मैसेज क्या है?

चीन लगातार भारत के पड़ोसी देशों में अपने दखल को बढ़ाता जा रहा है. पाकिस्तान तो बहुत पहले ही चीन की गोद में जा बैठा था, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश में भी चीन अपने पांव पसार रहा है. इसके कारण इन देशों के भारत के संबंधों में मधुरता तनाव में बदलती जा रही है. हालांकि, भारत लगातार पड़ोसी पहले की रणनीति के तहत सभी देशों की मदद के लिए आगे रहा है. जब-जब इन देशों पर किसी भी तरह की मुसीबत आई, भारत ने दिल खोलकर मदद की. भारत ने पाकिस्तान की आपदा में भी मदद की. भारत की कोशिश ये रहती है कि उसके पड़ोस से संबंध अच्छे रहें और सभी देश तरक्की करें. हालांकि, विदेशी हस्तक्षेप के कारण ये क्षेत्र लगातार तनाव का केंद्र बना हुआ है. म्यांमार से हालांकि, भारत के संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे हैं और वहां के सैन्य शासन ने भी उग्रवादियों पर लगाम लगाने में भारत की मदद की है. ऑपरेशन ब्रह्मा के जरिए भारत ये मैसेज दे रहा है कि वो अपने पड़ोसियों की मदद के लिए हमेशा आगे रहता है.

भारत के महत्वपूर्ण राहत मिशन

  • ऑपरेशन ब्रह्मा (2025): म्यांमार में भूकंप के बाद राहत और बचाव के लिए, जिसमें राहत सामग्री, एनडीआरएफ टीमें, और चिकित्सा सहायता भेजी गई.
  • ऑपरेशन मैत्री (2015): नेपाल में आए भूकंप के बाद बचाव और राहत कार्यों के लिए, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों को निकाला गया.
  • ऑपरेशन दोस्त (2023): तुर्की और सीरिया में भूकंप के बाद 6 टन से अधिक राहत सामग्री और एनडीआरएफ टीमें भेजी गईं.
  • ऑपरेशन गुडविल (2005): पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता के भूकंप (कश्मीर क्षेत्र) के बाद भारत ने राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता प्रदान की.
  • ऑपरेशन सुनामी राहत (2004): इंडोनेशिया, श्रीलंका और मालदीव में 9.1 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के बाद नौसेना जहाजों के ज़रिए राहत पहुंचाई गई.
  • ऑपरेशन हैती (2010): हैती में 7.0 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत शांति सेना और राहत सामग्री भेजी.
  • ऑपरेशन जापान (2011): जापान में 9.0 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के बाद भारत ने राहत सामग्री और सहायता प्रदान की.

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