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मॉरीशस से पुराना नाता, यहां की मिट्टी में हमारे पुरखों का पसीना : भारतवंशियों से बोले पीएम मोदी



मॉरीशस में पीएम मोदी ने भारतवंशियों के बीच कहा कि  10 साल पहले आज की ही तारीख को मैं मॉरीशस आया था उस साल होली एक हफ्ते पहले बीत चुकी थी। तब मैं भारत से भगवा की उमंग अपने साथ लेकर आया था। इस बार मॉरीशस से होली के रंग अपने साथ लेकर भारत जाऊंगा. पीएम मोदी ने मॉरीशस का सर्वोच्च सम्मान मिलने पर आभार जताया. मॉरीशस के लोगों ने यहां की सरकार ने मुझे अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का फैसला लिया है. मैं आपके निर्णय को विनम्रता से स्वीकार करता हूं.ये भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक रिश्तों का सम्मान है.

हम सब एक परिवार ही तो हैं – पीएम मोदी

 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं जब भी मॉरीशस आता हूं तो लगता है कि अपनों के बीच ही आया हूं. यहां की मिट्टी में कितने ही हिन्दुस्तानियों का, हमारे पुरखों का खून पसीना मिला हुआ है. हम सब एक परिवार ही तो हैं.

भारत-मॉरीशस के बीच आस्था का संबंध हमारी मित्रता का बहुत बड़ा आधार 

पीएम मोदी ने कहा कि  प्रभु राम और रामायण के लिए आस्था और भावना मैंने सालों पहले यहां अनुभव की थी, वही भावना आज भी अनुभव करता हूं. भावनाओं का वही ज्वार पिछले साल जनवरी में भी दिखा. जब अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई, जो उत्साह भारत में था, उतना ही बड़ा महोत्सव हमने मॉरीशस में देखा. उस समय आपकी भावनाओं को देखते हुए मॉरीशस ने आधे दिन की छुट्टी भी घोषित की थी. भारत मॉरीशस के बीच आस्था का ये संबंध हमारी मित्रता का बहुत बड़ा आधार है. मैं जानता हूं कि मॉरीशस के बहुत से परिवार महाकुंभ में भी होकर आए हैं. दुनिया को आश्चर्य हो रहा है कि 65 -66 करोड़ लोग आए थे. मैं ये भी जानता हूं कि कुछ परिवार आए लेकिन कुछ लोग नहीं जा पाए. मुझे आपकी भावनाओं का ध्यान है, इसलिए आपके लिए मैं महाकुंभ का उसी समय का पवित्र जल अपने साथ लेकर आया हूं. इस  पवित्र जल को यहां कल गंगा तालाब को अर्पित किया जाएगा. देखिए कैसा सुखद संयोग है. आज से 50 साल पहले भी गोमुख से गंगाजल लाया गया था और उसे गंगा तालाब में अर्पित किया गया था. अब ऐसा ही फिर होने जा रहा है. मेरी प्रार्थना है कि गंगा मां के आशीर्वाद से मॉरीशस समृद्धि की नई ऊंचाइयां छुए. 

पीएम मोदी ने सुनाया ये पुराना किस्सा

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे याद है, साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के लिए मुझे यहां आने का अवसर मिला था. तब मैं किसी सरकारी पद पर भी नहीं था, एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में यहां आया था. संयोग देखिए, कि नवीन जी उस समय भी प्रधानमंत्री थे. अब जब मैं प्रधानमंत्री बना तो नवीन जी मेरे शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे. प्रभु राम और रामायण के प्रति जो आस्था, जो भावना मैंने जो सालों पहले महसूस की थी, वह आज भी अनुभव करता हूं.





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