ब्राजील की गायों में दौड़ रहा ‘कृष्णा’ का खून, समझें भावनगर के महाराज के गिफ्ट से कैसे बनी इतनी बड़ी मिल्क इंडस्ट्री?
नई दिल्ली:
बात 1958 की है, जब ब्राज़ीलियाई पशु व्यापारी सेल्सो गार्सिया सिद ने चरवाहे इल्डेफोन्सो डॉस सैंटोस को एक बैल खोजने के लिए भारत भेजा था जो ब्राज़ीलियाई पशुधन को बढ़ा सकता था. सिड तस्वीरों को ब्राउज़ कर रहा था जब उसे कृष्णा नाम के एक बछड़े से प्यार हो गया: कृष्णा चितकबरा (लाल और सफेद रंग) था. देखने में वो बहुत ही ज्यादा प्यारा था. उसके सींग नीचे की ओर लटके हुए थे. सिद ने तुरंत इस अद्भुत बैल को खरीदने का आदेश दिया. वह 1960 की बात है जब भारत से वंडरबुल ब्राज़ील आया था.
पूरी कहानी जानिए
सेल्सो ग्रार्सिया सिड ने एक भारत में बेहतरीन सांड की खोज में आए थे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिद ने जब कृष्णा नाम के एक सांड की तस्वीर देखी तो उसे बहुत ही प्यारा लगा. रिपोर्ट के अनुसार, सांड सुनहरे लाल रंग (चितकबरा) था. वो सांड इन्हें इतना भाया कि वे उसे 1960 में ब्राजील लेकर चले गए.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णा को भावनगर के महाराजा द्वारा गिफ्ट दिया गया था.ये गिफ्ट ब्राजील के लिए काफी शुभ साबित हुआ. ब्राजील के लिए कृष्णा किसी वरदान से कम नहीं था. देखा जाए तो कृष्णा के कारण ब्राजील का मिल्क प्रोडक्शन 80 प्रतिशत बढ़ गया.
कृष्णा गिर ब्रीड का था, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में आज भी है. वर्तमान समय में देखा जाए तो गिर ब्रीड की चर्चा पूरी दुनिया में होती है. इसकी नस्ल बेहतरीन है. क्रॉसब्रीडिंग के लिए ये काफी उपयुक्त भी होता है.
गिर गायों की खासियत
गिर गाय बहुत ही बेहतरीन नस्ल की होती हैं. इन प्रजाति के गायों की खासियत है कि ये बहुत ही कम बीमार होती हैं. इनमें से कुछ ऐसी गाय होते हैं जो 20 सालों तक दूध देती हैं. इनकी मदद से ब्राजील में दूध का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है.