बिहार सिपाही भर्ती : एक नौकरी सरकारी, देखिए दौड़ ये ओलंपिक से भारी
युवाओं की यह भीड़ बताने के लिए काफी है कि देश में सरकारी नौकरी के क्या मायने हैं…
Bihar Constable Recruitment : बिहार पुलिस में सिपाही की भर्ती परीक्षा चल रही है. कुल 21,391 पदों पर चयन के लिए सात अगस्त से शुरू हुई यह परीक्षा 28 अगस्त तक जारी रहेगी. इस परीक्षा में कुल 17.87 लाख उम्मीदवारों के शामिल होने का अनुमान जताया जा रहा है. मतलब करीब 18 लाख युवा महज 21 हजार पदों के दावेदार हैं. यही कारण है कि जहां भी परीक्षा का आयोजन हो रहा है, वहां व्यवस्था चरमरा जा रही है. एक अदद नौकरी पाने के लिए युवा जान की बाजी तक लगा दे रहे हैं.
एक नौकरी सरकारी, देखिए दौड़ ये ओलंपिक से भारी😳
रविवार को बिहार शरीफ के 25 केंद्रों पर सिपाही भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया. परीक्षा खत्म होने के बाद हजारों की संख्या में परीक्षार्थी बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन पहुंचे. यहां ट्रेन आने के बाद लोग ट्रेन में सवार होने के लिए रेल के… pic.twitter.com/4aqdcEqne4
— NDTV India (@ndtvindia) August 25, 2024
बिहार शरीफ का हाल
यह बिहार शरीफ का वीडियो है. इसमें सिपाही भर्ती परीक्षा खत्म होने के बाद रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पर चढ़ने के लिए इतनी संख्या में युवा पहुंच गए कि ट्रेन में पांव रखने तक की जगह नहीं बची. कई लटककर ही ट्रेन पर चढ़ गए. जिन्हें लटकने की भी जगह नहीं मिली, वे रेल की पटरियों पर ट्रेन के पीछे भागने लगे. शायद वे उम्मीद बांधे हुए थे कि ट्रेन रुक जाएगी और वे उसमें सवार हो जाएंगे. मगर यह कल्पना थी, जो सच नहीं हो सकती थी. इसका भान इन युवाओं को भी कुछ देर पटरियों पर भागने के दौरान हो गया और इसके बाद वे किसी और ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे.
फूट पड़ा गुस्सा
आपको बता दें कि रविवार को बिहार शरीफ के 25 केंद्रों पर सिपाही भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस परीक्षा में शामिल होने के लिए अलग-अलग जिलों और प्रदेशों से परीक्षार्थी बिहार शरीफ पहुंचे थे. कई तो रात भर स्टेशन पर ही थे और सुबह परीक्षा देने के लिए यहीं से सेंटर पर गए. परीक्षा खत्म होने के बाद हजारों की संख्या में परीक्षार्थी बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन पहुंचे. तभी पलामू एक्सप्रेस वहां पहुंची. यह राजगीर से चलकर पटना होते हुए पलामू जाती है. सिपाही की भर्ती परीक्षा देकर आए अभिमन्यु कुमार व्यवस्था से काफी गुस्से में नजर आए. उनका कहना था कि परीक्षार्थियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. कुछ ऐसा ही आदर्श कुमार और मुकेश कुमार ने भी कहा. सब खीझे हुए थे, मगर शायद उनकी आवाज थोड़ी ही दूर तक पहुंच रही थी.