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प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम: गांवों ने शहरों को कैसे पीछे छोड़ा



<p style="text-align: justify;">भारत में पिछले 16 सालों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (PMEGP) ने गांवों में रोजगार के नए रास्ते खोल दिए हैं. इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में शुरू हुए छोटे व्यवसायों ने शहरों के मुकाबले ज्यादा लोगों को नौकरी दी है. लेकिन आरोप भी लगा कि सरकार ने समय पर लाभार्थियों को सब्सिडी जारी नहीं की.</p>
<p style="text-align: justify;">गांवों में शुरू हुए हर छोटे व्यवसाय ने औसतन 8.19 लोगों को रोजगार दिया है. यह आंकड़ा शहरों के मुकाबले ज्यादा है, जहां प्रति यूनिट 8.07 नौकरियां पैदा हुई हैं. PMEGP योजना ने अब तक 80.52 लाख नौकरियां पैदा की हैं, जिनमें से 64.55 लाख नौकरियां सिर्फ गांव में ही बनी हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">योजना के तहत शुरू किए गए कुल 9.86 लाख व्यवसायों में से 79.89% गांवों में हैं. मतलब, लगभग 80% व्यवसाय ग्रामीण इलाकों में शुरू किए गए हैं. बाकी 20.11% शहरी इलाकों में शुरू किए गए हैं. 2008-09 से 2023-24 तक PMEGP के तहत पैदा होने वाले रोजगार में हर साल औसतन 8.67% की बढ़ोतरी हुई है.</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/16/5ad0cb9c36c2cd9973783f98f4f2c2cb1737026183794938_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आखिर क्या है प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम</strong><br />भारत सरकार ने रोजगार के नए मौके पैदा करने के लिए ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (PMEGP) नाम की योजना शुरू की थी. यह योजना &nbsp;31 मार्च 2008 तक चल रही दो पुरानी योजनाओं- ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ (PMRY) और ‘ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (REGP) को मिलाकर बनाई गई है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">PMEGP योजना का मकसद है कि लोग खुद का काम शुरू कर सकें और नौकरी पा सकें. इससे गांव और शहरों में रहने वाले बेरोजगार नौजवानों और कारीगरों को घर से ही काम करने का मौका मिलता है.</p>
<p style="text-align: justify;">हाल ही में सरकार ने लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया है कि पहले व्यवसाय शुरू करने के लिए 25 लाख रुपये तक की मंजूरी मिलती थी, जिसे अब बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है. अगर आपका व्यवसाय अच्छा चल रहा है, तो आपको उसे बढ़ाने के लिए 1 करोड़ रुपये तक की मदद मिल सकती है. 10 लाख रुपये तक के लोन के लिए छोटे व्यवसायों को कोई गारंटी देने की जरूरत नहीं है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">अगर कोई छोटा व्यवसाय 25 लाख रुपये तक का लोन मांगता है, तो बैंक को 14 दिनों के अंदर &nbsp;यह फैसला लेना होगा कि लोन देना है या नहीं. इससे &nbsp;व्यवसायों को पैसों के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>PMEGP: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कितनी नौकरियां बनीं?</strong><br />लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, लगभग हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा रोजगार पैदा हुए हैं. 2023-24 तक ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार रोजगार सृजन में बढ़ोतरी देखी गई है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है. 2019-20 से 2023-24 तक हर साल 5 लाख से ज्यादा नौकरियां ग्रामीण क्षेत्रों में PMEGP के जरिए बनी हैं. शहरी क्षेत्रों में PMEGP के जरिए कम रोजगार पैदा हुए. 2021-22 से शहरी क्षेत्रों में PMEGP का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/16/c0518a589e677f78643671d347291c0e1737026221771938_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>PMEGP: क्या कोविड महामारी के दौरान भी ग्रामीणों को हुआ फायदा</strong><br />2021-22 में PMEGP योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन का रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस साल 6.77 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा हुए, जो किसी भी एक साल में सबसे ज्यादा है. इसी साल देशभर में सबसे ज्यादा 1.03 लाख नई यूनिट को सहायता प्रदान की गई, जिससे 825,752 नए रोजगार के अवसर पैदा हुए. यह कोविड-19 महामारी का समय था, जब शहरों में रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुए थे. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग शहरों से गांवों की ओर पलायन कर रहे थे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं दूसरी ओर PMEGP के तहत शहरों में सबसे ज्यादा रोजगार 2023-24 में पैदा हुए, जब 1.61 लाख नौकरियां बनीं. इससे पता चलता है कि कोविड के बाद शहरों में धीरे-धीरे कारोबार फिर से पटरी पर लौट रहे हैं और रफ्तार पकड़ रहे हैं. 2023-24 में ही 3093.87 करोड़ रुपये की सबसे अधिक मार्जिन मनी सब्सिडी वितरित की गई.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>गांवों ने शहरों को कैसे पीछे छोड़ा?</strong><br />PMEGP योजना ने लोगों को अपने गांवों में ही नए व्यवसाय शुरू करने का मौका दिया. इससे उन्हें शहरों की ओर पलायन करने की जरूरत नहीं पड़ी. योजना के तहत कई तरह के व्यवसाय शुरू किए जा सकते हैं, जैसे कि कृषि-आधारित उद्योग, हैंडिक्रॉफ्ट, फूड प्रोसेसिंग और सर्विस सेक्टर.</p>
<p style="text-align: justify;">PMEGP योजना के तहत सब्सिडी, ऋण और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं दी जाती हैं. इस वजह से भी लोगों को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलती है. पूर्वोत्तर क्षेत्र और पहाड़ी इलाकों में PMEGP योजना के तहत ज्यादा सब्सिडी और दूसरे ऋण के जरिए अतिरिक्त सहायता दी जाती है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हो सकता है कि शहरी क्षेत्रों में पहले से ही बहुत सारे व्यवसाय हों, इसलिए नए व्यवसायों के लिए अवसर कम हों. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होते हैं, इसलिए PMEGP योजना वहां ज़्यादा प्रभावी रही होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में PMEGP योजना के बारे में ज्यादा जागरूकता भी एक कारण हो सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/16/5cb7bd66a28eabd52dd21acffb16e8d81737026238234938_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>PMEGP: किस वर्ग के लोगों ने उठाया सबसे ज्यादा फायदा?</strong><br />प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ने महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को रोजगार के कई अवसर दिए हैं. इसमें महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. 2023-24 में सबसे ज्यादा महिलाओं को इस योजना का फायदा मिला. अनुसूचित जाति के लोगों को भी PMEGP के जरिए रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भागीदारी लगभग स्थिर रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">योजना के तहत देशभर में साल 2008 से 2024 तक सरकार की मदद से कुल 985,047 व्यवसाय शुरू हुए. इनमें सबसे ज्यादा सामान्य वर्ग के लोगों ने कुल 329,039 व्यवसाय शुरू किए. ओबीसी वर्ग में भी लगभग इतने ही 327,628 नए व्यसाय चालू हुए. अनुसूचित जाति में 113,247 और अनुसूचित जनजाति में 83,896 व्यवसाय शुरू किए गए. इसके अलावा, अल्पसंख्यक वर्ग में 131,237 लोगों ने व्यापार शुरू किया. करीब 32 फीसदी यानी 321,333 महिलाओं ने भी अपना काम शुरू करने के लिए सरकार से फंड लिया.</p>
<p style="text-align: justify;">सरकार ने महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और ट्रांसजेंडर लोगों को ‘विशेष श्रेणी’ में रखा है. इस श्रेणी में आने वाले लोगों को व्यवसाय शुरू करने के लिए ज्यादा पैसे (सब्सिडी) दिए जाते हैं. विशेष श्रेणी के लोगों को गांवों में 35% और शहरों में 25% तक की सब्सिडी मिल सकती है. बाकी लोगों (सामान्य श्रेणी) को गांवों में 25% और शहरों में 15% तक की सब्सिडी मिलती है. विशेष श्रेणी के लोगों को अपने व्यवसाय में सिर्फ 5% पैसे लगाने होते हैं, जबकि बाकी लोगों को 10% पैसे खुद लगाने पड़ते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/16/c8d0684030b493698b3c67bba18425c01737026255830938_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या बैंक ने समय पर लाभार्थियों को जारी नहीं की सब्सिडी?</strong><br />लोकसभा में सरकार से सवाल पूछा गया कि क्या PMEGP दिशानिर्देशों के अनुसार सब्सिडी 24 घंटे के भीतर जारी की जानी चाहिए? अगर हां, तो देरी क्यों हो रही है? इस सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में बजट की कमी के कारण 417 दावों का निपटारा नहीं हो पाया है, जिनमें 20.73 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी शामिल है. सरकार का कहना है कि यह देरी पैसे की कमी के कारण हुई है.</p>
<p style="text-align: justify;">PMEGP योजना के तहत KVIC यह जांच करता है कि व्यवसाय शुरू करने के लिए मांगी गई सब्सिडी सही है या नहीं. अगर सब कुछ ठीक होता है, तो KVIC &nbsp;3 दिनों के अंदर बैंक को पैसे भेजने के लिए कहता है. बैंक को यह पैसा 24 घंटे के भीतर व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति के बैंक खाते में भेजना होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>PMEGP: योजना के सफलता का क्या है आधार?</strong><br />प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सरकार ने बताया कि एक खास वेबसाइट बनाई गई है जहां आप अपना आवेदन करने से लेकर पैसे मिलने तक पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं. इससे पता चलता है कि आपका आवेदन किस स्टेज पर है और पैसे कब मिलेंगे. सरकारी अफसर खुद जाकर उन छोटे-छोटे व्यवसायों को देखते हैं जो PMEGP की मदद से शुरू हुए हैं. वे यह देखते हैं कि व्यवसाय सही जगह पर है या नहीं और वह चल भी रहा है या नहीं. इसके लिए वे उस जगह की फोटो और लोकेशन भी लेते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">सरकार बैंकों के साथ बैठकें करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोगों को आसानी से लोन मिल रहा है और सब्सिडी का पैसा भी समय पर मिल रहा है. सरकार उन सभी विभागों के साथ बैठकें करती है जो PMEGP योजना को चलाने में मदद करते हैं. जैसे &nbsp;खादी और ग्रामोद्योग आयोग, जिला उद्योग केंद्र &nbsp;आदि. इससे यह पता चलता है कि योजना ठीक से चल रही है या नहीं.</p>
<p style="text-align: justify;">हर जिले में एक समिति होती है जो PMEGP योजना पर नजर रखती है. यह समिति देखती है कि योजना का पैसा सही जगह पर लग रहा है या नहीं और लोगों को फायदा हो रहा है या नहीं. सरकार समय-समय पर किसी और संस्था से PMEGP योजना की जांच कराती है. इससे यह पता चलता है कि योजना से लोगों को कितना फायदा हुआ है और इसमें क्या सुधार किए जा सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए?</strong><br />PMEGP योजना के तहत शुरू होने वाले छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने और उन्हें सफल बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. कोरोना के समय में बहुत से व्यवसायों को नुकसान हुआ था. इसलिए सरकार ने यह नियम बनाया है कि जो लोग PMEGP या MUDRA योजना के तहत पहले से ही कोई व्यवसाय चला रहे हैं और दूसरी बार लोन लेना चाहते हैं, उन्हें कोरोना के समय के नुकसान को नहीं गिना जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">जो लोग नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें सरकार दो दिन का मुफ्त ऑनलाइन प्रशिक्षण देती है. इस प्रशिक्षण से उन्हें व्यवसाय चलाने के तरीके सीखने को मिलते हैं. जनवरी 2024 से लोग 11 क्षेत्रीय भाषाओं में PMEGP योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं. इससे उन लोगों को मदद मिलती है जिन्हें हिंदी या अंग्रेजी नहीं आती.</p>



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