पुणे पोर्शे केस में नाबालिग ने 42 दिन बाद लिखा 300 शब्दों का निबंध, बोला- रोड सेफ्टी बहुत जरूरी
पुणे:
पुणे पोर्शे हिट एंड रन मामले में 42 दिन बाद नाबालिग आरोपी ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की शर्त पूरी करते हुए सड़क हादसे पर 300 शब्दों का निबंध लिखकर सबमिट कर दिया है. 18-19 मई की रात नाबालिग ने नशे में तेज रफ्तार पोर्शे कार से बाइक सवार युवक-युवती को रौंद दिया था. 25 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी को जमानत दी थी. कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि आरोपी जुवेनाइल बोर्ड के आदेश की सभी शर्तें पूरी करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, जुवेनाइल होम (बाल सुधार गृह से) निकलने के बाद नाबालिग आरोपी ने 3 जुलाई को 300 शब्दों का निबंध लिखने की शर्त पूरी की.
इस बीच NDTV को पुणे पोर्शे मामले में नाबालिग आरोपी के लिखे गए निबंध की डिटेल मिली है. NDTV की एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, नाबालिग आरोपी ने कहा कि एक्सीडेंट के समय उसे पुलिस से परेशानी होने का डर था. ऐसे सड़क हादसों के बाद लोगों को भागने के बजाय पुलिस स्टेशन जाना चाहिए.
ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने का किया जिक्र
नाबालिग आरोपी ने अपने निबंध में सभी की सुरक्षा के लिए ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने का भी जिक्र किया है. उसने कहा कि रोड एक्सीडेंट के बाद वह डर गया था. इसी डर के कारण उसने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी.
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एक्सीडेंट में पीड़ितों की मदद करने की सीख
नाबालिग ने लिखा कि लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए. उसने कहा कि ऐसे हादसे होने पर पुलिस में जाने के बजाय भागने से परेशानी बढ़ सकती है. उसने एक्सीडेंट में पीड़ितों की मदद करने की भी बात कही है.
अधिकारियों को अस्पष्ट लगा निबंध
हालांकि, अधिकारियों ने नाबालिग आरोपी के निबंध को अस्पष्ट पाया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि इससे नाबालिग की मानसिक स्थिति का अंदाजा नहीं लगा सकते. अधिकारियों ने यह भी कहा कि वह अपनी उम्र से ज़्यादा बड़ा लग रहा था. साथ ही कस्टडी के दौरान उसने कॉन्फिडेंस से काम किया.
मां-बाप की गिरफ्तारी के बाद चेहरा पर दिखा था तनाव
अधिकारियों के मुताबिक, एक्सीडेंट के बाद जब उसके मां-बाप को गिरफ्तार किया गया, तो वह शुरुआती डर और तनाव में था.
कब हुआ था एक्सीडेंट?
18-19 मई की रात पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 17 साल 8 महीने के नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार इंजीनियर युवक-युवती को रौंद दिया था. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सीडेंट के समय आरोपी नशे में था. वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था.
हिरासत के 15 घंटे बाद मिल गई थी जमानत
रिपोर्ट के मुताबिक, राहगीरों ने आरोपी को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. उम्र कम होने के कारण पुलिस ने उसे जुवेनाइल बोर्ड भेजा गया था. लेकिन बोर्ड ने उसे 15 घंटे बाद ही 7 शतों पर जमानत दे दी थी. हालांकि, पुलिस की मांग और लोगों के आक्रोश के बाद जुवेनाइल बोर्ड ने अपने फैसले में संशोधन किया था. 22 मई को बोर्ड ने नाबालिग को बाल सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया था.
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नाबालिग को इन 7 शर्तों पर मिली थी जमानत
-जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को 7500 रुपये के दो बॉन्ड भरने को कहा था. इनमें से एक पर्सनल बॉन्ड होगा और दूसरा श्योरिटी बॉन्ड. श्योरिटी बॉन्ड नाबालिग के दादा ने भरा था.
-नाबालिग को रोड एक्सीडेंट पर 300 शब्दों का एक निबंध लिखने को कहा गया था. आरोपी ने यही शर्त पूरी की है.
-बोर्ड ने उसे RTO ऑफिस जाकर ट्रैफिक रूल्स पढ़ने को कहा था. आरोपी को इन कायदे-कानून पर एक PPT प्रेजेंटेशन बनाकर 15 दिन में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को दिखाना होगा.
-आरोपी को RTO अधिकारियों के साथ 15 दिन काम करना होगा, ताकि वो ट्रैफिक के नियमों को अच्छे से समझ सके.
-उसे शराब की लत छोड़ने के लिए अपनी काउंसिलिंग करानी होगी.
-नाबालिग को इसके साथ ही साइकिएट्रिस्ट से काउंसिलिंग करानी होगी. 15 दिन में इसकी रिपोर्ट भी सौंपनी होगी.
-जब भी जुवेनाइल बोर्ड बुलाएगा, उसे पेश होना पड़ेगा.