'पीड़िता ही जिम्मेदार, खुद मुसीबत को बुलाया' रेप केस के आरोपी को जमानत देते हुए बोला इलाहाबाद हाईकोर्ट
<p style="text-align: justify;"><strong>UP News:</strong> इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्रा से रेप के मामले में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में आरोपी को जमानत देते हुए टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने टिप्पणी करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पीड़िता इसकी खुद जिम्मेदार है.</p>
<p style="text-align: justify;">मामले के अनुसार आवेदक निश्चल चन्दक की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीएनएसएस की धारा 483 के तहत अपने खिलाफ दर्ज रेप के मामले में जमानत आवेदन पत्र दाखिल किया था. आवेदक ने गौतमबुद्ध नगर के थाना सेक्टर-126 में अपने खिलाफ दर्ज बीएनएस की धारा 64 यानी रेप के मामले में मुकदमे के विचारण के दौरान तक जमानत पर रिहा करने की मांग कोर्ट से की थी. आवेदक पर आरोप लगा था कि उसने एक एमए की छात्रा के साथ रेप किया था. </p>
<p style="text-align: justify;">कोर्ट में आवेदक निश्चल चन्दक द्वारा इस मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हुई. आवेदक के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि पीड़िता का यह स्वीकार किया हुआ मामला है कि वह बालिग है तथा पीजी छात्रावास में रहती है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस याचिका पर जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि तथ्यों के आधार पर यह तर्क दिया गया है कि पीड़िता द्वारा बताए गए मामले के तथ्यों को देखते हुए यह रेप का मामला नहीं है बल्कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति से संबंध का मामला हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि आवेदक के वकील द्वारा यह प्रस्तुत किया गया है कि आवेदक के न्यायिक प्रक्रिया से भागने या अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने की कोई संभावना नहीं है. </p>
<p style="text-align: justify;">दोनों पक्षों को सुनने और मामले की में जांच करने के बाद पाया कि इसमें ऐसा कोई विषय नहीं है क्योंकि पीड़िता और आवेदक दोनों ही बालिग है. इसलिए न्यायाल का मानना है कि यदि पीड़िता के आरोप को सच मान भी लिया जाए तो यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद ही परेशानी को आमंत्रित किया और इसके लिए वह खुद जिम्मेदार भी है.</p>
<p style="text-align: justify;">कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले के तथ्यों पर विचार करने के साथ-साथ अपराध की साक्ष्य, अभियुक्त की मिलीभगत और पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को ध्यान में रखते हुए आवेदक ने जमानत के लिए उपयुक्त मामला बनाया है. इसलिए अदालत निश्चल चन्दक के जमानत आवेदन को सशर्त स्वीकार करती है और जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>(प्रयागराज से सौरभ की रिपोर्ट)</strong></p>
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