पाकिस्तान के साथ युद्ध हो या कश्मीर का मुद्दा, रूस ने हमेशा निभाई है भारत से दोस्ती
नई दिल्ली :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपनी दो दिन की यात्रा पर आज रूस जा रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पीएम मोदी की यह पहली रूस यात्रा है तो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा के लिए भी पीएम मोदी ने रूस को चुना है. यह बताता है कि भारत और रूस के संबंध कितने प्रगाढ़ हैं. भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है और बेहद मजबूत है. भारत के लिए रूस एक ऐसा दोस्त है, जिसने मुश्किल वक्त में हमारा साथ दिया है. फिर चाहे 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या फिर कश्मीर का मुद्दा. वहीं भारत ने भी रूस की हरसंभव मदद की है. आइए जानते हैं भारत और रूस की दोस्ती के पांच सबसे बड़े किस्से.
भारत और पाकिस्तान युद्ध के वक्त की मदद
भारत ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जबरदस्त जीत हासिल की थी. 1971 में भारत ने रूस के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके मुताबिक यदि भारत पर हमला किया जाता है तो इसे सोवियत संघ (अब रूस) पर हमला माना जाएगा और इसके लिए सोवियत संघ अपनी सेना भेजेगा. उस वक्त अमेरिका और ब्रिटेन ने पाकिस्तान का पक्ष लिया था. दोनों ही युद्ध का परिणाम पाकिस्तान के पक्ष में चाहते थे. 6 दिसंबर को बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में भारत ने मान्यता दी थी और उसके बाद अमेरिका ने हस्तक्षेप के लिए अपनी नौसेना के सातवें बेड़े के एक हिस्से को बंगाल की खाड़ी में जाने का आदेश दिया था. वहीं ब्रिटेन ने अपने शक्तिशाली युद्धपोत एचएमएस ईगल को अरब सागर की ओर रवाना कर दिया था. जवाब में सोवियत संघ ने अमेरिका और ब्रिटेन को जवाब देने के लिए परमाणु हथियारों से लैस युद्धपोत और पनडुब्बियों को भेजा था.
कश्मीर के मुद्दे पर वीटो का किया था इस्तेमाल
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते कभी भी सामान्य नहीं रहे हैं. दोनों ही देश कई बार एक दूसरे का युद्ध में आमना-सामना कर चुके हैं. इन युद्धों में हर बार पाकिस्तान को हार झेलनी पड़ी है, बावजूद इसके पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है.
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी बना मददगार
भारत आज दुनिया भर में अपनी अंतरिक्ष परियोजनाओं के कारण चर्चा का केंद्र बना हुआ है. हालांकि एक वक्त ऐसा भी था, जब इस क्षेत्र में भी भारत की मदद के लिए उसके सबसे अच्छे और भरोसेमंद दोस्त रूस ने अपनी भूमिका निभाई थी.
रक्षा क्षेत्र में भी कम नहीं रूस का योगदान
भारत ने इस साल सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की पहली खेप को फिलीपींस को भेजी है. दोनों देशों के बीच इसके लिए करीब 31.25 अरब रुपये का सौदा हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा हथियारों का आयात करने वाले देश के लिए ब्रह्मोस का निर्यात बड़ी बात है. भारत ने रूस की सहायता से ही ब्रह्मोस जैसी मिसाइल बनाई है. यह रूस द्वारा अपनी तकनीक साझा करने के कारण ही संभव हो सका है. साथ ही भारत के कई परमाणु संयंत्रों के निर्माण में भी रूस की अहम भूमिका रही है. साथ ही 1960 के दशक में सोवियत संघ ने भारत को मिग-21 विमान दिए थे. वहीं भारत की पहली पनडुब्बी फॉक्सट्रॉट क्लास भी रूस से ही ली गई थी. रक्षा क्षेत्र में भारत के लिए रूस का योगदान किसी तरह से कम नहीं है.
भारत के औद्योगिकीकरण में अहम योगदान
भारत और रूस की दोस्ती गहरी और बहुत पुरानी है. आजादी के बाद जब भारत दुनिया के नक्शे पर मजबूती से अपने कदम जमाने की कोशिश कर रहा था, तब तत्कालीन सोवियत संघ ने उसकी मदद की थी. भारत में आज हम जो औद्योगिकरण देख रहे हैं, उसकी नींव रखने में सोवियत संघ का बड़ा योगदान रहा है. भारत में बोकारो-भिलाई के कारखाने, भाखड़ा-नांगल बांध, हैदराबाद फार्मास्युटिकल प्लांट, दुर्गापुर संयंत्र जैसी ऐसी कितनी ही मिसाल हैं, जिनकी स्थापना में रूस का बड़ा योगदान रहा है.
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