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'पहली शादी खत्म न होने पर भी दूसरे पति से गुजारा भत्ता ले सकती है पत्नी', सुप्रीम कोर्ट ने कहा



<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक महिला दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 125 के तहत अपने दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है, भले ही उसका पिछला विवाह कानूनी रूप से बरकरार हो. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि गुजारा भत्ता जैसे सामाजिक कल्याण प्रावधानों के उद्देश्य की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए और सख्त कानूनी व्याख्या के कारण मानवीय उद्देश्य प्रभावित नहीं होना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;">दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 125 की जगह 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 ने ली है. सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पति को अपनी अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का निर्देश देते हुए 30 जनवरी के आदेश सुनाया था. कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो 2005 में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद अपने पहले पति से अलग हो गई थी, हालांकि तलाक का कोई औपचारिक कानूनी आदेश प्राप्त नहीं हुआ था.</p>
<p style="text-align: justify;">बाद में महिला की जान-पहचान उसके पड़ोसी से हुई और 27 नवंबर 2005 को दोनों ने विवाह कर लिया. मतभेद के बाद दूसरे पति ने विवाह रद्द करने की मांग की, जिसे फरवरी 2006 में एक फैमिली कोर्ट ने मंजूर कर लिया. बाद में दोनों के बीच सुलह हो गई और उन्होंने दोबारा शादी कर ली, जिसका पंजीकरण हैदराबाद में हुआ. जनवरी 2008 में दोनों के बेटी हुई. हालांकि, दंपत्ति के बीच फिर से मतभेद पैदा हो गए और महिला ने दूसरे पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दहेज निषेध अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करा दी.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद, महिला ने अपने और अपनी बेटी के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते की मांग की, जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर लिया, लेकिन दूसरे पति की ओर से इसे चुनौती दिए जाने के बाद तेलंगाना हाईकोर्ट ने आदेश को खारिज कर दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">अपनी अपील में दूसरे पति ने दलील दी थी कि महिला को उसकी कानूनी पत्नी नहीं माना जा सकता क्योंकि उसकी पहली शादी अब भी कानूनी रूप से कायम है. दूसरे पति की दलील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और गुजारा भत्ते के लिए दिए गए फैसले को बहाल किया.</p>
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