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नेहरू ने एक समुदाय के वोटों के लिए सोमनाथ मंदिर उद्घाटन में भाग नहीं लिया: मध्‍य प्रदेश सीएम 




भोपाल:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जमकर आलोचना की. सीएम मोहन यादव ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गुजरात में पुनर्निर्मित सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का अपने उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था. उन्‍होंने आरोप लगाया कि नेहरू ने ऐसा एक खास समुदाय के वोटों के लिए किया था. साथ ही उन्‍होंने नेहरू पर हिंदुओं की भावनाओं और उनकी आ‍स्‍था का सम्‍मान नहीं करने का आरोप लगाया है.  

भाजपा के एक “बूट कैंप” में बोलते हुए सीएम यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना महान सम्राट विक्रमादित्य से करते हुए कहा कि दोनों ही लोगों के सेवक माने जाना पसंद करते हैं. 

सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का किया जिक्र

1951 में सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का जिक्र करते हुए सीएम यादव ने कहा, “नेहरू ने अपनी ही कैबिनेट और पार्टी के सहयोगी और तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के पुनर्निर्मित सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था.” सीएम यादव ने कहा कि यह पूरी तरह से जनता के पैसों से बना था. 

दूसरे धर्मों के अनुयायियों को ठेस पहुंचाने की चिंता का हवाला देते हुए नेहरू के इनकार को सीएम यादव ने हिंदुओं की आस्था का अपमान और अनादर बताया. 

उन्होंने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू न केवल देश के बहुसंख्यकों की भावनाओं और आस्था का सम्मान करने में विफल रहे, बल्कि वोट की राजनीति के लिए उनकी उपेक्षा की. उन्होंने आगे कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने खुशी-खुशी निमंत्रण को स्वीकार किया था और गर्व और खुशी के साथ सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था. 

इस दौरान सीएम यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की. पीएम मोदी ने न केवल अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन में भाग लिया था, बल्कि प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था. 

बिना नाम लिए गांधी परिवार को भी घेरा 

गांधी परिवार पर परोक्ष हमला करते हुए सीएम यादव ने पूछा: “वे भगवान राम के दर्शन करने अयोध्या क्यों नहीं गए? क्या भगवान ने उनके साथ कुछ गलत किया है?” सीएम यादव ने “एक परिवार” के डर और आशंका पर सवाल उठाते हुए पूछा, “वे क्यों डरे हुए हैं? जिस देश में बहुसंख्यक इतनी गहरी आस्था रखते हैं, वहां उन्हें किस बात का डर है?”

साथ ही उन्‍होंने कहा कहा, “हमें लोकतंत्र के मूल्यों और इसे सुरक्षित रखने के लिए किए गए बलिदानों को समझना चाहिए. हम अपनी सनातन संस्कृति को नहीं भूल सकते.”




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