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नास्तिक शख्स पर लगेगा शरीयत कानून या UCC? मस्लिम लड़की की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल


मुस्लिम परिवार में जन्म होने के बावजूद नास्तिक व्यक्ति पर क्या शरीयत की जगह सामान्य सिविल कानून लागू हो सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम सवाल पर केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है. केरल की रहने वाली साफिया नाम की लड़की ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उनका कहना है कि उसका परिवार नास्तिक है, लेकिन शरीयत के प्रावधान के चलते पिता चाह कर भी उसे अपनी 1 तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में हुई गुरुवार (24 अक्टूबर 2024) को हुई सुनवाई एडिशनल सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर जवाब दाखिल करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाने पर विचार चल रहा है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह कब तक आएगा या आएगा भी या नहीं.

मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 के अनुसार, एक मुस्लिम महिला अपने परिवार की संपत्ति के एक तिहाई से अधिक की उत्तराधिकारी नहीं हो सकती है. यदि वह अकेली संतान है, तो वह अपने परिवार की संपत्ति का अधिकतम 50 फीसदी प्राप्त कर सकती है, जबकि बाकी बचा संपत्ति किसी पुरुष रिश्तेदार को दी जाती है.

इससे पहले साफिया ने बताया था कि उन्होंने इस्लाम छोड़ दिया, क्योंकि धर्म के नियम और परंपराएं महिलाओं के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा था, “ऐसे निर्णय के बाद भी इस्लाम मुझे अपनी ही संपत्ति विरासत में देने में बाधा बन रहा है. इसका कोई समाधान निकालने की जरूरत है.”

(ये खबर अपडेट हो रही है)



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