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दिल्ली में GRAP प्रतिबंधों के चलते बेरोजगार श्रमिकों को बड़ी राहत, AAP सरकार देगी 8000 रुपये


Delhi Govt News: दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार राजधानी में प्रदूषण के चलते लागू जीआरएपी प्रतिबंधों की वजह से बेरोजगार हुए निर्माण श्रमिकों को 8000 रुपये की सहायता राशि देगी. बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की मीटिंग में ये फैसला लिया गया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बोर्ड ने निर्णय लिया है कि ज़रूरी वेरिफिकेशन के बाद निर्माण श्रमिकों को 8000 रुपये दिए जा सकते हैं. पात्र श्रमिकों के आधार कार्ड से जुड़े खाते में डीबीटी मोड द्वारा सहायता राशि जारी की जाएगी

दिल्ली में GRAP प्रतिबंधों के चलते निर्माण कार्य बंद

दिल्ली में वायुप्रदूषण में इजाफे के बाद उसे कंट्रोल करने के लिए ग्रेप के प्रतिबंध लागू हैं, इसके चलते निर्माण कार्य बंद हैं. ऐसे में मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को मदद की राशि देने का फैसला लिया है. 

GRAP के पहले और दूसरे चरण में क्या पाबंदियां?

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) जीआरएपी के तहत प्रदूषण विरोधी उपाय लागू करता है. जीआरएपी सिस्टम साल 2017 में शुरू किया गया था और यह एक्यूआई के स्तर के आधार पर लागू की जाती है. जीआरएपी के पहले और दूसरे चरण (एक्यूआई 201 से 400 तक) के प्रतिबंध दिशा-निर्देशों, डस्ट कंट्रोल और डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक को लेकर केंद्रित हैं.

GRAP के तीसरे और चौथे स्टेज में क्या प्रतिबंध?
 
वहीं, तीसरे चरण (एक्यूआई 401-450 तक) के तहत शहर में सभी गैर-जरूरी निर्माण और गाड़ियों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी जाती है. इसी तरह, चौथे चरण (एक्यूआई 450 से ऊपर) के तहत सभी निर्माण-विध्वंस गतिविधियों और गैर-जरूरी ट्रक एवं बीएस-IV डीजल वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के साथ घर से काम करने की सुविधा देने की सलाह दी जाती है. 

दिल्ली-एनसीआर में करीब 13 लाख कंस्ट्रक्शन मजदूर

कंस्ट्रक्शन वर्क पर 2021 में 20 दिनों और 2022 में 35 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया गया था. पिछले साल गैर-जरुरी निर्माण कार्यों पर 26 दिनों तक रोक थी और इस साल भी लंबे समय तक प्रतिबंध बरकरार रहने की संभावना है. दिल्ली-एनसीआर में 13 लाख मजदूर निर्माण कार्य में लगे होने का अनुमान है. इनमें ज्यादातर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर शामिल हैं. बेहतर कमाई की उम्मीद में वे अपने परिवार साथ लेकर आते हैं, निर्माण साइट पर अस्थाई आश्रय बनाते हैं.

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