दिल्ली में सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए बीजेपी ने लगाया पूरा जोर, माइक्रोमैनेजमेंट की खास रणनीति पर अमल शुरू
नई दिल्ली:
दिल्ली में 27 वर्षों से सत्ता से बेदखल बीजेपी इस बार चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. न केवल पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा मैदान में उतर आए हैं बल्कि दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों, पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के अलावा सांसदों और विधायकों को भी दिल्ली के मैदान में उतार दिया गया है.
बीजेपी ने दिल्ली फतह करने के लिए लक्ष्य भी तय कर लिया है. हर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 20 हजार वोट बढ़ाना, हर बूथ पर पचास प्रतिशत वोट हासिल करना और हर बूथ पर पिछली बार की तुलना में अधिक वोट डलवाना.
हर बूथ पर वोट
बीजेपी पिछले कई महीनों से मतदाता सूचियों को खंगाल रही है. हर बूथ के मतदाताओं का डेटा तैयार किया गया. नए वोटर जुड़वाए गए और फर्जी वोटर हटवाए गए. ऐसे मतदाताओं की सूची बनाई गई जो अब उस बूथ के क्षेत्र में नहीं रहते लेकिन वोटर लिस्ट में उनका नाम है. कई ऐसे मतदाता हैं जो कोविड के समय दिल्ली छोड़ कर गांव चले गए लेकिन वापस नहीं आए. कुछ ऐसे भी हैं जो कोविड के बाद रोजगार या दूसरे कारणों से चले गए लेकिन उनका नाम अब भी वोटर लिस्ट में है. पार्टी ने ऐसे सभी मतदाताओं से संपर्क स्थापित किया है. उन्हें पांच फरवरी को वोट डालने के लिए दिल्ली आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
इसी तरह हर बूथ के वोटरों की सोशल प्रोफाइल भी खंगाली गई. उदाहरण के तौर पर यह पता लगाया गया कि वह मूलत दिल्ली निवास है या किसी अन्य राज्य से दिल्ली में आकर बसा है. अगर बाहर से आकर बसा है तो जहां से आया, वहां के स्थानीय बीजेपी नेताओं को उस वोटर से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने को कहा गया ताकि स्थानीय संबंधों का लाभ उठा कर उसे बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए मनाया जा सके.
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से बसे पूर्वांचलियों और उत्तराखंड से आकर बसे पहाड़ियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है. पूर्वांचल से बीजेपी नेताओं को लेकर पूर्वांचली मतदाताओं के बीच प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है. पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी इसका समन्वय देख रहे हैं. बीजेपी पूर्वांचलियों का दिल जीतना चाहती है. वह आप के इस प्रचार का भी जवाब देना चाहती है कि बीजेपी ने पूर्वांचलियों को बड़ी संख्या में टिकट नहीं दिया.
बीजेपी ने राज्यवार मतदाताओं की सूची भी तैयार की. दिल्ली को मिनी इंडिया कहा जाता है. यहां दक्षिण भारत के राज्यों से कई लाख लोग बसे हैं. इसी तरह मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडीशा आदि राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. उदाहरण के तौर पर करीब तीन लाख मतदाता तेलुगु भाषी हैं. उनसे संपर्क स्थापित करने की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश के बीजेपी और टीडीपी नेताओं को दी गई है. इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात जैसे राज्यों के दिल्ली में रह रहे लोगों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए वहां के बीजेपी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है.
इसके अलावा सभी सरकारी इमारतों को खंगाला गया. वहां रहने वाले सरकारी कर्मचारियों से संपर्क तो किया ही गया उनके घरों में काम करने वालों से भी बात की गई. यह देखा गया कि उनका नाम मतदाता सूची में है या नहीं. अगर नहीं है तो उसे जुड़वाया गया. खासतौर से नई दिल्ली, सरोजिनी नगर, आरके पुरम, नेताजी नगर जैसे इलाकों में यह अभियान बीजेपी ने चलाया. यही कारण है कि लटियन जोन में मंत्रियों और सांसदों के बंगलों में काम करने वाले माली, खानसामा, घरेलू मदद करने वाले आदि लोगों के नाम जुड़वाए गए हैं.
केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी
केंद्रीय मंत्रियों, केंद्रीय पदाधिकारियों, पड़ोसी राज्यों के नेताओं को दी गई है जिम्मेदारी. हर केंद्रीय मंत्री के हिस्से दो विधानसभाएं आई हैं जहां उसका काम प्रचार और संगठन से जुड़े हर मुद्दे पर बारीक नजर रखना है. यह कोर ग्रुप हर दिन मिलता है और अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व से साझा करता है. जहां पर भी कोई समस्या दिखती है, उसका तुरंत समाधान करने और इस बारे में निर्णय करने का अधिकार इन मंत्रियों को दिया गया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को दिल्ली कैंट और वजीरपुर की जिम्मेदारी दी गई. धर्मेंद्र प्रधान मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश विधानसभा संभालेंगे. भूपेंद्र यादव को महरौली और बिजवासन, गजेंद्र सिंह शेखावत नरेला और बवाना, मनसुख मांडविया शकूरबस्ती और मादीपुर, अनुराग ठाकुर – मुस्तफाबाद और करावल नगर, यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक आदर्श नगर और बुराड़ी, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े – जनकपुरी और उत्तम नगर, सुनील बंसल – शालीमार बाग और त्रिनगर में बीजेपी का काम देख रहे हैं
क्लस्टर्स बनाए
बीजेपी ने दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए क्लस्टर्स बनाए हैं और उसके लिए भी नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. झुग्गी झोपड़ी क्लस्टर, अवैध कॉलोनी क्लस्टर, रेहड़ी-पटरी वालों का क्लस्टर आदि. इसके लिए भी हर नेता को कहा गया है कि इनकी मतदाता सूची पर नजर रखें और सबसे संपर्क करें. इस काम में आरएसएस के नेता भी बीजेपी नेताओं के साथ सहयोग कर रहे हैं