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दिल्ली में आज भी AQI 400 के करीब, आखिर लोगों को कब मिलेगी राहत?



नई दिल्ली:

दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में प्रदूषण से लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजे आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 6 बजे दिल्ली के अधिकतर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के करीब दर्ज किया गया. जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों को सांस लेने में और आंखों में जलन की परेशानी हो रही है. दिल्ली के अलीपुर में AQI 362, आनंद विहार में 393, जहांगीरपुरी में 384, मुंडका में 396, नरेला में 383, नेहरू नगर में 362, पंजाबी बाग में 370, शादीपुर में 398, रोहिणी में 381, विवेक विहार में 395 दर्ज किया. बता दें कि दिल्ली में हर साल नवंबर-दिसंबर के आसपास प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो जाती है.

वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में फरीदाबाद में एक्यूआई 154 दर्ज किया गया जो मध्यम श्रेणी में है, जबकि गुरुग्राम का 265, ग्रेटर नोएडा का 227, गाजियाबाद का 260 और नोएडा का एक्यूआई 191 दर्ज किया गया. 

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  • शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है
  • 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’
  • 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’
  • 201 से 300 के बीच ‘खराब’
  • 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’
  • 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.

प्रदूषण को लेकर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट

वायु की खराब होती गुणवत्ता के जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चरण 4 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को कम करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी)- 4 के तहत आपात उपायों में छूट देने से गुरुवार को इनकार कर दिया और इन्हें दो दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ‘कोर्ट कमिश्नर’ द्वारा प्रस्तुत दूसरी रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिकारी ‘जीआरएपी-चार’ के तहत पाबंदियों को अक्षरशः लागू करने में ‘‘पूरी तरह विफल” रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि स्कूलों के संबंध में संशोधित उपायों को छोड़कर ‘जीआरएपी-चार’ के तहत सभी पाबंदियां सोमवार तक लागू रहेंगी. इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग एक बैठक आयोजित करेगा और ‘जीआरएपी-चार’ से ‘जीआरएपी-तीन’ या ‘जीआरएपी-दो’ की ओर जाने के बारे में सुझाव देगा. हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह आवश्यक नहीं है कि ‘जीआरएपी-चार’ में दिए गए सभी उपाय लागू किए जाएं.”





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