ड्रोन वापस देने के एवज में ASI कर्मियों ने मांगी 50 हजार की रिश्वत, CBI ने 2 आरोपियों को किया गिरफ्तार
<p>सीबीआई ने रिश्वत मामले में नासिक में बुधवार (19 मार्च, 2025) को पुरातत्व विभाग के 2 कर्मियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक है पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) का संरक्षण सहायक और दूसरा संविदात्मक कर्मचारी है, जो ASI पांडवलेनी कार्यालय में MTS के रूप में कार्यरत है. इन आरोपियों पर शिकायतकर्ता से 20,000 रुपये रिश्वत लेने और मांगने का मामला दर्ज किया गया है.</p>
<p><strong>मामले की पृष्ठभूमि</strong><br />घटना सितंबर 2024 की है, जब शिकायतकर्ता जो एक निजी कंपनी में ग्राफिक डिजाइनर के रूप में कार्यरत है वो त्रिम्बकेश्वर मंदिर में अपने कंपनी के विज्ञापन के लिए शूटिंग कर रहा था. शूटिंग के दौरान शिकायतकर्ता का ड्रोन कैमरा मंदिर के अधिकारियों ने पकड़ लिया और ASI के एक अधिकारी को सौंप दिया गया. जब शिकायतकर्ता ने अपना ड्रोन वापस लेने का प्रयास किया तो ASI पांडवलेनी कार्यालय के संरक्षण सहायक ने उससे 50,000 रुपये रिश्वत मांगी. आरोपियों ने यह भी धमकी दी कि यदि रिश्वत नहीं दी गई तो ड्रोन को ASI के औरंगाबाद कार्यालय भेज दिया जाएगा. बातचीत के दौरान आरोपियों ने रिश्वत के रूप में 20,000 रुपये स्वीकार करने पर सहमति जताई.</p>
<p><strong>सीबीआई की कार्रवाई</strong><br />सीबीआई ने जाल बिछाकर आरोपित MTS कर्मचारी को रंगे हाथों पकड़ लिया. जब वो 20,000 रुपये रिश्वत मांगते और स्वीकार करते हुए पकड़ा गया. बाद में दोनों आरोपियों- दीपक चौधरी जो ASI का संरक्षण सहायक हैं और प्रकाश काकलीज जो ASI पांडवलेनी कार्यालय में संविदात्मक कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं दोनों को गिरफ्तार किया गया. 18 मार्च 2025 को दोनों को नासिक के सक्षम न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दो दिनों के लिए पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया.</p>
<p><strong>जांच और सबूत</strong><br />गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने आरोपियों के आवास पर छापेमारी की, जिसमें कई आरोप सिद्ध करने वाले दस्तावेज और सबूत मिले. इन सबूतों से यह मामला और भी गंभीर लग रहा है. इस मामले में अभी जांच जारी है. यह मामला भारतीय सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की एक कड़ी का उदाहरण है, जो आम जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाता है. देश में सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग लगातार उठ रही है. ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों की सक्रियता और त्वरित कार्रवाई से न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश जाता है, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर भी नियंत्रण रखा जा सकता है.</p>
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