ज्वाइनिंग से पहले ही बंगला और कार चाहती थीं ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर : सूत्र
मुंबई:
महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जमा करने को लेकर सुर्खियों में है. जानकारी के मुताबिक पूजा खेडकर का कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग के कारण ट्रांसफर कर दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक़ उन्होंने पुणे जिला कलेक्टर से अलग कार्यालय, एक कार और एक घर की मांग की थी. पूजा ने पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले अपनी ये मांगे रखी थी.
क्यों किया गया पूजा खेडकर का ट्रांसफर
महाराष्ट्र में एक प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी को सिविल सेवक के रूप में अपने पद का कथित दुरुपयोग करने के आरोप में वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया है. यूपीएससी परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 821वीं रैंक हासिल करने वाली पूजा खेडकर को पुणे में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात किया गया था. उसके द्वारा प्रोबेशन अधिकारियों को न दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने के बाद विवाद खड़ा हो गया. इसमें लाल-नीली बत्ती और अपनी निजी ऑडी कार पर “महाराष्ट्र सरकार” लिखा बोर्ड लगाना शामिल था.
क्यों विवादों में पूजा खेडकर
जब अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे अनुपस्थित थे, तो वह उनके चैम्बर में भी पाई गई. उसने मोरे की सहमति के बिना कार्यालय का फर्नीचर हटा दिया था और राजस्व सहायक से उनके नाम पर लेटरहेड, नेमप्लेट और अन्य सुविधाएं देने के लिए भी कहा. उल्लंघन सामने आने के बाद पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा, जिसके बाद उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम कर दिया गया. पूजा खेडकर एक परिवीक्षाधीन सिविल सेवा अधिकारी ने चयन प्रक्रिया में छूट पाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग को सौंपे गए हलफनामे में खुद को दिव्यांग बताया.
अधिकारी ने कहा कि उनके पिता दिलीप खेडकर (जो राज्य सरकार के पूर्व अधिकारी हैं) ने हालिया लोकसभा चुनाव लड़ते समय अपनी संपत्ति का मूल्य 40 करोड़ रुपये घोषित किया था. हालांकि, अधिकारी ने कहा कि पूजा खेडकर ओबीसी श्रेणी के तहत सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुईं, जहां ‘क्रीमी लेयर’ सीमा आठ लाख रुपये वार्षिक पैतृक आय है.
पूजा ने मेडिकल से कई बार किया इनकार
दिव्यांगता की पुष्टि के लिए अनिवार्य चिकित्सा परीक्षण से गुजरने से उसने छह बार इनकार कर दिया था. यह स्पष्ट नहीं है कि अगर उसने वास्तव में परीक्षा में बैठने से इनकार कर दिया था, तो उसे कैसे या क्यों नियुक्त किया गया. अपुष्ट रिपोर्टों का कहना है कि पहली परीक्षा अप्रैल 2022 के लिए दिल्ली एम्स में निर्धारित की गई थी. उसने कोविड-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण का दावा किया. अगले महीने की दो नियुक्तियां भी छोड़ दी गईं, जैसे कि जुलाई और अगस्त में की गई नियुक्तियां. और वह सितंबर में छठी नियुक्ति में केवल आधी उपस्थित हुई; वह दृष्टि हानि का आंकलन करने के लिए एमआरआई परीक्षण के लिए उपस्थित नहीं हुई.