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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग का दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने जारी किया वीडियो, सुलग रहे नोटों के बंडल


Juctice Varma Fire Case: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जिसमें नोटों के बंडलों में भी आग लगी नजर आ रही है. 14 मार्च को आग लगने के बाद नकदी होने की रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट की आंतरिक जांच की गई थी. 

वीडियो को लाइव लॉ की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया गया, जिसमें नोटों की गड्डियां सुलगती दिख रही हैं. एक कर्मचारी छड़ी के जरिए चीजों को हटाते हुए दिख रहा है. वहीं, बैकग्राउंड में एक शख्स कुछ कहते हुए सुनाई दे रहा है. 

सीजेआई संजीव खन्ना को सौंपी गई रिपोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले में देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को एक रिपोर्ट सौंपी है. जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में सबूत और जानकारी इकट्ठा करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी. उन्होंने अग्निशमन विभाग और पुलिस समेत सभी संबंधित अधिकारियों से बात करने के बाद शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी. 

#BREAKING Video shared by Delhi Police Commissioner regarding the fire at Justice Yashwant Varma’s house, when cash currencies were discovered. pic.twitter.com/FEU50vHwME

क्या है मामला?

दरअसल, 14 मार्च को होली की रात लगभग 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद दमकल कर्मी आग बुझाने पहुंचे थे. इस दौरान वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की है और उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का प्रस्ताव भी है.

बयान में कहा गया था, ‘‘जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना के संबंध में गलत सूचना और अफवाहें फैल रही हैं.’’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूचना मिलने पर जस्टिस उपाध्याय ने ‘‘सबूत और सूचना इकट्ठे करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी.’’

राज्यसभा में उछाला गया मुद्दा

यह मामला राज्यसभा में उठाया गया. सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर एक व्यवस्थित चर्चा आयोजित करने का रास्ता निकालेंगे. कांग्रेस के जयराम रमेश ने यह मुद्दा उठाते हुए न्यायिक जवाबदेही पर सभापति से जवाब मांगा था और इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जस्टिस के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस के बारे में याद दिलाया. 

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