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'चरणों की धूल, भगदड़ और बाबा का अब तक सामने न आना…', क्या SIT रिपोर्ट से बच जाएगा असल गुनहगार?



<p style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ सूरजपाल जाटव उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग कार्यक्रम के बाद 2 जुलाई मची भगदड़ और उसके बाद से बाबा का अब तक सामने न आना कई सवाल खड़े कर रहा है. इस घटना में मुख्य आयोजक ने भले ही सरेंडर कर दिया हो, कई और लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन, घटना के हफ्तेभर बाद 8 जुलाई को जो एसआईटी रिपोर्ट सामने आयी, उसके बाद ये साफ है कि 130 मौतों के गुनहगार को बचाने की पूरी तरह से कोशिश की जा रही है. इस बात का इशारा खुद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी किया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हाथरस कांड में एसआईटी की रिपोर्ट पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन, सवाल कई हैं और जवाब एक-एक कर आना अभी बाकी है, जिसके बिना इसके गुनहगार को पकड़ना मुश्किल होगा. वहां पर लोगों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कि ये बताया भोले बाबा ने सत्संग के दौरान कहा था- <em>’कार्यक्रम के बाद मेरे चरणों की धूल लेकर जाना, इसे ले जाकर घर में जिसको भी समस्या हो, उसके माथे पर लगाना, सारे कष्ट दूर हो जाएंगे. इसके बाद चरण के धूल लेने के लिए एकदम से भगदड़ मच गई.'</em></p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>गुनहगार को क्यों बचाने की कोशिश?</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, इस सवाल पर बाबा नारायण साकार हरि के वकील और निर्भया गैंगरेप के गुनहगारों की कोर्ट में पैरवी कर चुके डॉ. एपी सिंह बताते हैं कि बाबा के यहां पर चरणों की धूल वाली परंपरा अब खत्म हो चुकी है, और हादसे से काफी पहले ही बाबा का काफिला गुजर चुका है. लेकिन, जब हमने पूछा कि अगर बाबा इतने ही पाक साफ है तो फिर वे सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? लोग जिसे भगवान मानकर सूरज पाल जाटव के सत्संग में गए, वो अस्पताल में घायल पड़े लोगों से जाकर क्यों नहीं मिल रहे हैं? ये कैसा भगवान है?</p>
<p style="text-align: justify;">इसके जवाब में एडवोकेट एपी सिंह दलील देते हैं कि चूंकि बाबा के देशों में करोड़ो अनुयायी है, उन्होंने उदाहरण दिया कि जब एक सत्संग में 80 हजार लोगों की कैपिसिटी थी, और करीब ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए, ऐसे में अगर बाबा सामने आकर अस्पताल पहुंचेगे तो जो स्थिति बनेगी, उसे कौन संभालेगा? उनका कहना है कि अगर प्रशासन ये भरोसा दे तो नारायण साकार हरि सामने आ सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन, अब सवाल उठ रहा है कि प्रशासन को इस बात का भरोसा देने में आखिर क्या दिक्कत है? दूसरा सवाल ये भी उठ रहा है कि जिस बाबा के सत्संग में इतनी मौतें हो जाती है, उस बाबा का खुद सामने न &nbsp;आना और अपनी बातें वकील के जरिए लोगों के बीच रखवाना और इस बीच हाथरस कांड में साजिश कि थ्योरा का लाना… इन सब वाकये से साफ है कि कोई कुछ भी कहे… लेकिन असल गुनहगार को बचाने की कोशिश जरूर हो रही है.</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>बाबा क्यों नहीं आ रहे सामने?</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, होना तो ये चाहिए था कि घटना के फौरन बाबा नारायण साकार हरि, जिसके सत्संग के लिए इतनी भीड़ जुटी थी, बाबा को इसका सामना करना चाहिए था, घायलों को इंसाफ का मरहम लगाना चाहिए था और स्थिति का सामने आकर सामना करना चाहिए था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, इस घटना को लेकर राजनीतिक विश्लेषक सैयद रुमान हाशमी ये जरूर बताते है कि भारत में ये कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि कई घटना इससे पहले हो चुकी है. वो चाहे रेलवे स्टेशन की घटना हो, दक्षिण भारत की घटना हो या फिर कोई अन्य वाकया. ज्यादातर भगदड़ की घटनाओं की वजह धार्मिक आयोजनों ही रहती है, जो गांवों और देहातों में होता है.</p>
<p style="text-align: justify;">वहां पर पर्याप्त इमरजेंसी गेट, जैसे- अंदर जाने का, बाहर निकलने का… इन चीजों की कमी रहती है, लोगों की संख्या काफी ज्यादा रहती है. हालांकि, सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया में भी ऐसी घटनाएं होती रही है. सऊदी अरब में भी 1994 की बात है, जब ऐसे हज के मौके पर धार्मिक आयोजन के दौरान करीब 1 हजार लोगों की मौत हो गई थी. इतना ही नहीं, चाहे अमेरिका हो, या लैटिन अमेरिकी देश या मैक्सिको हो, वहां पर फुटबॉल का मैच हो या नाइट क्लब वहां भी इस तरह की भगदड़ की घटना होता है, जहां पर पुलिस का नियंत्रण पाना इस पर मुश्किल हो जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे में पुलिस के साथ आयोजक व्यक्तिगत तौर पर इसका निरीक्षण करें, लोगों की संख्या के हिसाब से वहां की व्यवस्था देखें… तो ही ऐसे घटनाओं से बचा जा सकता है. दूसरी बात ये कि आयोजक जितनी संख्या लिखकर दें, उससे ज्यादा लोगों की उसमें एंट्री नहीं हो, अगर होता है कि फिर इसके लिए अलग व्यवस्था हो.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">रुमान हाशमी आगे बताते हैं कि मरने वाली ज्यादातर घटनाओं में महिलाएं और बच्चे ही रहते हैं. इसकी वजह ये भी है कि महिलाएं, पुरुष की तुलना में ज्यादा धार्मिक रहती है. यही वजह है कि महिलाएं और बच्चों की ज्यादा इसमें मौत होती है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>कौन देगा इन सवालों के जवाब?</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">कुछ और सवाल जो हाथरस भगदड़ कांड को लेकर उठ रहा है वो ये कि इस घटना में एसआईटी रिपोर्ट के बाद एसडीएम, सीओ समेत छह अफसर को सस्पेंड कर देनेभर से क्या इंसाफ हो गया. कथित तौर पर जो बाबा चरण की धूल की बात कर रहे थे, वे कब सामने आएंगे? दूसरी बात ये कि जब हाथरस के सिकंदराराऊ में सत्ंसग के लिए 27 जून से ही उत्तर प्रदेश के अलावा देश के बाकी राज्य जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और बाकी जगहों से भक्तों का आना शुरू हो गया था, लोग बसों में भर-भरकर आ रहे थे, 2 जुलाई के आयोजन के लिए जब ढाई लाख से ज्यादा भीड़ इकट्ठी हुई तो प्रशासन क्यों सो रहा था?</p>
<p style="text-align: justify;">क्या ये लोकल इंटेलिजेंस की पूरी तरह से विफलता नहीं है? इसको लेकर पहले से क्यों नहीं आगाह किया गया? इसके अलावा एक बात और कि हाथरस जिसे में 11 थाने हैं, और इन थानों में करीब 80 से 100 पुलिसवालों की पोस्टिंग है, इस हिसाब से अगर देखा जाए तो करीब 12 सौ से ज्यादा पुलिसवाले यहां पर हैं. फिर पर्याप्त पुलिसबलों की तैनाती में आखिर क्या दिक्कत थी?</p>
<p style="text-align: justify;">बहरहाल, हाथरस घटना में इतनी मौतों के बाद अब अगर कुछ हो रहा है तो वो ये कि इस घटना के मुख्य गुनहगारों को बचाने की कोशिशें हो रही है. पूरी ताकत बस इसी के पीछे लगा दी गई है. सारा तंत्र इसी काम में लगा दिया गया है, ताकि कानूनी दांव पेंच से लेकर हर स्तर पर असल गुनहगार को बचाया जा सके. ऐसे में इतनी मौतों का कैसे इंसाफ होगा, इस पर जवाब देनेवाला कोई नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]</strong><br /><br /></p>



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