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खालिस्तानी मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कनाडा को फिर सुनाई खरी-खोटी, अमेरिका को भी सलाह



Canada India Row : कनाडा (Canada) है कि मानने का नाम नहीं लेता.उसके बेतुके आरोपों की सूची बढ़ती जा रही है. यहां तक की उसने केंद्रीय गृहमंत्री (Amit Shah) तक को टारगेट करने की कोशिश की.कनाडा में होने वाले दिवाली समारोह को रद्द कर दिया. साथ ही कनाडा में मौजूद भारतीय दूतावास के अफसरों को धमकी भी दे रहा है. इसको देखते हुए आज विदेश मंत्रालय ने कनाडा को जमकर फटकार लगाई. साथ ही भारतीय कंपनियों पर अमेरिका के प्रतिबंधों और चीन सीमा पर भी सवालों का खुलकर जवाब दिया.

दिवाली नहीं मनाने दी

कनाडा के पार्लियामेंट हिल में दिवाली समारोह रद्द होने की खबरों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (MEA Spokesperson Randhir Jaiswal) ने कहा, ‘हमने इस संबंध में कुछ खबरें देखी हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कनाडा में मौजूदा माहौल असहिष्णुता और चरमपंथ के उच्च स्तर पर पहुंच गया है.’ कनाडा सरकार द्वारा वीजा की संख्या में कमी पर रणधीर जायसवाल कहते हैं, “हम कनाडा में काम करने वाले अपने छात्रों और पेशेवरों की भलाई की निगरानी कर रहे हैं. उनकी सुरक्षा के लिए हमारी चिंता मजबूत बनी हुई है.”

अधिकारियों को धमकाने पर

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमारे वाणिज्य दूतावास के कुछ अधिकारियों को हाल ही में कनाडा सरकार ने सूचित किया था कि वे ऑडियो और वीडियो निगरानी में हैं और यह जारी रहेगा. उनके संचार को भी हमने इंटरसेप्ट किया है. हमने औपचारिक रूप से कनाडा सरकार का विरोध किया है, क्योंकि हम इन कार्यों को राजनयिक और कॉन्सुलर कन्वेंशन का एक प्रमुख उल्लंघन मानते हैं. तकनीकी बातों का हवाला देते हुए, कनाडा सरकार इस तथ्य को सही नहीं ठहरा सकती है कि वह उत्पीड़न और धमकी में लिप्त है. हमारे राजनयिक और कॉन्सुलर पहले से ही उग्रवाद और हिंसा के वातावरण में कार्य कर रहे हैं. कनाडा सरकार की यह कार्रवाई स्थिति को बढ़ाती है और स्थापित राजनयिक मानदंडों और प्रथाओं के साथ असंगत है.”

अमित शाह पर

रणधीर जायसवाल ने आगे कहा, ‘खालिस्तानियों पर हमले में कनाडा के ताजा टारगेट (अमित शाह) के संबंध में हमने कल कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब किया… नोट में बताया गया कि भारत सरकार उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा समिति के समक्ष भारत के केंद्रीय गृह मंत्री के बारे में दिए गए बेतुके और आधारहीन संदर्भों का कड़े शब्दों में विरोध करती है. वास्तव में, यह इस बात का खुलासा करता है कि कनाडा के उच्च अधिकारी जानबूझकर भारत को बदनाम करने और अन्य देशों को प्रभावित करने की एक सचेत रणनीति के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को निराधार आक्षेप लीक करते हैं. यह इस दृष्टिकोण की भी पुष्टि करता है कि भारत सरकार ने वर्तमान कनाडाई सरकार के राजनीतिक एजेंडे और पैटर्न के बारे में जो लंबे समय से कह रही है, वो सही है. इस तरह की गैर जिम्मेदाराना कार्रवाइयों का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा.’

अमेरिका को लेकर बयान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हाल ही में हमें अमेरिका (USA)से कुछ लोगों को वापस भेजा गया था. हम प्रवासन (Migration) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ नियमित बातचीत करते हैं और इसके पीछे विचार कानूनी प्रवास (Legal Migration)के लिए और अधिक अवसर पैदा करना है. हमारी नियमित कॉन्सुलर वार्ता के जरिए हमने अमेरिका से भेजे गए लोगों की आवाजाही की सुविधा प्रदान की है, जो अवैध रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहे हैं … यह कुछ समय से चल रहा है और हमें उम्मीद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हम अवैध आव्रजन को रोकने में सक्षम होंगे.’

अमेरिका के प्रतिबंधों पर

रणधीर जायसवाल ने कहा, ’19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध के बाबत हमने अमेरिकी प्रतिबंधों की ये खबरें देखी हैं. भारत के पास रणनीतिक व्यापार और अप्रसार नियंत्रण पर एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है. हम तीन प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं वासीनार व्यवस्था, ऑस्ट्रेलिया समूह और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था के भी सदस्य हैं और परमाणु अप्रसार पर प्रासंगिक यूएनएससी प्रतिबंधों और यूएनएससी संकल्प 1540 को प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं. हमारी समझ यह है कि इन कंपनियों में भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है. फिर भी, भारत की स्थापित अप्रसार साख को ध्यान में रखते हुए, हम लागू निर्यात नियंत्रण प्रावधानों पर भारतीय कंपनियों को संवेदनशील बनाने के लिए सभी संबंधित भारतीय विभागों और एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं और उन्हें लागू किए जा रहे नए उपायों के बारे में भी सूचित कर रहे हैं.’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल कहते हैं, “21 अक्टूबर, 2024 को भारत और चीन के बीच अंतिम चरण के डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनी थी. नतीजतन, डेमचोक और देपसांग में पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों पर सत्यापन गश्त शुरू हो गई है…”

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