क्रिकेटर बनना चाहता था ये एक्टर, पापा चाहते थे बिजनेस संभाले बेटा फिर किस्मत ने लिया यूटर्न और बना दिया विलेन
नई दिल्ली:
पर्दे पर विलेन का किरदार निभाना आसान नहीं है. दर्शकों को डराने के लिए बेहतरीन एक्टिंग स्किल की जरूरत होती है. जब एक्टर अच्छा करते हैं तो हर कोई उनकी तारीफ करता है. लेकिन अगर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है या उनकी परफॉर्मेंस खराब होता है तो उनके लिए इंडस्ट्री में काम पाना मुश्किल हो जाता है. आज हम ऐसे ही एक बेहतरीन एक्टर मुकेश ऋषि के बारे में बात करेंगे जिन्हें 90 और 2000 के दशक के सबसे बेहतरीन विलेन के तौर पर जाना जाता है. हालांकि आजकल वे फिल्मों में कम ही नजर आते हैं. मुकेश ऋषि का जन्म 17 अप्रैल, 1956 को जम्मू में हुआ था. उनके पिता एक बिजनेसमैन थे. उनके पिता चाहते थे कि मुकेश फैमिली बिजनेस से जुड़ें. हालांकि स्कूल के दिनों में मुकेश का झुकाव क्रिकेट खेलने की ओर ज्यादा था.
कॉलेज के दिनों में वे पंजाब यूनिवर्सिटी में कैप्टन भी रहे. इस दौरान उनका परिवार मुंबई आ गया. वहां उनके पिता ने बिजनेस शुरू किया और मुकेश के बड़े भाई के साथ पार्टनरशिप की. पढ़ाई पूरी करने के बाद मुकेश को भी फैमिली बिजनेस से जोड़ दिया गया. हालांकि मुकेश फैमिली बिजनेस को लेकर ज्यादा इंट्रेस्टेड नहीं थे. उन्होंने विदेश यात्रा करने की इच्छा जताई इसलिए उनके पिता ने उन्हें एक दोस्त की मदद से फिजी भेज दिया. वहां उन्होंने एक डिपार्टमेंटल स्टोर में मैनेजर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. अपनी नौकरी के साथ-साथ मुकेश ने कुछ मॉडलिंग भी की. मॉडलिंग के दिनों में लोगों ने उन्हें सलाह देना शुरू कर दिया कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने पर विचार करना चाहिए.
जब मुकेश के पिता का निधन हो गया तो वे मुंबई लौट आए. बाद में जब उनके भाई ने उन्हें फैमिली बिजनेस संभालने के लिए कहा तो मुकेश ने फिल्मों में विलेन बनने की इच्छा जताई. उनके भाई ने मंजूरी दे दी और फिर मुकेश, रोशन तनेजा से मिले. उन्होंने एक्टिंग स्कूल में एडमिशन लिया और तनेजा से कहा कि जब वे तैयार महसूस करेंगे तब काम की तलाश करेंगे. 6 महीने बाद मुकेश को महसूस हुआ कि वह फिल्म इंडस्ट्री के लिए तैयार हैं. रोशन तनेजा ने उन्हें यश चोपड़ा के पास भेजा लेकिन जब मुकेश पहुंचे तो चोपड़ा ने समझाया कि उनकी फिल्में आम तौर पर रोमांटिक और फैमिली ऑडियंस वाली होती हैं और आमतौर पर विलेन की जरूरत नहीं होती है.
निराश होकर मुकेश घर लौट आए. हालांकि एक साल बाद उन्हें यश चोपड़ा के दफ्तर से कॉल आया और उन्हें 1993 में रिलीज हुई एक फिल्म में कास्ट किया गया. इसने इंडस्ट्री में मुकेश ऋषि की शानदार एंट्री का काम किया. संजय खान ने मुकेश ऋषि को अपने सुपरहिट टीवी सीरियल टीपू सुल्तान में एक भयंकर विलेन का रोल ऑफर किया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक संजय, मुकेश की फिजीक से इंप्रेस्ड थे जो इस रोल के लिए एकदम सही थी. इसके बाद मुकेश ने प्रियदर्शन की फिल्म गर्दिश में काम किया. जहां उन्होंने मेन विलेन का रोल किया और काफी तारीफें भी पाईं. ये मुकेश ऋषि की विलेन के तौर पर शुरुआती सफल फिल्में थीं. इस फिल्म के बाद मुकेश ने 90 के दशक में सरफरोश, सूर्यवंशम, लोफर, इंडियन, गुंडा, कोई मिल गया, डैम और दूसरी फिल्मों में काम किया और खुद को टॉप विलेन खलनायकों में से एक के तौर पर स्थापित किया. मुकेश ऋषि ने ना केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि तमिल, तेलुगु और पंजाबी सिनेमा में भी काम किया.
जैसे-जैसे साल 2000 नजदीक आया बॉलीवुड फिल्मों में विलेन के किरदार और उनकी शैली में गजब का बदलाव आया. मुकेश ऋषि की इमेज भी बनने लगी और इसके चलते उन्हें बॉलीवुड में फिल्मों के ऑफर कम मिलने लगे. हालांकि साउथ की फिल्मों में तेजी आई जहां दर्शकों ने खलनायक के रोल में उन्हें पसंद किया. इस रुझान को देखते हुए मुकेश ने धीरे-धीरे वर्ष 2000 के आसपास अपना ध्यान साउथ की फिल्मों की तरफ लगाया. वहां उन्होंने कई लीड एक्टर्स के साथ काम किया और दर्शकों से काफी प्यार पाया खासतौर पर तेलुगु फिल्मों में.