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क्या चीन गुपचुप तरीके से लगातार बढ़ा रहा है अपनी न्यूक्लियर पावर, पेंटागन की रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे


क्या चीन गुपचुप तरीके से लगातार बढ़ा रहा है अपनी न्यूक्लियर पावर, पेंटागन की रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

चीन लगातार बढ़ा रहा है अपनी परमाणु क्षमता – रिपोर्ट


नई दिल्ली:

चीन अपने न्यूक्लियर पावर को लगातार बढ़ा रहा है. दावा किया रहा है कि उसने अपने लिए 600 के करीब परमाणु हथियार भी तैयार करके रखा है. ये दावा पेंटागन की रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट में इस दावे के साथ-साथ कई चौकाने वाले खुलासे भी किए गए हैं. पेंटागन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार इजाफा करने में जुटा है. अगर वह इसी गति से परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाता रहा तो वर्ष 2030 तक उसके पास 1000 परमाणु हथियार होंगे. 

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अपनी वायुसेना को भी और मजबूत कर रहा है चीन

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बीजिंग ने अकेले पिछले साल ही अपने परमाणु हथियारों की संख्या में 100 हथियार और जोड़े हैं. यानी अब चीन के पास कुल 600 परमाणु हथियार हैं. चीन की वायु सेना को लेकर भी इस रिपोर्ट में कई दावे मिलते हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपनी वायुसेना की टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड में भी सुधार करने पर जोर दे रहा है. उसका फोकस है कि वह अमेरिकी मानकों के बराबर ही अपनी वायुसेना को तकनीक से लैस करे. इतना ही नहीं चीन अपने ड्रोन्स को भी आधुनिकी बनाने में जुटा है. इस रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने ड्रोन्स की तादात को भी बढ़ा रहा है. 

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अत्याधुनिक मिसाइलें विकसित करने में जुटा है चीन

पेंटागन की इस रिपोर्ट के अनुसार चीन बीते कुछ समय से अपनी सेना को और अधिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने में जुटा है. यही वजह है कि वह लगातार ऐसी मिसाइलें भी बना रहा है जो दुश्मनों की नींद उड़ा सके. रिपोर्ट के अनुसार चीन नई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित करने पर जोर दे रहा है. ऐसा करने से उसकी परमाणु सक्षम मिसाइल ताकतों में इजाफा होगा. इसके साथ-साथ अनुमान लगाया जा रहा है कि चीन पारंपरिक रूप से सशस्त्र इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज मिसाइल सिस्टम विकसित करने पर विचार कर सकता है. 

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रूस और उत्तर कोरिया से चीन ने बनाई दूरी 

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने सार्वजनिक रूप से रूस और उत्तर कोरिया के बढ़ते रक्षा संबंधों से खुदको दूर कर लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि चीन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि शायद  उसे लगता है कि इन देशों से नजदीकी उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है. 





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