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कौन सा और कैसे ट्रंप कार्ड चलकर…आगे निकलीं कमला हैरिस?


अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उप राष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris) की उम्मीदवारी अब काफ़ी मज़बूत हो चुकी है. कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के तमाम बड़े दिग्गजों का समर्थन हासिल हो चुका है. उनके अपने राज्य कैलिफोर्निया के सैकड़ों डेलीगेट्स उनके समर्थन में खुल कर उतर चुके हैं. कैलिफोर्निया में डेमोक्रेटिक पार्टी के डेलीगेट्स की बैठक में हाउस ऑफ़ रिप्रज़ेंटेटिव्स की स्पीकर रही नैंसी पैलोसी ने उनका नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सबने एकमत से समर्थन कर दिया. इस बीच जब से हैरिस का नाम सामने आया है, डेमोक्रेटिक पार्टी के अभियान के लिए दानदाताओं अपनी तिज़ोरियां खोल दी हैं. 

कितना मिला अब तक चंदा?

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उद्योग जगत और हॉलीवुड से जुड़ी कई हस्तियों ने राजनीतिक दान देना शुरू कर दिया है. बाइडेन के रेस से हटने के बाद से अब तक 81 मिलियन डॉलर और जमा हो चुके हैं, जो उस रकम से बस कुछ ही कम है जितना बाइडेन (Joe Biden) अभी तक कुल मिलाकर जमा कर पाए थे. जून के अंत तक बाइडेन के नाम पर 95 मिलियन डॉलर जमा हुए थे, लेकिन फिर ट्रंप के साथ कई मंचों पर हुई बहस में कमज़ोर पड़ने और उनकी उम्र का मुद्दा हावी होने के कारण उनके अभियान के लिए पैसा मिलना लगभग बंद हो गया था. हालांकि, जिस तरह से डेमोक्रेटिक अभियान के लिए अब फंड्स मिल रहे हैं, उससे लगता है कि हैरिस की उम्मीदवारी को लेकर लोगों में काफ़ी जोश है. यही नहीं जो डोनाल्ड ट्रंप अभी तक के कई पोल्स के मुताबिक राष्ट्रपति पद की दौड़ में बाइडेन से आगे चल रहे थे, कमला हैरिस के रेस में उतरने के साथ ही उन्हें कड़ी चुनौती मिलने लगी है. बल्कि ताज़ा पोल के मुताबिक वो पिछड़ गए हैं.

कितने प्रतिशत लोग कमला के साथ?

Reuters/Ipsos ने रविवार को जो बाइडेन के रेस से हटने के बाद सोमवार और मंगलवार को एक हज़ार से ज़्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स के बीच एक पोल करवाया. इसके मुताबिक 44% मानते हैं कि कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनना चाहिए  और 42% मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति बनना चाहिए. इस आंकड़े में 3% का Error Margin है.
बाइडेन और ट्रंप की तुलना करते वक़्त लगातार ये सामने आता रहा कि बाइडेन बड़ी उम्र होने के कारण मानसिक तौर पर उतने तेज़ नहीं रह गए हैं, जितने की ट्रंप हैं. हालांकि, ट्रंप उनसे सिर्फ़ तीन साल ही छोटे हैं, लेकिन 59 साल की कमला हैरिस अब इस मामले में ट्रंप पर भारी पड़ने लगी हैं. Reuters/Ipsos पोल के मुताबिक 56% लोगों ने माना कि कमला हैरिस मानसिक तौर पर तेज हैं और चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं. 49% डोनाल्ड ट्रंप को भी ऐसा ही मानते हैं, जबकि जो बाइडेन के लिए सिर्फ़ 22% लोगों की ये राय है.

Donald Trump पर कमला के हमले 

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ख़ुद को मिलने वाले समर्थन से उत्साहित कमला हैरिस ने अब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हमले तेज़ कर दिए हैं. वो बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं कि ट्रंप यौन हमले के एक मामले में सिविल कोर्ट में दोषी साहित हो चुके हैं. इसके अलावा कई अन्य मुकदमों में उन्हें कारोबार, चैरिटी फाउंडेशन और प्राइवेट यूनिवर्सिटी के मामलों में फ्रॉड करते पाया गया है. कमला हैरिस की ओर से इसे लेकर सोशल मीडिया में प्रचार भी तेज़ हो गया है, जिसमें अभी तक ट्रंप आगे लग रहे थे. कमला हैरिस ख़ुद को एक प्रोग्रेसिव नेता साबित करने में भी जुट गई हैं, जो लोगों के आर्थिक हितों की परवाह करती हैं और गर्भपात के मामले में महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करती हैं. इसके अलावा उनके समर्थक भी अब ट्रंप के सामने उसी हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल ट्रंप ने बाइडेन के सामने किया था. ट्रंप बाइडेन से सिर्फ़ तीन साल छोटे हैं और अब कमला हैरिस के सामने ट्रंप की बड़ी उम्र को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.

Barack Obama ने क्यों नहीं किया समर्थन?

कमला हैरिस के हौसले और डेमोक्रेट डेलीगेट्स के समर्थन से ये साफ़ है कि डेमोक्रेटिक पार्टी में वही सबसे बड़ी उम्मीदवार साबित होंगी, लेकिन उनके नाम पर फाइनल मुहर अगस्त में शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक नेशनल कनवेंशन में लगेगी. इस बीच एक सवाल ये उठ रहा है कि जब अधिकतर बड़े डेमोक्रेट्स कमला हैरिस के समर्थन में उतर आए हैं तो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा क्यों उनके समर्थन में सामने नहीं आ रहे हैं? क्या वो हैरिस के समर्थन में नहीं हैं या फिर वो किसी रणनीति के तहत देरी कर रहे हैं? अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि ओबामा हैरिस के विरोध में हैं, बल्कि देरी करना उनकी एक सोची समझी रणनीति है. जिसके कई कारण हैं. कमला हैरिस के समर्थन में सभी डेमोक्रेट्स का एक साथ आना ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उनकी ताजपोशी हो रही है, बल्कि ये लगना चाहिए कि उनकी उम्मीदवारी के पीछे एक राय बनी है.

क्या ओबामा की यह रणनीति है?

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दरअसल, चार साल पहले भी ओबामा ने ऐसा ही किया था. तब डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के समर्थक ओबामा पर दबाव डाल रहे थे कि वो जल्द से जल्द बाइडेन का समर्थन करें. सीनेटर बर्नी सैंडर्स के रेस से हटने के बाद ही ओबामा बाइडेन के समर्थन में आगे आए. तब ओबामा ने कहा था कि मैं संतुलन को बिगाड़ना नहीं चाहता. इस बार भी ओबामा ने अब तक हैरिस के लिए कुछ नहीं कहा है और कई लोग ख़ासतौर पर विपक्षी रिपब्लिकन कहने लगे हैं कि वो हैरिस के पक्ष में नहीं हैं. दरअसल, ओबामा ने अपनी एक पोस्ट में बाइडेन की तारीफ़ करने के साथ ही कहा कि अगले कुछ दिन हम एक नए रास्ते पर होंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी पार्टी के नेता एक प्रक्रिया बना सकेंगे, जिससे एक शानदार उम्मीदवार उभरे, लेकिन उन्होंने हैरिस का ज़िक्र तक नहीं किया. ओबामा एक ऐसी भूमिका निभाना चाहते हैं, जिसमें वो चुने हुए उम्मीदवार के पीछे पूरी पार्टी को तुरंत एक कर दें. 

क्या अपनी पत्नी को आगे करना चाहते हैं?

हैरिस का अब तक समर्थन न करने की एक और वजह ये बताई जा रही है कि बराक ओबामा जो बाइडेन को नाखुश नहीं करना चाहते. न्यूयॉर्क टाइम्स का ये लेख कहता है कि 2016 के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन का समर्थन करने के लिए बाइडेन ने कभी ओबामा को माफ़ नहीं किया. बाइडेन मानते थे कि वो ट्रंप को चुनाव में हरा सकते थे. बाइडेन ओबामा के साथ उप राष्ट्रपति रहे थे और उन्हें लगता था कि ओबामा के बाद उनकी दावेदारी बनती है. बाइडेन इस बात से भी नाराज़ रहे कि 2020 के चुनाव में ओबामा ने उन्हें चुनाव लड़ने से हतोत्साहित किया. यही वजह है कि इस बार ओबामा काफ़ी सतर्क रहे और बाइडेन के रेस से हटने के तुरंत बाद हैरिस के समर्थन के लिए नहीं दौड़े, ताकि बाइडेन को ये न लगे कि उनके हटने से ओबामा को खुशी हुई है. ओबामा चाहते थे कि रेस से हटने वाले दिन सुर्ख़ियों में सिर्फ़ बाइडेन ही रहें और इसीलिए उन्होंने अपने संदेश में बाइडेन की काफ़ी तारीफ़ की औऱ बताया कि उन्होंने सोलह साल पहले बाइडेन की किन ख़ूबियों की वजह से उन्हें अपने साथ उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया. ओबामा का कहना है कि बाइडेन अमेरिका के सबसे बड़े देशभक्त हैं. वैसे कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि शायद बराक ओबामा देर सबेर अपनी पत्नी मिशेल ओबामा को राष्ट्रपति पद के चुनाव में उतरते देखना चाहते हैं. हालांकि, इस बार उनके लिए देर हो गई है और शायद इसी वजह से वो कमला हैरिस के समर्थन में सामने आने से पहले काफ़ी सोच विचार कर रहे हैं.

पूर्व राजदूत का आकलन

इस बीच अगले महीने शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक नेशनल कनवेंशन में कमला हैरिस के नाम पर मुहर लगती है तो उनके सामने एक और चुनौती होगी. वो ये है कि वो अपने साथ उपराष्ट्रपति के तौर पर किसको चुनेंगी… कई डेमोक्रेटिक नेताओं के नाम इसके लिए चलने भी लगे हैं. अमेरिका में राजदूत रहीं मीरा शंकर ने बताया कि डेमोक्रेटिक कैंपेन में कमला हैरिस के आने से नई जान आ गई है. बाइडेन के जाने के बाद कमला को लेकर पोल्स भी काफी अच्छे संकेत दे रहे हैं. हालांकि अभी इलेक्शन की स्पष्ट तस्वीर नहीं आई है. अब चुनाव कांटे का है.




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