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कैसे होती है ड्रग्स की ख़रीद-फरोख्त? ड्रग्स के जाल पर NDTV की पड़ताल




नई दिल्ली:

पूरे देश के युवाओं पर मंडरा रहा है नशे की लत का ख़तरा. नशे के कारोबारी पैसे की लालच में देश का भविष्य बर्बाद करने पर लगे हैं. ड्रग्स का जाल हर राज्य, हर कोने में फैलाने की कोशिश की जा रही है. सरकार और पुलिस ने भी ड्रग्स के ख़िलाफ़ अब ज़ीरो टॉलरेंस की पॉलिसी अपना ली है. आज हम सात राज्यों से ड्रग्स के इस मकड़जाल पर NDTV की पड़ताल बताने जा रहे हैं. सबसे पहले बात करते हैं महाराष्ट्र की. ये समस्या कितनी विकराल होती जा रही है, ड्रग्स माफिया कैसे चलाता है अपना काला कारोबार. 

महाराष्ट्र के एक प्रमुख शहर पुणे के नाइट क्लब में ड्रग्स ले हे दो युवाओं की तस्वीर वायरल हुई थी. जिसके बाद बवाल मच गया. विपक्ष ने ड्रग्स के काले कारोबार पर अंकुश लगा पाने में शिंदे सरकार को असफल बताया तो वहीं सरकार ने गैरकानूनी नाईट क्लबों पर बुलडोजर चलाने शुरू कर दिया. 

पुणे में पुलिस कर रही है कार्रवाई
पुणे शहर के किसी पब पर बुलडोजर चल रहा है तो किसी पर हथौड़ा. देर रात तक गुलजार रहने वाले इन अड्डों पर फिलहाल सन्नाटा छाया हुआ है. वजह है बीते हफ्ते वायरल हुआ एक वीडियो. इस वीडियो में दो शख्स पुणे के फर्गुसन कॉलेज रोड पर स्थित पब Liquid Leisure Lounge में ड्रग्स लेते नजर आ रहे हैं.  जो दो युवा वीडियो में ड्रग्स लेते नजर आ रहे थे उनकी गिरफ्तारी हुई है.  इनमें से एक शख्स मुंबई का रहने वाला आर्किटेक्ट है और दूसरा पुणे के आई.टी उद्योग से जुडा.  पता चला कि घटना वाली रात उस पब में देर रात तक पार्टी चल रही थी. इन दो गिरफ्तारियों के अलावा पुणे पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से की गयी कार्रवाई में कुल 14 लोग पकड़े गए थे.  घटना वाली रात उस इलाके में तैनात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. 

पुणे का मामला सामने आने के बाद सरकार हरकत में तो आती दिखाई दे रही है, लेकिन क्या ये सिर्फ विपक्ष का मुंह बंद करने के लिये उठाया गया कदम है. क्या चंद गिरफ्तारियां कर देने से, कुछ पबों पर बुलडोजर चलवा देने से और कुछ पुलिस वालों को सस्पेंड कर देने भर से सरकार महाराष्ट्र को ड्रग्स के जाल से मुक्त करा सकेगी. क्योंकि ड्रग्स का काला कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर राज्य में अपना पैस पसार चुका है और मुंबई, पुणे जैसे शहर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. 

हाल फिलहाल में मुंबई और पुणे में ड्रग्स पकड़े जाने के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ड्रग्स माफिया ने बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों को अपनी चपेट में ले रखा है.  इसी साल फरवरी में पुणे पुलिस ने छापा मारकर पास के दौंड इलाके से मेफेड्रोन नाम के ड्रग्स की एक फैक्टरी का पर्दाफाश किया था. ये फैक्ट्री एक केमिकल निर्माण की यूनिट में चल रही थी. यहां से पुलिस ने 1836 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद की जिसकी कीमत पौने चार हजार करोड रूपये की है. 

इसी साल मई महीने के मुंबई पुलिस के आंकडे भी चिंता पैदा करते हैं. मुंबई पुलिस ने हेरोईन के 18, चरस के 25, कोकिन के 10, गांजे के 351, मेफेड्रोन के 126 और अन्य प्रकार के ड्रग्स के 40 मामले पकड़े. Narcotic Drugs and Psychotropic Substances कानून के तहत सिर्फ एक महीने में ही 3502 मामले दर्ज किये गये. ड्रग्स के साथ पाये गये 686 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि ड्रग्स का सेवन करने वाले 2954 लोग गिरफ्तार हुए. कुल मिलाकर 3640 गिरफ्तारियां हुईं. 

घरों के अंदर भी बन रहा है ड्रग्स
पहले ड्रग्स की बड़े पैमाने पर तस्करी हुआ करती थी, लेकिन अब ड्र्ग्स घरों के भीतर भी पैदा किया जा रहा है. नशेड़ियों के बीच मेफेड्रोन नाम का ड्रग्स काफी लोकप्रिय है. इसे एमडी, मम्मी-डैडी और कैट्स आई भी कहते हैं. ये बाकी ड्रग्स के मुकाबले सस्ता भी है और बड़ी आसानी से मिल जाता है. पुणे मामले में गिरफ्तार दोनों शख्स पर आरोप है कि वे भी एम डी ड्रग्स का सेवन कर रहे थे. 

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक रह चुके समीर वानखेडे ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि मुंबई गोवा और अन्य शहरों में सबसे अधिक मेफेड्रोन के मामले सामने आते हैं. लोग इसे गरीब लोगों की कोकीन बताते हैं. 

पंजाब में पुलिस कर रही है लगातार कार्रवाई
पंजाब में नशे का संकट  किसी से छिपा नहीं है. ये सामने आया है कि यहां ड्रग्स का जाल सीमा पार से आ रही सप्लाई की वजह से फैला. पंजाब पुलिस इन हालात से निपटने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रही है, इसका नतीज भी दिख रहा है. पिछले कुछ साल में पंजाब के युवाओं में नशे का ज़हर जिस तरह फैला, वो पूरे देश को परेशान करने वाला था. पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के लिए इसपर काबू पाना एक युद्ध से कम नहीं.  इस ड्रग्स के मकड़जाल के ख़ात्मे के लिए पुलिस ने पूरे राज्य में एक बड़ा ऑपरेशन चलाया है. CASO यानि Cordon and Search Operation के तहत उन जगहों पर छापेमारी की जा रही है जो ड्रग्स के धंधे के लिए हॉटस्पॉट हो सकते हैं. मोहाली में इसी तरह के एक ऑपरेशन में हमारे सहयोगी भी पुलिस के साथ गए. 

पंजाब में ड्रग्स का सीमा पार कनेक्शन
पंजाब में नशे का संकट किसी से छिपा नहीं है. ये सामने आया है कि यहां ड्रग्स का जाल सीमा पार से आ रही सप्लाई की वजह से फैला. पंजाब पुलिस इन हालात से निपटने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रही है, इसका नतीज भी दिख रहा है. पिछले कुछ साल में पंजाब के युवाओं में नशे का ज़हर जिस तरह फैला, वो पूरे देश को परेशान करने वाला था. पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के लिए इसपर काबू पाना एक युद्ध से कम नहीं.  इस ड्रग्स के मकड़जाल के ख़ात्मे के लिए पुलिस ने पूरे राज्य में एक बड़ा ऑपरेशन चलाया है. CASO यानि Cordon and Search Operation के तहत उन जगहों पर छापेमारी की जा रही है जो ड्रग्स के धंधे के लिए हॉटस्पॉट हो सकते हैं. मोहाली में इसी तरह के एक ऑपरेशन में हमारे सहयोगी भी पुलिस के साथ गए. 

पुलिस के ऑपरेशन के बाद ड्रग्स के धंधे पर लगाम लगने लगा है. सरकार ने करीब 10 हज़ार पुलिसवालों को अलग-अलग जगह तैनात किया. उनकी तैनाती की जगह में भी बदलाव किया.

2017 के बाद हेरोइन की बरामदगी साढ़े पांच गुना से ज़्यादा बढ़ गयी है 

  • 2023 में 1346 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2022 में 594 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2021 में 571 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2020 में 760 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2019 में 460 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2018 में 424 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी
  • 2017 में 179 किलो हेरोइन पकड़ी गयी थी

पुलिस ने इस धंधे से जुड़े लोगों पर भी कार्रवाई तेज़ कर दी है.  NDPS एक्ट के तहत 2018 में 59 फ़ीसदी लोगों को दोषी करार दिया गया था वहीं 2023 में इसकी संख्या 81 फ़ीसदी हो गयी. 

नशे के कारोबार से दिल्ली भी दूर नहीं
नशे के कारोबार से दिल्ली भी दूर नहीं. दिल्ली को नशे का ट्रांज़िट प्वाइंट भी माना जाता है. यानी विदेश से बड़ी मात्रा में ड्रग्स दिल्ली आते हैं और फिर दिल्ली एनसीआर के साथ देश के दूसरे हिस्सों में जाते है.नशे की आदत वो गहरा कुआं है जहां से बाहर निकलना बहुत मुश्किल है. कई बार नशे के शिकार युवा अपनी जान तक गवा बैठतें हैं. दिल्ली को नशे का ट्रांज़िट प्वाइंट भी माना जाता है. विदेश से बड़ी मात्रा में ड्रग्स आते हैं और फिर दिल्ली एनसीआर के साथ देश के दूसरे हिस्सों में जाते है. इसी साल फरवरी में पुणे पुलिस ने दिल्ली और पुणे से 1600 किलो मेफेड्रोन ड्रग्स बरामद की थी. लगता है कि दिल्ली ड्रग्स तस्करों के लिए ट्रांजिट प्वाइंट है जहां दुनिया भर से नशे की खेप पहुंचती है.

पुल‍िस ने इस साल 15 जून तक 631 एनडीपीएस मामलों में 720 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने पिछले 8 बरसों में 2,500 करोड़ से ज्यादा की करीब 3,000 किलो ड्रग्स बरामद कर नष्ट की है. 

दिल्ली: नशे के ख़िलाफ़ अभियान
दिल्ली में 15 जून तक 631 मामलों में 720 गिरफ्तारियां हुई हैं. 8 बरसों में 2,500 करोड़ की 3,000 किलो ड्रग्स बरामद हुआ. नशे के सौदागरों पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने पिछले साल ऑपरेशन कवच चलाया था, जिसके तहत न सिर्फ तस्कर पकड़े गए. बल्कि नशे के खिलाफ जागरुकता की मुहिम भी चलाई गई. डिमांड है इसलिए चीज बिक रही है इसे रोकने के लिए हम अलग-अलग अवेयरनेस प्रोग्राम कर रहे है. इसी महीने हमने दो हफ्ते का एक नशा मुक्ति पखवाड़ा 12 जून से 26 जून तक करवाया.

रेस्पिरेटरी फ़िजिशियन डॉ. मीत गूनिया ने कहा कि ड्रग हेडलर का सॉफ्ट टारगेट वो लोग है जो इंस्टीट्यूट या कॉलेज में पढ़ रहे है जो अपने घरों से दूर होते है, कोचिंग के लिए जाते हैं, उनके सोर्सेज के थ्रू बच्चों के पास पहुंचते है. फर्स्ट टाइम एक्सपोजर उन्हें अच्छा लगता है लेकिन लत लगने के बाद जब वो छोड़ने की कोशिश करते है तब जो सिमटम होते है वो गंभीर होते हैं. कोकीन, हेरोइन, गांजे के सथ ही पार्टी ड्रग्स म्याऊ म्याऊ यानी मेफेड्रॉन की मांग काफी ज्यादा है. दिल्ली और एनसीआर के कई कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, हॉस्टलों में ड्रग्स आसानी से मिल जाते हैं.

असम में पिछले 3 साल में 15 हजार लोगों की गिरफ्तारी
असम में ड्रग्स के धंधे पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने जंग छेड़ी हुई है. पिछले 3 साल में इस धंधे से जुड़े करीब 15 हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. पिछले एक साल के अंदर ही करीब 2100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की ड्रग्स बरामद की जा चुकी है. असम में ड्रग्स के धंधे पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने जंग छेड़ी हुई है. पिछले 3 साल में इस धंधे से जुड़े करीब 15 हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. पिछले एक साल के अंदर ही करीब 2100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की ड्रग्स बरामद की जा चुकी है. इसके बावजूद ड्रग्स राज्य में एक बड़ी समस्या बने हुए हैं.

असम पुलिस की कार्रवाई में सबसे ज़्यादा गांजा और मॉर्फ़ीन मिल रहा है. इसके अलावा कोकीन वाले सिरप भी बड़ी समस्या बने हुए हैं. इस तरह के प्रतिबंधित ड्रग्स की स्मगलिंग बड़ी समस्या है. कोकीन, हेरोइन, अफ़ीम और क्रिस्टल मेथ के कारोबार पर भी कार्रवाई तेज़ हुई है.

असम में ड्रग्स बड़ी समस्या
असम की आबादी करीब 3 करोड़ है. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 20 लाख से ज़्यादा लोग किसी न किसी तरह का ड्रग्स लेते हैं. इनमें महिलाओं और नाबालिगों की संख्या करीब 3 लाख है. नशे के ख़िलाफ़ काम करने वाले लोगों का मानना है कि ड्रग्स पर कार्रवाई से असर पड़ा है. लेकिन सिर्फ़ सप्लाई चेन पर वार करने से ही काम पूरा नहीं होगा. 

यूपी में ड्रग्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई 
देश भर में नशे के ख़िलाफ़ जारी अभियान में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नया मुक़ाम हासिल किया है. पिछले डेढ़ साल में यूपी पुलिस ने डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की ड्रग्स ज़ब्त की है. योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने ना सिर्फ़ यूपी बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी इस अभियान में मदद की है. 

देश भर में नशे के ख़िलाफ़ जारी अभियान में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नया मुक़ाम हासिल किया है. पिछले डेढ़ साल में यूपी पुलिस ने डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की ड्रग्स ज़ब्त की है. योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने ना सिर्फ़ यूपी बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी इस अभियान में मदद की है. 

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ सालो में 1582 करोड़ रुपये की ड्रग्स ज़ब्त की जा चुकी है. वहीं ड्रग्स रैकेट से जुड़े 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की गिरफ़्तारी हुई है.डेढ़ साल में कुल 24,744 केस दर्ज किए गए हैं. सिर्फ़ इतना ही नहीं यूपी पुलिस ड्रग्स पर लगाम लगाने के लिए दूसरे राज्यों की भी मदद कर रही है.  

यूपी में ड्रग्स माफियाओं पर पुलिस की पैनी नजर
यूपी पुलिस उन तमाम जगहों पर नज़र रखे हुए है जहां ड्रग्स का धंधा फैलने की आशंका है. 25 जून को पुलिस ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा के कॉलेजों पास ड्रग्स की सप्लाई करने वाले दो बीटेक पास छात्रों समेत तीन तस्कर गिरफ्तार किए थे. 24 किलो से ज़्यादा गांजा बरामद हुआ.  पुलिस के मुताबिक ये व्हॉट्सऐप ग्रुप बनाकर गांजे की की सप्लाई करते थे.
सिर्फ़ पुलिस कमिश्नरेट गौतम बुद्ध नगर की ही बात करें तो नारकोटिक्स सेल बनने का बाद 400 से ज़्यादा नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया है. करोड़ों के ड्रग्स ज़ब्त किए गए हैं.

बेंगलुरू में भी युवा ड्रग्स के हो रहे हैं शिकार
युवा इस लत के सबसे से ज़्यादा शिकार हो रहे है. Rave पार्टी महानगरों की एक बड़ी समस्या है.खुफिया जानकारी के आधार पर बाहरी बेंगलुरु के इलेक्ट्रानिक सिटी एरिया में क्राइम ब्रांच ने दबिश दी और 100 लोगो को वहां पाया. ये लोग पार्टी कर रहे थे सर्च में ड्रग्स और  पकड़ी गई. कम उम्र के बच्चों में नशे की लत बढ़ रही है। बेकाबू सोशल मीडिया बच्चो और युवाओं में ड्रग्स की लत बढ़ा रहा है.




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