कृष्ण जन्मभूमि के मामले में हाईकोर्ट के फैसले से इतना खुश क्यों है हिंदू पक्ष?
नई दिल्ली:
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मथुरा में स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद केस में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा कि यह वाद सुनवाई के योग्य है. हाईकोर्ट ने इस वाद में मुद्दे तय करने के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की है. हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं की सुनवाई नहीं करने की मांग वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के इस फैसले से हिंदू पक्ष खुश है. हिंदू पक्ष इस फैसले से इसलिए खुश है क्योंकि यह विवाद बहुत पुराना है और अब इस पक्ष में न्याय मिलने की उम्मीद जाग गई है.
मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक याचिकाकर्ता ने कहा कि, “इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यह माना है कि कृष्ण जन्मभूमि से शाही मस्जिद को हटाने संबंधी जो 18 मुकदमे हैं, वे सुनवाई योग्य हैं. उन्होंने मुस्लिम पक्ष की याचिका को एक तरह से खारिज कर दिया है. मुस्लिम पक्ष को बहुत बड़ा झटका मिली है. मुस्लिम पक्ष ने जो मुकदमे चल रहे थे उनकी पोषणीयती पर सवाल उठाए थे. न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है कि यह मुकदमे चलते रहेंगे. यह हिंदुओं की जीत है और सभी सनातनियों को बहुत खुशी है.”
Mathura: “This is a victory for Hindus, and all Sanatanis are very happy,” says a petitioner after Allahabad High Court decision on Shri Krishna Janmabhoomi pic.twitter.com/HDQ6YfJeRn
— IANS (@ians_india) August 1, 2024
याचिकाकर्ता दिनेश शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने हमारे हक में फैसला दिया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. अब कोर्ट हिन्दू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करेगा.
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के प्रमुख स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “अखिल भारतीय संत समिति भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के संदर्भ में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई की संभावना का स्वागत करती है. हम इसका तहे दिल से स्वागत करते हैं. हमारी शुरू से ही यह हार्दिक इच्छा रही है कि भगवान राम की जन्मभूमि, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई शीघ्रता से हो और न्यायोचित तरीके से होती रहे.”
Varanasi: Akhil Bharatiya Sant Samiti Head Swami Jitendranand Saraswati says, ” Akhil Bharatiya Sant Samiti welcomes the possibility of a case being heard here in the context of Lord Krishna’s birthplace by the Uttar Pradesh High Court. We sincerely welcome it. It has been our… pic.twitter.com/oLe22hdO5d
— IANS (@ians_india) August 1, 2024
”आम जनता की भावनाओं से मेल खाता है फैसला”
हाईकोर्ट के फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “हम सभी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और यह फैसला आम जनता की भावनाओं से मेल खाता है. यह जनभावना का सम्मान है. उनके हित में फैसला आया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सिविल वाद पोषणीय है. झटके पर झटका खा रही ईदगाह कमेटी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी सिविल वादों की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन अदालत ने दिन प्रतिदिन लंबी सुनवाई की. इसके बाद जून में फैसला सुरक्षित कर लिया था.”
पाठक ने कहा कि, ”हिंदू पक्ष का सिविल वाद शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गया है. दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के समय शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया था. इसलिए उस विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा का अधिकार है. ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है.”
Lucknow: “We all welcome the High Court’s judgment, and this decision aligns with the sentiments of the general public,” says Deputy CM Brajesh Pathak after Allahabad High Court decision on Shri Krishna Janmabhoomi pic.twitter.com/islHxyZQ1S
— IANS (@ians_india) August 1, 2024
उन्होंने आगे कहा कि, ”श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है. बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया. मुस्लिम पक्षकारों की दलील है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ. 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है. लिहाजा मुकदमा चलने योग्य नहीं है. उपासना स्थल कानून यानी प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.”
”पूरे देश दुनिया में जय श्री कृष्ण होगा”
यूपी के दूसरे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ”अदालत के फैसले का स्वागत है. न्यायालय के आदेश से ही अयोध्या से लेकर पूरे विश्व में जय श्री राम हुआ है. अब न्यायालय के जरिए ही पूरे देश दुनिया में जय श्री कृष्ण होगा. अदालत के फैसले का राम भक्त, कृष्ण भक्त और शिव भक्त के रूप में स्वागत करता हूं. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में भगवान श्री कृष्ण के भक्तों को न्याय मिलेगा.”
कृष्ण जन्मभूमि मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि चार महीने तक सुनवाई करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की याचिका खारिज कर दी. शाही ईदगाह मस्जिद का तर्क था कि यह मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत वर्जित है. 12 अगस्त को अगली सुनवाई है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वामित्व को लेकर दाखिल सिविल वादों को पोषणीय माना तथा मस्जिद पक्ष की अर्जियां खारिज कर दीं. कोर्ट ने कहा कि मुकदमा विचारणीय है, हिंदू पक्ष की याचिका सुनने योग्य है. जस्टिस मयंक कुमार जैन के कोर्ट ने छह जून को फैसला सुरक्षित किया था.
श्रीकृष्ण जन्म भूमि-मस्जिद विवाद वर्षों पुराना
श्रीकृष्ण जन्म भूमि और शाही-ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद वर्षों पुराना है. हिन्दू पक्ष लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि यह जगह श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है. कोर्ट में हिन्दू पक्ष की ओर से 18 याचिकाएं दायर की गई हैं. हिन्दू पक्ष की याचिकाओं पर मुस्लिम पक्ष ने रोक लगाने के लिए प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला दिया था.
मुस्लिम पक्ष की याचिका में मांग की गई थी कि हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज किया जाए. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस याचिका को ही खारिज कर दिया. कोर्ट अब हिंदू पक्ष की उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें दावा किया गया है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे ही असली श्री कृष्ण जन्म स्थान है.
(इनपुट आईएएनएस से भी)