किडनी ट्रांसप्लांट की बढ़ती मांग, भारत में अंगदान के क्या हैं नियम?
<p style="text-align: justify;">भारत में हर साल 2 लाख लोग लीवर या कैंसर से अपनी जान गवां रहे हैं वहीं किडनी की कमी से मरने वालों के आंकड़े भयावह हैं. क्रॉनिक किडनी डिसीज दुनियाभर में एक बड़ी बिमारी के रूप में सामने आ रही है. 1990 से 2017 तक 27 साल में इस बीमारी के 41 प्रतिशत रोगी बढ़ चुके हैं.<br /><br />’द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार इस डिसीज से 2017 में 70 करोड़ लोक पीड़ित थे, जिनमें से 13 लाख लोगों ने हृदय से जुड़ी बीमारियों और स्ट्रोक का शिकार हुए. किडनी से जुड़ी बीमारियों के चलते मरने वालों का आंकड़ा इस साल 12 लाख था.<br /><br />भारत में वर्तमान समय में अंग दाताओं की भारी कमी के चलते समस्या गंभीर होती जा रही है. देश में मृत अंग दाताओं की भी भारी कमी है. ऐसे में जहां हजारों लोग जिनकी ट्रांसप्लांट के जरिए जिंदगी बचाई जा सकती है वो अंगों की कमी के चलते अपनी जान गवां रहे हैं.<br /><br /><strong>भारत में अंगदान की स्थिति</strong><br />भारत में अंगदान की स्थिति भयावह है. वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो देश में 3 लाख से ज्यादा लोग अंगदान का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में अंगदान का इंतजार कर रहे लोगों की संख्या तो दिन प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन दान करने वालों की संख्या में कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की जा रही है. इसी कमी के चलते ट्रांसप्लांट के इंतजार में बैठे 20 लोग हर दिन अपनी जान गवां रहे हैं.<br /><br />दूसरी ओर पिछले कुछ सालों में अंगदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी तो दर्ज हुई है लेकिन वो पहाड़ में राई के बराबर है. दरअसल आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2014 में अंगदान करने वालों की संख्या 6,916 थी जो साल 2022 तक बढ़कर 16,041 हो गई. लेकिन ट्रांसप्लांट के इंतजार में बैठे लोगों की संख्या के आगे ये बहुत ही कम है.<br /><br />वहीं दूसरी ओर स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों पर नजर डालें तो प्रति दस लाख आबादी पर यहां 30 से 50 अंगदाता हैं.<br /><br /><strong>किडनी दान करने वालों में बड़ा अंतर</strong><br />भारत में मांग के मुकाबले आपूर्ति बहुत ही कम है. देश में हर साल 2 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत होती है लेकिन हर साल केवल 10 हजार किडनी का ही ट्रांसप्लांट किया जाता है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अंगदान के इंतजार में भी अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.<br /><br />वहीं देश में विभिन्न अंगदान दरों पर नजर डालें तो तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं जहां अंगदान करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके अलावा दिल्ली-NCR, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से हैं जहां बड़ी संख्या में जीवित अंगदाता मौजूद हैं.<br /><br /><strong>भारत में क्या है अंगदान का नियम</strong><br />भारत में ब्रेन डेड या मर चुके व्यक्ति से लिवर, किडनी, हृदय, फेफड़े, आंत और पैंक्रियाज को दान में लिया जा सकता है. इसके अलावा आंख का कॉर्निया, हड्डी, नस, मांसपेशियां, लिगामेंट, कार्टिलेज हृदय वाल्व भी किसी व्यक्ति को दान किए जा सकते हैं. वहीं कोई व्यक्ति जीवित है तो वो भी अपनी एक किडनी और लिवर का कुछ हिस्सा दान कर सकता है. दरअसल लिवर एक ऐसा ऑर्गन होता है जिसका एक टुकड़ा दान किया जा सकता है. खास बात ये है कि कुछ समय में लिवर अपने पुराने शेप में वापस आ जाता है जिससे दान करने वाले व्यक्ति को बड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता.<br /><br /><strong>क्या है पूरी प्रक्रिया</strong><br />जीवित व्यक्ति के अंगदान से पहले ये शर्त होती है कि जिसे वो अंगदान कर रहा है वो जरूरतमंद उसका नजदीकी रिश्तेदार होना चाहिए. इसके बाद सबसे पहले अंगदान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच की जाती है, फिर जब डॉक्टर्स अनुमति दे देते हैं तब ही अंगदान की प्रक्रिया शुरू की जाती है.<br /><br /><strong>मर चुके व्यक्ति के अंगदान से पहले की प्रक्रिया</strong><br />यदि ऐसे व्यक्ति का अंगदान किया जाता है जो मर चुका है तो डॉक्टर्स की टीम सबसे पहले ये चेक करती है कि वो व्यक्ति पूरी तरह से ब्रेन डेड है या नहीं. ब्रेन डेड का मतलब उस स्थिति से होता है जब किसी व्यक्ति का दिमाग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है और उसके दिमाग से संचालित होने वाली गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो जाती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे व्यक्ति को अंगदान न होने तक वेंटिलेटर पर रखा जाता है. इसके इतर अंगदान का एक नियम ये भी है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु घर पर हार्टअटैक से हो जाती है तो उस व्यक्ति का कोई भी अंग दान में नहीं लिया जाता है.<br /><br /><strong>भारत में 1994 में बना था अंगदान के लिए अधिनियम</strong><br />देश में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 में बनाया गया था. इस नियम के तहत मानव अंगों का दान किसी गैर संबंधी से नहीं लिया जा सकता था. बाद में इस अधिनियम के तहत मानव अंगदान के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रावधान किया गया और 2011 में इसके दायरे को बढ़ाकर ऊतकों में शामिल कर दिया गया. अंग प्रत्यारोपण के लिए अंग का दान लेने वालों को पंजीकरण कराना होता है.<br /><br />इस अधिनियम में स्वैप डोनेशन भी शामिल है. अंगदान के प्रोसेस में अंगदान देने वाले और लेने वाले की पूरी जांच मेडिकल प्रेक्टिशनर के द्वारा की जाती है. इसके बाद 2014 में अंगदान के नियम में और बदलाव किए गए और ये तय किया गया कि जो डॉक्टर अंग प्रत्यारोपण करने वाले ऑपरेशन दल का सदस्य होगा वो अंगदान को मंजूरी देने वाले दल में शामिल नहीं होगा. यदि दान देने वाला और दान लेने वाला व्यक्ति नजदीकी रिश्तेदार नहीं है तो समिति ही ये तय करेगी कि दोनों के बीच किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होना चाहिए.<br /><br />वहीं भारत में पहले अंगदान के लिए व्यक्ति को नागरिकता प्रमाण पत्र की जरूरत होती थी वो सिर्फ अपने ही राज्य में अंग ले सकता था लेकिन नए नियमों के बाद अब पीड़ित व्यक्ति किसी भी राज्य में जाकर अंगदान के लिए पंजीकरण कराकर ट्रांसप्लांट करा सकता है. </p>
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<div style="text-align: justify;">वहीं NATO की गाइडलाइन के अनुसार 65 साल से अधिक आयु वाले लोग अंगदान नहीं ले सकते थे, हालांकि अब सरकार ने इस आयु सीमा को खत्म कर दिया है. जिसके बाद अब 65 साल से अधिक उम्र के लोग भी अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. वहीं अब तक कुछ राज्यों द्वारा रजिस्ट्रेशन की फीस ली जाती थी जिसे सरकार ने बंद कर दिया है.</div>
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