उम्र में 3 साल से ज्यादा का फर्क अपराध…, एज ऑफ कंसेंट पर लॉ कमीशन ने क्या-क्या कहा?
<p style="text-align: justify;">भारत में सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र (एज ऑफ कंसेंट) पर हालिया लॉ कमीशन की रिपोर्ट सुर्खियों में है. लॉ कमीशन ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को न घटाया जाए. कमीशन ने यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय के कहने पर पॉक्सो एक्ट के संदर्भ में दी गई है.</p>
<p style="text-align: justify;">2012 में पॉक्सो एक्ट आया था और इसके तहत सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया था. बाद में इसकी काफी आलोचना भी हुई थी, लेकिन सरकार ने कदम पीछे खिंचने से इनकार कर दिया था. सरकार का तर्क था कि कुछ अपवाद के लिए कानून को नहीं बदला जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए थे, जिसमें नाबालिग लड़की से प्रेम विवाह करने वाले युवकों पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी. देश ने कई अदालतों ने इस पर चिंता जाहिर की थी. इसके बाद यह मसला संसद में भी उठा था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सहमति की उम्र वह आयु है जिसमें किसी व्यक्ति को शादी के लिए या यौन संबंध बनाने के लिए सहमति देने में कानूनन सक्षम माना जाता है.</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><em>लॉ कमीशन की रिपोर्ट में क्या कहा है, 5 प्वॉइंट्स…</em></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>1 . उम्र न घटाएं, बाल-विवाह वाला कमजोर है</strong><br />जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली लॉ कमीशन ने कहा है कि इस कानून की बुनियादी सख्ती बरकरार रखना पड़ेगी. शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को अगर घटाया गया, तो इससे बाल-विवाह और वैश्यावृति में बढ़ोतरी हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">कमीशन ने आगे कहा है कि कोई बच्चा सहमति देने के लिए कैसे सक्षम हो सकता है, वो भी तब जब भारत में बालिग होने की उम्र 18 साल है. विधि आयोग की यह रिपोर्ट अंतराराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों, बाल अधिकार कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बातचीत के बाद तैयार की गई है. </p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल-विवाह अधिनियम कानून-2006 नाबालिगों की शादी रोकने में पूरी तरह सक्षम नहीं है. लॉ कमीशन की रिपोर्ट में इसे एक कमजोर कानून बताया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह नाबालिग पति या पत्नी के साथ यौन संबंधों के सवाल से नहीं निपटता है.</p>
<p style="text-align: justify;">कमीशन ने कहा है कि बाल विवाह रोकने के लिए बाल-विवाह अधिनियम की तुलना में पॉक्सो कानून ज्यादा मजबूत है, जो शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को तय करता है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2. लड़कियों के खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा</strong><br />लॉ कमीशन ने कहा है कि अगर शारीरिक संबंध बनाने के कानून में हम बदलाव करते हैं, तो इसका बुरा असर पड़ेगा. कमीशन के मुताबिक पॉक्सो अधिनियम बाल तस्करी और बाल वेश्यावृत्ति से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हम उम्र को घटाते हैं, तो बच्चे की परिभाषा ही बदल जाएगी. तस्कर बाल-विवाह के नाम पर इसका दुरुपयोग करेंगे. बाल तस्करी में सजा दर पहले से ही काफी कम है. </p>
<p style="text-align: justify;">एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में मानव तस्करी के आरोप में सिर्फ 16 प्रतिशत मामलों में ही सजा हो पाई है. हालांकि, 84 प्रतिशत केस में पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किए थे. </p>
<p style="text-align: justify;">भारत में मानव तस्करी एक गंभीर मुद्दा रहा है. हाल ही में संसद में सरकार ने बताया था कि 2019 और 2021 के बीच 18 साल से ऊपर की 10 लाख 61 हजार महिलाएं और 18 साल से कम उम्र की 2 लाख 51 हजार लड़कियां लापता हो गईं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>3. असम के स्टांप पर हो रहा शादी का हवाला</strong><br />लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में असम के नोटरीकृत एक घटना का हवाला दिया है. कमीशन ने कहा है कि असम में नाबालिग लड़कियों के माता-पिता एक नोटरी बनवाकर अपनी बेटी की शादी व्यस्कों से करा देते हैं और इसका नाम प्रेम-विवाह देते हैं, जो एक खतरनाक प्रवृत्ति है.</p>
<p style="text-align: justify;">कमीशन के मुताबिक पॉक्सो कानून के जरिए इस तरह के प्रवृत्ति को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन शारीरिक संबंध बना देने की उम्र को अगर घटा दिया गया, तो इस तरह के मामलो में और बढ़ोतरी होगी.</p>
<p style="text-align: justify;">हाल के दिनों में असम में स्टांप पर हो रही शादी का मामला तब सुर्खियों में आया था, जब राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पुलिस को आदेश देकर ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए कहा था. </p>
<p style="text-align: justify;">यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में भी है. बाल आयोग ने कोर्ट से कहा है कि इस तरह के मामले को असंवैधानिक ठहराया जाए और इसे प्रेम-विवाह से न जोड़ा जाए.</p>
<p style="text-align: justify;">मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश बॉर्डर से सटे असम के कई इलाकों में इस तरह की प्रथा हाल ही में शुरू हुई है, जिसमें माता-पिता नाबालिग लड़की की शादी व्यस्कों से करा देतें हैं. इसके लिए एक नोटरी बनाई जाती है, जिस पर इसे प्रेम-विवाह की संज्ञा दी जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>4. ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन का भी किया गया है जिक्र</strong><br />विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन का भी जिक्र किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में बच्चों की इंटरनेट पर पहुंच बढ़ी है, जिसके बाद ऑनलाइन बाल शोषण और साइबर-धमकाने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है. </p>
<p style="text-align: justify;">साइबरबुलिंग रोकने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सहमति की उम्र कम करने और बच्चों को ऐसे रिश्तों में प्रवेश करने की अनुमति देने से बच्चे बहुआयामी और बहु-पीढ़ीगत गरीबी के दुष्चक्र में फंस जाएंगे. </p>
<p style="text-align: justify;">आयोग ने कहा है कि सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से 21 करने पर विचार कर रही है. ऐसी स्थिति में शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को कैसे घटाने पर विचार किया जा सकता है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>5. कानून के बेजा इस्तेमाल रोकने की भी सलाह दी है</strong><br />विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कानून की समीक्षा के दौरान इसके बेजा इस्तेमाल की बात भी सामने आई है. कई प्रेम-विवाह के मामलों में अभिभावकों ने इसका दुरुपयोग किया है, लेकिन सिर्फ इसी वजह से इस कानून में संशोधन नहीं किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर नाबालिग के प्रेम-प्रसंग का मामला आ रहा हो, तो सहमति से संबध रखने वाले युवक-युवतियों का अतीत देखा जाए और उसके आधार पर तय किया जाए कि यह सहमति स्वैच्छिक थी या नहीं. उनके रिश्तों की मियाद क्या थी?</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया है कि जज अपने विवेक पर इस तरह के मामलों का निपटारा कर सकते हैं. हालांकि, कमीशन ने रिपोर्ट में अपवाद के 4 पैमाने को भी जोड़ा है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके तहत कमीशन ने कहा है कि सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि लड़के और लड़की की उम्र का फासला कितना है? अगर उम्र का फासला 3 साल या उससे कम है, तो ठीक है. नहीं तो इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाए.</p>
<p style="text-align: justify;">साथ ही कमीशन ने इन बातों का भी ध्यान में रखने की सलाह दी है. <strong>1.</strong> अपवाद मानते समय देखा जाए कि सहमति भय या प्रलोभन पर तो आधारित नहीं थी?<strong> 2.</strong> ड्रग का तो इस्तेमाल नहीं किया गया? <strong>3.</strong> यह सहमति किसी प्रकार से देह व्यापार के लिए तो नहीं थी?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>39 प्रतिशत लड़कियां 18 साल से पहले बना लेती हैं संबंध</strong><br />हाल ही में इंडियन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने एक रिपोर्ट जारी किया था. इसके मुताबिक भारत में लोग कच्ची उम्र में यौन संबंध बना रहे हैं. 39 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय महिलाओं ने 18 साल की उम्र से पहले यौन संबंध बनाए हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया है कि 25-49 आयु वर्ग में 10 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने 15 साल की उम्र से पहले सेक्सुअल रिलेशन बनाए. वहीं 58 प्रतिशत महिलाओं ने 20 साल की उम्र में पहली बार यौन संबध बनाने की बात कही थी.</p>
<p style="text-align: justify;">इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि शहरी महिलाओं ने पहला रिलेशन औसत आयु 20 साल में बनाया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने 18 साल की उम्र में यौन संबंध बना लिया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एज ऑफ कंसेंट क्या है, क्यों उठता रहा है सवाल?</strong><br />सहमति की उम्र को कानून द्वारा परिभाषित किया जाता है और अभी ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम’ के आधार पर यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 साल है. ब्रिटिश शासन के दौरान 1891 में पहली बार एज ऑफ कंसेंट का नियम बना था.</p>
<p style="text-align: justify;">यह पूरा विवाद फूलमनि देवी केस के बाद उपजा था. 11 साल की फूलमनि के साथ उसके पति ने शारीरिक संबंध बनाया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. शुरुआत में एज ऑफ कंसेंट के तहत लड़कियों के सहमति की उम्र को 12 साल किया गया.</p>
<p style="text-align: justify;">1925 में इसे बढ़ाकर 14 और 1940 में 16 कर दिया गया. पॉक्सो के लागू होने के बाद इसकी उम्र को बढ़ाकर 18 कर दिया गया, जिसके बाद से ही यह विवादों में है.</p>
<p style="text-align: justify;">हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने रोमांटिक रिलेशनशिप को पॉक्सो में शामिल करने पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था- इस केस में दर्ज 18 साल की उम्र पर ज्यूडिशरी को ध्यान देने की जरूरत है. </p>
<p style="text-align: justify;">सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका को पॉक्सो एक्ट के तहत कंसेंट (सहमति) की उम्र कम करने को लेकर चल रही बहस पर गौर करने की जरूरत है. </p>
<p style="text-align: justify;">मुख्य न्यायाधीश से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 और अक्टूबर 2021 में इस पर सवाल उठाया था. राजस्थान हाईकोर्ट ने भी नवंबर 2022 में एक मामले में इसका जिक्र किया था. </p>
<p style="text-align: justify;">2022 में पॉक्सो एक्ट के 10 साल होने पर पॉक्सो के 10 साल होने पर विश्वबैंक की डेटा एविडेंस फॉर जस्टिस रिफॉर्म (DE JURE) ने दर्ज केसों का विश्लेषण किया. रिपोर्ट में जस्टिस रिफॉर्म ने दावा किया कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों में 43.44% मामले दोषी बरी कर दिए जाते हैं और केवल 14.03% मामलों में ही आरोपी को सजा मिल पाती है. </p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 138 मामलों का विस्तार से अध्ययन किया गया, तो पाया गया कि 22.9 प्रतिशत मामलों में आरोपी और पीड़ित एक-दूसरे को जानते थे.</p>
<p style="text-align: justify;">इसमें कहा गया है कि 18% मामलों में पीड़ित और आरोपी के बीच फिजिकल रिलेशनशिप बनाने से पहले प्रेम-संबंध होने की बात सामने आई, जबकि 44% मामलों में आरोपी और पीड़ित दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह से अपरिचित थे. </p>
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