इंटरनेट कीमत नियंत्रण पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया, जियो और एयरटेल के खिलाफ जांच की भी की गई थी मांग
<p style="text-align: justify;">इंटरनेट को आवश्यक वस्तु का दर्जा देने, उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने, कीमत नियंत्रित की मांग सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह एक मुक्त बाजार है. हर तरह की इंटरनेट सेवा उपलब्ध है. बीएसएनएल और एमटीएनएल भी इंटरनेट सर्विस दे रहे हैं. यह विषय ऐसा नहीं कि इसमें सुप्रीम कोर्ट दखल दे.</p>
<p style="text-align: justify;">रजत नाम के याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि एयरटेल और जियो जैसी कंपनियां आपस में मिलीभगत कर कीमतों को मनमाने तरीके से तय कर रही हैं, इसकी जांच होनी चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता इस बात को कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (प्रतिस्पर्धा आयोग) में रख सकता है. वही ऐसी बातों पर विचार के लिए सही फोरम है.</p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जियो और एयरटेल का कुल मार्किट शेयर लगभग 80 पर्सेंट है. ऐसे में उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी चाहिए, लेकिन जजों ने इससे मना करते हुए उन्हें प्रतिस्पर्धा आयोग जाने को कहा. एक टेलीकॉम कंपनी के लिए पेश वकील ने कहा कि प्रतिस्पर्धा आयोग जाने की सलाह से यह संदेश जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट कंपनियों की जांच की मांग से सहमत है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हमने केस के मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की हैं.'</p>
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