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आज सुप्रीम कोर्ट में किन अहम मामलों की होगी सुनवाई? देखें पूरी लिस्ट



यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश मे कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम लिखे जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान NGO एसोशिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अपूर्वानंद और महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, एमपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए इन सरकारों के आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि कावड़ियों को शाकाहारी भोजन मिले और हाइजिन स्टैंडर्ड भी कायम रहे, ऑथोरिटीज ये सुनिश्चित कर सकती हैं. इसको लेकर ‘सक्षम ऑथोरिटी’ फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 और स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 के तहत आदेश भी जारी कर सकती हैं, लेकिन इसको लेकर जो सक्षम ऑथोरिटी के पास पावर है, उस अधिकार को बिना किसी कानूनी आधार के पुलिस नहीं हथिया सकती. कोर्ट ने नेमप्लेट को लेकर जारी निर्देशों पर रोक लगाते हुए कहा था कि ढाबा, रेस्टोरेंट, फल- सब्जी विक्रेताओं, फेरी वाले दुकानदार ये तो बता सकते हैं कि वो कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं, लेकिन दुकान मालिकों या फिर उनके यहां काम करने वालों को अपना नाम-पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. आज इसी मसले पर फिर जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में सुनवाई होगी.

ममता बनाम राज्यपाल मामला

विधानसभा से पास किए गए विधेयकों को अनुमति नहीं देने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट  सुनवाई करेगा. याचिका में ममता सरकार ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस 8 विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं और विधानसभा में पारित विधेयकों को बगैर कोई कारण बताए मंजूरी देने से इनकार करना संविधान के आर्टिकल 200 के खिलाफ है.

दिल्ली जल बोर्ड का मामला

दिल्ली जल बोर्ड का फंड रिलीज ना करने के मामले में दायर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. दिल्ली सरकार के इस आरोप पर दिल्ली के वित्त विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि  2016 से अब तक दिल्ली जल बोर्ड को 28,400 करोड़ रुपये फंड दिया गया, लेकिन बोर्ड कोई जवाबदेही नहीं चाहता.

थप्पड़ की गुंज आज सुनाई देगी

मुजफ्फरनगर के एक स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा एक बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चों से थप्पड़ मारने के लिए मजबूर करने के मामले में दाखिल में तुषार गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित छात्र का एडमिशन दूसरे स्कूल में कराए जाने और उसके ड्रेस, फीस और परिवहन खर्च की नियमित व्यवस्था करने के लिए प्रशासन को आदेश दिया था. 





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