‘अमरावती’ आंध्र प्रदेश की नई राजधानी की कहानी, जिसका सपना चंद्रबाबू नायडू ने देखा
आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में सड़क की फाइल फोटो.
किसानों से जमीन लेने के लिए नायडू की सरकार ने 1 जनवरी 2015 से लैंड पूलिंग स्कीम नाम की एक योजना शुरू की. इसके तहत दो महीने में 33 हजार एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण कर लिया.अब तक अमरावती में 28 हजार 733 किसानों से 34 हजार चार सौ एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है.इसके साथ ही इस परियोजना का विरोध भी हो रहा था.जगनमोहन की पार्टी ने जमीन अधिग्रहण में जातिवाद का आरोप लगाया. वहीं अमरावती को राजधानी बनाने का विरोध पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी किया.उनका कहना था कि खेती की जमीन को कंक्रीट का जंगल बनाना पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं है.सरकार के फैसले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी चुनौती दी गई, लेकिन एनजीटी ने जनवरी 2019 में सरकार के फैसले का समर्थन किया.
सराकार ने साल 2019 में सरकार, प्रशासन और अदालत को अमरावती में शिफ्ट कर दिया. वहां विधानसभा और विधानमंडल के साथ हाई कोर्ट का अस्थाई निर्माण भी शुरू हो गया था.

चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री कार्यकाल में विपक्ष के नेता जगनमोहन ने उनके फैसले का समर्थन किया. लेकिन जून 2019 में कराए गए चुनाव में जगन मोहन की पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया. उसने 175 में से 151 सीटें जीत लीं. वहीं नायडू की टीडीपी केवल 23 सीटें ही जीत पाई.नायडू की इस हार ने अमरावती के भविष्य पर ताला लगा दिया.
मुख्यमंत्री बनने के बाद जगनमोहन ने उन अंतरराष्ट्रीय बैंकों जहां नायडू सरकार ने कर्ज के लिए आवेदन किया था, बताया कि अब कर्ज लेने में उनकी कोई रुचि नहीं है.इसके बाद बैंकों ने कर्ज देने की काम रोक दिया. वहीं जगनमोहन सरकार ने इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में अनियमितता की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया. इसने पी नारायणा को गिरफ्तार किया था.
जगनमोहन ने बनाई तीन राधानियां
जगनमोहन सरकार ने विधानसभा में’आंध्र प्रदेश डिसेंट्रलाइजेशन एंड इनक्लूसिव डेवलपमेंट ऑफ ऑल रीजन बिल’ पेश किया.यह बिल विधानसभा से पारित हो गया. लेकिन विधान परिषद में पारित नहीं हुआ.इस बिल में आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानियों का प्रावधान था. इसमें अमरावती को विधायी राजधानी, विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी और कुरनूल न्यायिक राजधानी बनाने की बात कही गई थी. इसलिए इसे’थ्री कैपिटल बिल’भी कहा जाता है. जगनमोहन सरकार ने एक बिल के जरिए ‘आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवेलपमेंट अथॉरिटी’ को भंग कर दिया.

अमरावकती में बना आंध्र प्रदेश का ट्रांजिट हाई कोर्ट.
विधान परिषद में बिल पारित न होने से दुखी जगनमोहन ने जनवरी 2020 में एक वैधानिक प्रस्ताव के जरिए विधान परिषद को ही भंग करने का प्रस्ताव पारित कर उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया. लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी.वाईआरएससीपी ने नवंबर 2021 में विधान परिषद में बहुमत हासिल कर लिया. इसके बाद उसने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया.
जगनमोहन के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
जगनमोहन सरकार के तीन राजधानी बनाने के फैसले से अमरावती के लोग खुश नहीं थे. उन्होंने सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. अदालत ने मार्च 2022 फैसला सुनाया कि सरकार अपनी मर्जी से तीन राजधानियां नहीं बना सकती. अदालत ने सरकार को अमरावती में चल रहे विकास कार्यों को अगले छह महान में पूरा करने का आदेश दिया. इस दौरान खास बात यह हुई कि अदालत का फैसला आने से पहले ही जगनमोहन सरकार ने ‘थ्री कैपिटल बिल’ को वापस ले लिया और आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवेलपमेंट अथॉरिटी को भंग करने वाले एक्ट को खारिज कर दिया. जगनमोहन सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यह मामला अभी भी लंबित है.

जनवरी 2019 में निर्माणकार्यों का जायजा लेते तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू.
हाई कोर्ट के फैसले के बाद आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में अब अमरावती ही विकल्प है. लेकिन जगनमोहन सरकार ने वहां के निर्माण कार्यों को लेकर कोई खास रुचि नहीं दिखाई. लेकिन आधाकारिक रूप में अमरावती ही आंध्र प्रदेश की राजधानी है.
कैसी होगी अमरावती
साल 2016 में तैयार नई राजधानी के मास्टर प्लान के मुताबिक इस परियोजना पर 50 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. नायडू के पिछले कार्यकाल में इस परियोजना पर साढ़े 10 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे.नई राजधानी में एक नया शहर बसाने की योजना है. इसमें सड़कें काफी चौड़ी होंगी, एक अतंरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा, मेट्रो रेल होगी.इसे ईबसों, वाटर टैक्सी और साइकिलों के जरिए जोड़ने की योजना है.अमरावती की शुरुआती परियोजना 217 वर्ग किलोमीटर की थी. यह छह कलस्टरों में बंटी हुई है.इसमें सिविक और एंटरटेनमेंट जैसे कलस्टर शामिल हैं.
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