अजित पवार गुट के नेता नवाब मलिक को बड़ी राहत, समीर वानखेड़े केस में पुलिस उठाने जा रही ये कदम
Nawab Malik Case: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक को बड़ी राहत मिली है. मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा कि वो पूर्व मंत्री मलिक के खिलाफ एनसीबी के अधिकारी रहे समीर वानखेड़े के ज्यादती संबंधी मामले में सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने हाई कोर्ट को सूचित किया है कि एंटी ड्रग्स एजेंसी ( एनसीबी) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की ओर से दायर किए गए अत्याचार अधिनियम के मामले की जांच की है.
अतिरिक्त लोक अभियोजक एसएस कौशिक ने 14 जनवरी को जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ को सूचित किया कि 2022 के मामले की जांच के बाद पुलिस ने ‘सी समरी रिपोर्ट’ दाखिल करने का फैसला किया है.
‘सी-समरी रिपोर्ट’ उन मामलों में दायर की जाती है जहां जांच के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि कोई सबूत नहीं है और मामला न तो सच है और न ही झूठ.
अब आगे क्या होगा?
एक बार जब ऐसी रिपोर्ट संबंधित निचली अदालत के समक्ष दायर कर दी जाती है तो मामले में शिकायतकर्ता उसे चुनौती दे सकता है और सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है.
समीर वानखेड़े का क्या है आरोप?
पिछले साल समीर वानखेड़े ने अपने वकील राजीव चव्हाण के माध्यम से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अजित पवार गुट के नेता नवाब मलिक के खिलाफ दाखिल उनकी शिकायत पर पुलिस पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया था.
करदाता सेवा महानिदेशालय (डीजीटीएस) में अतिरिक्त आयुक्त और महार अनुसूचित जाति के सदस्य वानखेड़े ने मामले को सीबीआई को सौंपे जाने का अनुरोध किया था.
पीठ ने 14 जनवरी के अपने आदेश में याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पुलिस के बयान के अनुसार इसमें विचार करने योग्य कुछ भी नहीं है. इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई. हालांकि, अदालत ने कहा कि वानखेड़े कानून के अनुसार उचित मंच के समक्ष उचित कदम उठा सकते हैं.
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