अंडरवर्ल्ड के वो किस्से जिसे दाऊद इब्राहिम, अरुण गवली और छोटा राजन भूल जाना चाहेंगे
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Underworld Stories: 1994 में दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन अलग होते हैं और शुरू होता है गैंगवार. जल्द ही इसकी गूंज विदेशी धरती पर भी सुनाई पड़ने लगी. इसी गैंगवार के तहत डी कंपनी ने मिशन बैंकॉक शुरू किया था, जिसकी जिम्मेदारी दी गई थी मुन्ना झिंगाड़ा नाम के एक शूटर को. मुन्ना झिंगाड़ा मुंबई के जोगेश्वरी इलाके का रहना वाला था और उसका असली नाम था सय्यद मुज्जकिर. उसे झिंगाड़ा इसलिए कहते हैं कि वो हमेशा चरस की गोली अपने साथ रखता था. चरसी लोगों को मुंबई के चरसी लोगों की जुबान में झिंगाड़ा कहा जाता है. वो जोगेश्वरी इलाके में घर के पास ही ग्रैजुएशन के दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. इस दौरान मोहल्ले के एक दबंग वजीर के साथ उसका झगड़ा हो गया. फरवरी 1990 में एक दिन उसने गुस्से में आकर वजीर के सीने पर चॉपर से हमला कर उसकी हत्या कर दी और फिर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया. नवंबर 1991 में करीब दो साल बाद वो जमानत पर जेल से बाहर निकला.
कौन था मुन्ना झिंगाड़ा?
अपनी रिहाई के बाद झिंगाड़ा कानून के दायरे में रहकर जिंदगी जीना चाहता था और अपने पिता के प्लंबिंग के कारोबार में हाथ बंटाने लगा, लेकिन जिस वजीर की उसने हत्या की थी, उसका भाई झिंगाड़ा से बदला लेना चाहता था. एक बार उसका भाई झिंगाड़ा की हत्या करने आया, लेकिन झिंगाड़ा ने उसका सिर फोड़ दिया और वो घायल हो गया. इस घटना के बाद भी दोनों के बीच अदावत चलती रही और आखिरकार 1995 में एक दिन झिंगाड़ा ने वजीर के भाई की हत्या कर डाली. झिंगाड़ा फिर से जेल नाम के नर्क में वापस नहीं जाना चाहता था. पुलिस से बचने के लिये वो उत्तर प्रदेश निकल भागा और अपनी सुरक्षा के लिये एक देसी कट्टा खरीद लिया. वो देश से निकल भागने की योजना बना ही रहा था, लेकिन उससे पहले उसे पकड़ने के लिये बनाई गयी मुंबई पुलिस की योजना कामयाब हो गई. मुंबई पुलिस की एक टीम ने उसे वजीर के भाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तारी के बाद झिंगाड़ा फिर एक बार मुंबई की आर्थर रोड जेल में पहुंच गया और यहीं से उसकी जिंदगी का एक नया शुरू हुआ. उसी जेल में डी कंपनी का एक सदस्य इस्माइल मलबारी मौजूद था. अपनी जिंदगी में दो हत्याएं कर चुका झिंगाड़ा मलबारी को बडा काम का आदमी लगा. अंडरवर्ल्ड को ऐसे लोगों की ही जरूरत होती है जो किसी की जान लेने से न हिचकें. मलबारी ने छोटा शकील से झिंगाड़ा की बात करा के डी कंपनी में उसकी भर्ती करवा दी. जल्द ही गिरोह ने उसकी जमानत करवा दी.
अरुण गवली मिला पहला काम
छोटा शकील ने उसे सबसे पहला काम सौंपा अंडरवर्ल्ड डॉन अरूण गवली की हत्या करने का. गवली गिरोह ने दाऊद के बहनोई इब्राहिम पारकर की 1991 के नागपाड़ा इलाके में हत्या कर दी थी. दाऊद उसके बाद से गवली को खत्म करने का मौका ढूंढ रहा था. 1997 में अरूण गवली दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अपनी नवगठित पार्टी अखिल भारतीय सेना की एक रैली निकालने जा रहा था. गुलदस्ते में पिस्तौल को छुपाकर झिंगाड़ा रैली के मंच तक पहुंच गया, लेकिन उस रैली में गवली आया ही नहीं और झिंगाड़ा उसकी हत्या को अंजाम नहीं दे सका.
इसके बाद छोटा शकील के कहने पर झिंगाड़ा ने मुंबई में कई हत्याएं कीं. 1997 में उसने कुशाल जैन नाम के शख्स की हत्या कर दी, जिसे छोटा राजन का करीबी माना जाता था. इस हत्या के बाद पुलिस ने उसकी तलाश तेज कर दी. छोटा शकील ने झिंगाड़ा को नेपाल के रास्ते दुबई बुला लिया. दुबई में कुछ वक्त रहने के बाद वो पाकिस्तान चला गया.
छोटा राजन को मारने की प्लानिंग
इस बीच छोटा शकील को पता चला कि डी कंपनी का दुश्मन छोटा राजन बैंकॉक में रह रहा है. शकील के कहने पर अशोक शेट्टी नाम के उसके साथी ने राजन गिरोह के पुजारी और साटम के साथ दोस्ती की. कुछ दिनों बाद शेट्टी ने दोनों को लालच देकर छोटा शकील से उनकी बात करा दी और छोटा राजन से विश्वासघात करने के लिये तैयार कर लिया. उनकी मदद से छोटा शकील ने राजन का पता हासिल कर लिया. राजन उन दिनों अपने साथी रोहित वर्मा के फ्लैट में रहता था.
अशोक शेट्टी को पता चला कि राजन अपने गिरोह का ठिकाना बैंकॉक से बदल कर अफ्रीका के किसी देश में करने वाला है. जब उसने ये बात शकील को बतायी तो शकील ने राजन के बैंकॉक से बाहर निकलने के पहले ही उसे खत्म करने की साजिश रची. 15 सितंबर 2000 की रात अशोक शेट्टी एक केक लेकर रोहित वर्मा के फ्लैट पर पहुंचा और उसने डोर बेल बजाई. वर्मा ने जैसे ही दरवाजा खोला झिंगाड़ा ने उस पर गोलियों की बौछार कर दी.
भागना पड़ा छोटा राजन को
छोटा राजन अंदर के कमरे में मौजूद था. उसने दरवाजे पर कड़ी लगाने की कोशिश की, लेकिन झिंगाड़ा ने उस पर गोलियां चला दीं. राजन कमरे की बालकनी से नीचे कूद गया. कुछ देर बाद बैंकॉक पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और उसकी जान बच गयी.
कुछ देर बाद बैंकॉक पुलिस ने झिंगाड़ा को गिरफ्तार कर लिया. अदालत में पेशी के लिये ले जाते वक्त उसकी टीवी कैमरों पर कबूल किया कि उसे “शकील बॉस” ने राजन को मारने के लिये भेजा था और छह महीने में डी कंपनी राजन को मार देगी. भारत सरकार थाईलैंड की ऊपरी अदालत में झिंगाड़ा को प्रत्यर्पित करने का मामला हार गयी और वो पाकिस्तान के सुपुर्द कर दिया गया.
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