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सैफ को लगी थी 5 जगह चोट, दोस्त लेकर पहुंचा था अस्पताल; सामने आई मेडिकल रिपोर्ट




नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान को पांच जगहों पर चाकू घोंपा गया था. उनको पीठ, कलाई, गर्दन, कंधे और कोहनी पर चोटें लगी थीं. उन्हें उनके दोस्त अफसर जैदी ने ऑटोरिक्शा में मुंबई के लीलावती अस्पताल पहुंचाया था. सैफ की मेडिकल रिपोर्ट से यह पता चला है. 

बॉलीवुड अभिनेता को मुंबई में उनके घर में चोरी करने के लिए घुसे आरोपी ने बार-बार चाकू घोंपा था. उन पर कथित हमला करने वाले सरीफुल इस्लाम, जो पिछले साल बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसा था और उसने बिजॉय दास का उपनाम रखा था, को मुंबई के पास ठाणे से शनिवार को गिरफ्तार किया गया. मुंबई पुलिस की कम से कम 20 टीमें तीन दिन तक उसकी तलाशी के लिए अभियान चलाती रही थीं.

रिपोर्ट में कहा गया है, “चोटों का आकार 0.5 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेमी तक है. हमले की रात सैफ के दोस्त अफसर जैदी उन्हें सुबह 4:11 बजे लीलावती अस्पताल ले गए और औपचारिकताएं पूरी कीं.” 

सैफ अली खान (54) ने 70 से अधिक फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में काम किया है. वे मंगलवार को अस्पताल से घर वापस आ गए. 

मुंबई पुलिस ने सैफ के बांद्रा स्थित आवास के बाहर दो कांस्टेबल तैनात किए हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने बांद्रा पश्चिम में सैफ अली खान के सतगुरु शरण भवन के बाहर अस्थायी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की है. बांद्रा पुलिस स्टेशन से दो कांस्टेबल दो शिफ्टों में वहां तैनात रहेंगे. सुरक्षा के तौर पर सीसीटीवी कैमरे और विडो ग्रिल भी लगाए गए हैं.”

सैफ अली ने ऑटोरिक्शा चालक भजन सिंह राणा के प्रति आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने पिछले सप्ताह हमले की रात उन्हें अस्पताल पहुंचाया था.

मुंबई के खार में एक कमरे के फ्लैट में चार अन्य रूममेट्स के साथ रहने वाले राणा ने कहा, “लोग कह रहे हैं कि उन्होंने (सैफ ने) मुझे 50,000 या 1,00,000 रुपये दिए हैं, लेकिन मैं यह नहीं बताना चाहूंगा कि यह कितनी रकम है. उन्होंने मुझसे यह जानकारी साझा न करने का अनुरोध किया है और मैं उनसे किया अपना वादा निभाऊंगा, जो भी हो, यह उनके और मेरे बीच की बात है.” 

ऑटोरिक्शा चालक को खान के अस्पताल से छुट्टी मिलने से कुछ समय पहले मंगलवार को सैफ और उनके परिवार से मिलने का अवसर मिला.

ऑटोरिक्शा चालक ने कहा, “मैं उनसे (सैफ से) कल (मंगलवार) अस्पताल में मिला था. उन्होंने मुझे अस्पताल ले जाने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने मेरी प्रशंसा की. मुझे उनसे और उनके परिवार से आशीर्वाद मिला. उन्होंने (खान) मुझे अपनी मां (शर्मिला टैगोर) से मिलवाया और मैंने उनके पैर छुए. उन्होंने मुझे जो भी सही लगा, पैसे दिए और कहा कि जब भी मुझे मदद की जरूरत होगी, वह वहां होंगे.”







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